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इको फ्रेंडली घर: मिट्टी से बने कटोरों का इस्तेमाल करके तैयार की छत, गर्मी में नहीं पड़ती है AC की जरूरत

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Eco Friendly Farm House : जलवायु परिवर्तन और बढ़ते प्रदूषण की वजह से धरती की तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसका असर हम सभी के जीवन पर पड़ने लगा है। गर्मी से राहत पाने के लिए लोग घरों में एसी और कूलर जैसे इलेक्ट्रिक आइटम्स का इस्तेमाल करते हैं, जो बिजली की बहुत ज्यादा खपत करने के साथ साथ सेहत के लिए भी नुकसानदायक साबित होते हैं।

ऐसे में तमिलनाडु में एक व्यक्ति ने इको फ्रेंडली घर (Eco Friendly Farm House) की नींव रखी है, जो गर्मी के मौसम में भी अंदर से बेहद ठंडा रहता है। इस घर में रहने वाले लोगों को मई की भीषण गर्मी में भी एसी चलाने की जरूरत नहीं पड़ती है, जबकि पूरे राज्य में गर्मी का प्रकोप चरम पर है। तो आइए जानते हैं इस इको फ्रेंडली घर (Eco Friendly Farm House) को बनाने वाले शख्स के बारे में।

दादी की याद में बनाया घर

बेंगलुरू में रहने वाले मणिकंदन सत्यबालान (Manikandan Satyabalan) ने बचपन से ही अपने पिता से दादी के बारे में बहुत बातें सुनी थी, जिसकी वजह से मणिकंदन को अपनी दादी से काफी लगाव हो गया था। हालांकि मणिकंदन कभी भी अपनी दादी से नहीं मिल पाए, क्योंकि उनका देहांत बहुत ही कम उम्र में 1980 के दशक में ही हो गया था। मणिकंदन के पिता चाहते थे कि वह अपनी मां के पुराने घर की जगह पर एक नया घर बनाए और वहीं रहते हुए आगे की जिंदगी बिताए।

ऐसे में मणिकंदन ने अपने पिता का सपना पूरा का फैसला किया और तमिलनाडु के पुदुकोट्टई जिले में स्थित कीरमंगलम गांव में पहुंच गए, जहां उनकी दादी का पुराना मिट्टी का घर हुआ करता था। मणिकंदन ने उसी घर की जगह पर एक नया ईको फ्रेंडली फार्म हाउस खड़ा कर दिया, जिसका नाम उन्होंने अपनी दादी की याद में Valliyammai Meadows रखा है। इसे भी पढ़ें – UK की नौकरी छोड़कर गांव लौटा था कपल, अब यूट्यूब पर गाय-भैंस और खेतीबाड़ी का वीडियो अपलोड कर कमा रहें लाखों रुपए

इस तरह बनाया Eco Friendly Farm House

मणिकंदन के सपने को पूरा करने में उनकी पत्नी इंदुमती ने भी पूरा साथ दिया था, जिसकी बदौलत पति पत्नी की इस जोड़ी ने साल 2019 में अपना इको फ्रेंडली फार्म हाउस बनाने में सफलता प्राप्त कर ली थी। हालांकि मणिकंदन एक विजुअल इफेक्ट प्रोड्यूसर हैं, जबकि उनकी पत्नी टीचर हैं।

ऐसे में उन दोनों को ही Eco Friendly Farm House के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, जिसके लिए उन्होंने अपने करीबी दोस्त तिरुमुरुगन की मदद ली, जो पेशे से एक आर्किटेक्ट हैं। तिरुमुरुगन ने उन्हें ईको फ्रेंडली घर से जुड़ी सारी जानकारी दी और उन्हें घर का डिजाइन करके दिया था, जिसके बाद मणिकंदन ने घर बनाने का काम शुरू करवाया था।

450 मिट्टी के कटोरों से तैयार की छत

मणिकंदन ने इको फ्रेंडली घर (Eco Friendly House) बनवाने के लिए छह फीट ऊंची पत्थरों से निर्मित नींव तैयार करवाया है, जबकि घर को खड़ा करने के लिए कंक्रीट के खंभों का इस्तेमाल नहीं किया है। इतना ही नहीं घर को बनाने के लिए कम से कम ईंटों और सीमेंट का इस्तेमाल किया गया है, ताकि घर का तापमान अंदर से ठंडा रह सके।

