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कैलाश पर्वत के बारे में जानें रहस्यमय बातें, डमरू और ॐ की आती है आवाज़, वैज्ञानिक भी नहीं जान पाए कारण

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Kailash Parvat ka Rahasya : कैलाश पर्वत तिब्बत में स्थित है। यह एक तरफ स्फटिक, दूसरी तरफ माणिक, तीसरी तरफ सोना और चौथी तरफ नीलम से बना हुआ है। हिंदू धर्म में इसे अत्यंत ही पवित्र स्थान माना जाता है। भक्त यहाँ की यात्रा करते और पर्वत की परिक्रमा करते हैं।

भगवान भोलेनाथ का निवास स्थान ‘कैलाश पर्वत’ (Mount Kailash) अदभुत एवं रहस्यमय परिस्थितियों से भरा पड़ा है। कई हिंदू धर्म ग्रंथों जैसे शिवपुराण, स्कंद पुराण, मत्स्य पुराण आदि में भी कैलाश पर्वत की महिमा और चमत्कारों का वर्णन किया गया है।

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Kailash Parvat Mystery

कैलाश पर्वत (Mount Kailash) की ऊंचाई लगभग 6600 मीटर है, जो दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट से लगभग 2200 मीटर कम है। बावजूद इसके माउंट एवरेस्ट पर अब तक 7 हजार से अधिक लोग चढ़ाई कर चुके हैं लेकिन कैलाश पर्वत अब भी अजेय है। कई पर्वतारोहियों ने चढ़ाई की कोशिश की लेकिन वे सभी नाकाम रहें। आखिरी कोशिश साल 2001 में स्पेन की एक टीम ने की थी। उसके बाद चीन ने कैलाश पर्वत की चढ़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया है।

धरती के एक ओर उत्तरी ध्रुव और दूसरी ओर दक्षिणी ध्रुव है। दोनों के बीच में हिमालय स्थित है और हिमालय का केंद्र है, कैलाश पर्वत। वैज्ञानिकों के अनुसार कैलाश पर्वत को धरती का केंद्र माना जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से कैलाश पर्वत दुनिया के एक या दो नहीं बल्कि 4 मुख्य धर्मों हिन्दू, जैन, बौद्ध और सिख का केंद्र है।

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कैलाश पर्वत या कैलाश मानसरोवर झील के क्षेत्र में जाएंगे तो यहाँ आपको निरंतर एक प्रकार की ध्‍वनि सुनाई देगी। ध्‍यान से सुनने पर आपको आभास होगा कि यह डमरू और ऊँ की ध्‍वनि है। इस ध्‍वनि का स्रोत आज तक कोई नहीं जान पाया है। वैज्ञानिक भी प्रमाण के साथ कुछ नहीं कहते। उनका अनुमान है कि जब हवाएँ पहाड़ से टकराती हैं और बर्फ पिघलती है तो यह ध्‍वनि उत्‍पन्‍न होती है।

इतना ही नहीं पर्वत के ऊपर आसमान में कई बार 7 विशेष प्रकार दिव्‍य रोशनी देखे जाने की बात कही गई है। इस संदर्भ में नासा के वैज्ञानिकों का मानना है कि हो सकता है, ऐसा यहाँ के चुम्बकीय बल के कारण होता हो।

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हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार शिव जी आज भी कैलाश पर्वत पर अपने परिवार के साथ निवास करते है। लोग यह भी मानते हैं कि कैलाश पर्वत पर पुण्य आत्माएँ रहती हैं। इसे स्वर्ग का द्वार माना जाता है। जो व्यक्ति अपने जीवनकाल में पुण्य कर्म करता है, मृत्यु के बाद उसकी आत्मा को कैलाश पर्वत पर स्थान प्राप्त होता है।

कैलाश पर्वत के दक्षिण दिशा में ब्रह्म तल है जो दुनिया की शुद्ध पानी की उच्चतम झीलों में से एक है। इसका आकार सूर्य के समान है। ब्रह्म तल से लगभग 1 किलोमीटर दूसरा, राक्षस नामक झील, जो खारे पानी का झील है। इसका आकार चन्द्र के समान है। ये दोनों झीलें सौर और चन्द्र बल को प्रदर्शित करती हैं जिसका सम्बंध सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से है। यह भी अभी तक रहस्य है कि ये झीलें प्राकृतिक निर्मित हुईं या मानव निर्मित हैं।

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News Desk
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