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Santhal Vidroh Kab Hua | कब हुआ था संथाल विद्रोह? जानिए इस बड़े आदिवासी विद्रोह के बारे में!

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Santhal Vidroh Kab Hua: संथाल विद्रोह 1855-56 में वर्तमान झारखंड में संथाल लोगों द्वारा अंग्रेजों और जमींदारों के विरुद्ध किया गया एक प्रमुख किसान विद्रोह था। यह विद्रोह संथाल लोगों के भूमि अधिकारों और स्वशासन के अधिकारों के लिए था।

संथाल विद्रोह के कारण

संथाल विद्रोह के मुख्य कारण निम्नलिखित थे:

  • अंग्रेजों द्वारा संथाल क्षेत्रों में राजस्व की वृद्धि
  • जमींदारों और साहूकारों द्वारा संथालों का शोषण
  • संथालों को उनके पारंपरिक अधिकारों से वंचित करना

संथाल विद्रोह का नेतृत्व

संथाल विद्रोह का नेतृत्व चार मुर्मू भाइयों – सिद्धू, कान्हू, चांद और भैरव ने किया। इन चार भाइयों ने संथाल लोगों को संगठित किया और अंग्रेजों और जमींदारों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका।

संथाल विद्रोह की शुरुआत

30 जून 1855 को सिद्धू और कान्हू मुर्मू ने 10,000 संथालों को एकत्रित किया और अंग्रेजों और जमींदारों के खिलाफ विद्रोह की घोषणा की। उन्होंने संथाल परगना में एक समानांतर सरकार की स्थापना का भी ऐलान किया।

संथाल विद्रोह का दमन

अंग्रेजों ने विद्रोह को दबाने के लिए बड़ी सेना भेजी। विद्रोह के दौरान दोनों पक्षों में कई भयंकर लड़ाई हुईं। अंत में, अंग्रेजों ने विद्रोह को दबा दिया।

विद्रोह के परिणाम

संथाल विद्रोह के कुछ प्रमुख परिणाम निम्नलिखित हैं:

  • संथाल परगना का गठन
  • संथाल परगना टेनेंसी एक्ट का पारित होना
  • संथालों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनों का निर्माण

संथाल विद्रोह की महत्ता

संथाल विद्रोह भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है। यह विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक प्रेरणास्रोत था। इस विद्रोह ने अंग्रेजों को यह समझा दिया कि भारत के आदिवासी भी स्वतंत्रता के लिए लड़ सकते हैं।

संथाल विद्रोह का संदेश

संथाल विद्रोह का संदेश यह है कि स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना कभी भी व्यर्थ नहीं होता है। चाहे कितनी भी कठिन परिस्थितियाँ हों, लेकिन अगर लोग एकजुट होकर लड़ें तो वे किसी भी विजय को प्राप्त कर सकते हैं।

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News Desk
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