घर की दीवारों को मजबूत बनाने के लिए रैट ट्रैप बॉन्ड तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें दीवार थर्मल एफ्फिसिएंट होती हैं। घर के अंदर काफी जगह खाली छोड़ी गई है, ताकि हवा का प्रवाह होते रहे और तापमान संतुलित रह सके। इसके अलावा घर की छत बनाने के लिए आरसीसी की जगह पर फिलर स्लैब का उपयोग किया गया है, जबकि घर की दीवारों प्लास्टिक पेंट नहीं किया गया है। इसे भी पढ़ें – केरल के इस दम्पत्ति ने बनवाया इको फ्रेंडली हाउस, मिट्टी से बने इसी घर में रहते हैं, 17 सालों से बीमार नहीं पड़े

आपको बता दें कि इको फ्रेंडली घर की छत बनाने के लिए सीमेंट की जगह पर प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे फिलर स्लैब तकनीक के नाम से जाना जाता है। इस तकनीक में मिट्टी और गोबर आदि से बने मैटिरियल का उपयोग किया जाता है, जैसे मणिकंदन ने छत बनाने के लिए मिट्टी से बने कटोरों का इस्तेमाल किया है।

फिलर स्लैब तकनीक से छत बनाने के लिए लगभग 20 प्रतिशत सीमेंट व स्टील और 80 प्रतिशत मिट्टी व प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे छत धूप से गर्म नहीं होती है और घर का अंदरूनी तापमान ठंडा बना रहता है। मणिकंदन के इस इको फ्रेंडली फार्म हाउस का डिजाइन गोलाकार है, जिसके बीचों बीच हेड रूम नामक वेंटिलेशन फैसिलीटी दी गई है।

इस इको फ्रेंडली घर में सामान्य लकड़ी की जगह पर नीम, कटहल और टीक के पेड़ों की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है, जो घर के तापमान को संतुलित रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा घर के आसपास लगभग 40 पेड़ लगाए गए हैं, जिसमें आम से लेकर कटहल, अंजीर, संतरा और चीकू आदि के पेड़ शामिल हैं।

मणिकंदन ने इन छोटी छोटी बातों का ध्यान रखकर ईको फ्रेंडली घर का निर्माण किया है, जिसकी वजह से मई के महीने में भी रात 10 बजे बात उनके घर का तापमान इतना ज्यादा ठंडा हो जाता है कि उन्हें पंखा भी बंद करना पड़ता है। वहीं दिन के समय भी घर में एसी या कूलर चलाने की जरूरत नहीं पड़ती है, जबकि घर में दिन भर प्रकृतिक हवा का प्रवाह जारी रहता है। इसे भी पढ़ें – ईको फ्रेंडली घर बनाकर कम किए खर्चे, नहीं भरना पड़ता है बिजली और पानी का बिल, उल्टा मिलता है हजारों रूपये

Valliyammai Meadows

माता-पिता करते हैं फल और सब्जियों की खेती

इस इको फ्रेंडली घर के बाहर मौजूद खेत में मणिकंदन और उनके पिता काली मिर्च और लौंग के पौधों की खेती करते हैं, जबकि घर के बाहर एक बड़े हिस्से में लगभग 100 नारियल के पेड़ भी लगाए गए हैं, जो घर के आसपास की जमीन को खूबसूरत बनाने के साथ साथ तापमान को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाते हैं।

वैसे तो मणिकंदन सत्यबालान और उनकी पत्नी इंदुमती बेंगलुरु में रहते हैं, लेकिन वह छुट्टियां बिताने के लिए अपने ईको फ्रेंडली फार्म हाउस पहुंच जाते हैं। वहीं मणिकंदन के माता-पिता फार्म हाउस में रहते हैं और वहां विभिन्न साग-सब्जियों व फलों की खेती करते हैं, जिसमें पालक, शकरकंद, केला और औषधीय पेड़ पौधे शामिल हैं।

इन पेड़ पौधों की सिंचाई के लिए मणिकंदन ने घर में बरसात का पानी इकट्ठा करने के लिए टैंक बनवाया है, जिसका इस्तेमाल पूरे साल गार्डनिंग के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा मणिकंदन के पिता कीचन वेस्ट और गोबर की मदद से खाद तैयार करते हैं, जिसका इस्तेमाल वह फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए करते हैं। इसे भी पढ़ें – शहर की भीड़-भाड़ से दूर पहाड़ों पर जा बसा ये कपल, जमीन से 5 हजार फीट ऊपर बनाया खूबसूरत घर

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Shivani Bhandari
Shivani Bhandari
शिवानी भंडारी एक कंटेंट राइटर है, जो मीडिया और कहानी से जुड़ा लेखन करती हैं। शिवानी ने पत्रकारिता में M.A की डिग्री ली है और फिलहाल AWESOME GYAN के लिए फ्रीलांसर कार्य कर रही हैं।

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