Shiva Panch Kedar Temples in Uttarakhand: उत्तराखंड में कई सारे तीर्थ स्थल स्थित है जहां हर साल करोड़ों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। चार धाम यात्रा में केदारनाथ का बहुत ही अधिक महत्व है। लेकिन उत्तराखंड में चार अन्य मंदिर (Panch Kedar Dham in Uttarakhand) और भी हैं जो हिंदू धर्म में केदारनाथ मंदिर के बराबर स्थान रखते हैं। केदारनाथ मंदिर सहित इन 5 मंदिरों को पंच केदार के नाम से जाना जाता है।
पंच केदार का सीधा संबंध महाभारत काल से है। भगवान भोलेनाथ ने पांडवों को पंच केदार के रूप में दर्शन दिए थे। आप जब भी केदारनाथ धाम की यात्रा पर जाएं तो भगवान शिव के बचे हुए 4 धामों के दर्शन करना ना भूलें। इन पंच केदार (Shiva Panch kedar temples) के नाम इस प्रकार हैं: रुद्रनाथ, केदारनाथ, मध्यमहेश्वर, तुंगनाथ और कल्पेश्वर महादेव।
हर साल करोड़ों श्रद्धालु करते हैं पंच केदार के दर्शन
सनातन धर्म में होने वाली चार महत्वपूर्ण चार धाम यात्राओं में से केदारनाथ धाम की यात्रा भी प्रतिवर्ष करोड़ों लोग करते हैं, किंतु उनमें से ज्यादातर श्रद्धालु सिर्फ केदारनाथ धाम ही जाते हैं। अन्य 4 मंदिरों के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं के संख्या काफी कम होती है। पंच केदार में भगवान शिव के 5 मंदिर रुद्रनाथ, तुंगनाथ, कल्पेश्वर, मध्यमहेश्वर और केदारनाथ आते हैं। ये सारे मंदिर भगवान शिव के अलग-अलग रूपों को समर्पित हैं। ये भी पढ़ें – इस गर्मी की छुट्टियों में करें इन 10 खूबसूरत हिल स्टेशन की सैर! सारी टेंशन हो जाएगी खत्म
5- कल्पेश्वर महादेव मंदिर (Kalpeshwar Mahadev Temple)
कल्पेश्वर मंदिर उत्तराखंड के खूबसूरत चमोली जिले की उर्गम घाटी में स्थित है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर पंच केदारों में से एक हैं। मान्यता है कि यहां भगवान की जटाएं प्रकट हुई थीं, इसीलिए इस मंदिर में भगवान शिव की जटाओं की पूजा होती है। कल्पेश्वर महादेव मंदिर उत्तर भारत की वास्तु कला पर आधारित है। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। कल्पेश्वर महादेव मंदिर वर्ष भर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। पंच केदारों में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जो वर्षभर खुला रहता है।
4- तुंगनाथ मंदिर (Tungnath Temple)
मई से लेकर नवंबर तक श्रद्धालु कभी भी तुंगनाथ मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते हैं। हालांकि जनवरी-फरवरी के महीनों में यहां पर अच्छी खासी बर्फबारी होती है, जो लोगों को काफी पसंद आती है। उत्तराखंड के गढ़वाल रुद्रप्रयाग जिले में स्थित तुंगनाथ मंदिर एक पर्वत के शिखर पर बना हुआ है। मान्यता है कि यहां पर भगवान शिव ने नंदी के पैर के रूप में पांडवों को दर्शन दिए थे। ये भी पढ़ें – कश्मीर घूमना हुआ अब और भी आसान, जानिए IRCTC का ये खास प्लान
तुंगनाथ मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा करवाया गया था। माना जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद भगवान शंकर पांडवों से रूष्ट हो गए थे, जिसके बाद महादेव को प्रसन्न करने के लिए पांडवों ने इस मंदिर के स्थापना करके उनकी आराधना करनी शुरू की।
3- रुद्रनाथ मंदिर (Rudranath Temple)
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर की सुरक्षा यहां की वनदेवी करती हैं। इसलिए यहां सबसे पहले उन्हीं की पूजा-आराधना की जाती है। यह मंदिर समुद्र तल से 2,286 स्थित है। इस मंदिर में महादेव को नीलकंठ के रूप में श्रद्धालुओं द्वारा पूजा जाता है। इस मंदिर तक पहुंचने वाला रास्ता काफी कठिनाइयों से भरा हुआ है, फिर भी हर साल लाखों भक्त इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।
यह मंदिर एक तरफ से नंदा देवी की चोटियों, दूसरी ओर से त्रिशूल की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। तुंगनाथ तथा केदारनाथ के बाद यह मंदिर पंच केदार में तीसरा स्थान रखता है। इस मंदिर की मान्यता है कि पांडवों को यहां शंकर जी ने नंदी के रूप में दर्शन दिए थे। ये भी पढ़ें – उत्तराखंड का चोपता हिल स्टेशन विदेशियों को भी करता है आकर्षित, जानिए यहां की 5 खूबसूरत जगहों के बारे में
2- मध्यमहेश्वर मंदिर (Madhyamaheshwar Temple)
मध्य महेश्वर महादेव मंदिर गोंडल नामक गांव में स्थित है। यह गांव उत्तराखंड के गढ़वाल में समुद्र तल से 3497 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। श्रद्धालुओं में मान्यता है कि यहां पर भगवान शिव के मध्य भाग यानी नाभि की पूजा की जाती है। यह मंदिर चारों ओर से शानदार और खूबसूरत पहाड़ी क्षेत्र से घिरा हुआ है। इसके चारों ओर का दृश्य बड़ा ही सुरम्य और मनमोहक है।
उखीमठ से लगभग 16 किलोमीटर से अधिक की ट्रैकिंग कर के श्रद्धालु इस मंदिर तक पहुंचते हैं। मंदिर के चारों ओर हरी घास का मैदान है। इसके चारों ओर चौखंबा पहाड़ी की चोटियां इसे एक बेहद खूबसूरत नजारे में बदल देते हैं। इस मंदिर के गर्भ गृह में जो शिवलिंग स्थापित है, वह नाभि के आकार का है। ये भी पढ़ें – घूमने के शौकीन ज़रूर कराएं ट्रैवल इंश्योरेंस, लगेज से लेकर मेडिकल इमरजेंसी में मिलेगी मदद
1- केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple)
चार धाम यात्रा में केदारनाथ मंदिर का एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह पंच केदार के मंदिरों में प्रथम स्थान रखता है। भोलेनाथ का यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 1583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हिंदुओं में मान्यता है कि यहां पर भगवान शिव का कूबड़ प्रकट हुआ था। यह मंदिर ऋषिकेश से मात्र 223 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
पांडवों द्वारा बनवाए गए केदारनाथ मंदिर का अतीत में कुछ भाग क्षतिग्रस्त हो गया था, फिर इसके बाद आदि शंकराचार्य द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार 8वीं-9वीं शताब्दी में करवाया गया था। भगवान शिव का यह मंदिर प्रकृति के खूबसूरत नजारों से चारों ओर से घिरा हुआ है और यहां का वातावरण भी भक्तिमय लगता है। ये भी पढ़ें – हर सीजन के लिए परफेक्ट हैं भारत के ये 5 हिल स्टेशन, बजट फ्रेंडली ट्रिप के साथ इंज्वाय कर सकते हैं वीकेंड