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उज्जैन का मार्कण्डेश्वर महादेव मंदिर जहां भगवान शिव ने यमराज को जंजीर से बांध रखा है, पढ़ें पौराणिक कथा

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Markandey Mahadev Mandir, Sawan 2023 : सावन का महीना भगवान भोलेनाथ का माना जाता है। पूरे भारतवर्ष में भक्त इस समय भगवान शिव की आराधना में जुट जाते हैं और उनके दर्शन के लिए देश के विभिन्न भागों में यात्रा करते हैं। अगर आप भी यात्रा की योजना बना रहे तो एक बार धर्मनगरी उज्जैन के इस चमत्कारी शिव मंदिर (Markandey Mahadev Mandir Ujjain) में दर्शन करें:-

सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल में बना उज्जैन का मार्कण्डेश्वर महादेव मंदिर (Markandey Mahadev Mandir Ujjain) लगभग 5000 वर्ष पुराना है। ऐसी मान्यता है कि अपने भक्तों की रक्षा के लिए स्वयं महाकाल काल पर नज़र रखते हैं। अपने भक्त मार्कण्डेश्वर ऋषि के प्राण बचाने के लिए भगवान प्रकट होकर यमराज को जंजीर से बाँध दिए थे।

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इस पौराणिक कथा के अनुसार, ऋषि मृकंड ने भगवान ब्रह्मा की तपस्या कर पुत्र प्राप्ति का वरदान प्राप्त किया था। लेकिन उनके पुत्र मार्कण्डेय की आयु कम थी और इसके कारण ऋषि मृकंड परेशान रहते थें। एक दिन पुत्र मार्कण्डेय के निवेदन पर ऋषि मुकुंड ने उन्हें अपनी चिंता उन्हें बताई। इसके बाद मार्कण्डेय ने दीर्घ आयु प्राप्त करने और अपने पिता का दुख दूर करने की इच्छा से अवंतिका तीर्थ पर महाकाल वन में स्थित में भगवान शंकर के इसी मंदिर में कठोर तपस्या की।

जब मार्कण्डेय 12 साल के हुए तब यमराज उन्हें अपने साथ ले जाने के लिए आए, लेकिन ऋषि मार्कण्डेय ने भगवान शिव की प्रतिमा को दोनों हाथों से पकड़ लिया। जब यमराज ने मार्कण्डेय के प्राण लेने के लिए पाशा फेंका, तब भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने मृत्यु के देवता यमराज को जंजीरों से बाँध दिया। फिर ऋषि मार्कण्डेय को वरदान दिया कि उनकी आयु 12 कल्प तक रहेगी।

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भोलेनाथ के इस चमत्कार के कारण सालभर यहाँ श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहता है। इस मंदिर में एक शिवलिंग विराजित है, जिसका मुख दक्षिण दिशा की ओर है। शिवलिंग पर प्राकृतिक रूप से एक आँख भी उभरी हुई है। दक्षिण दिशा काल की दिशा मानी जाती है। इसलिए कहा जाता कि स्वयं महाकाल भक्तों की सुरक्षा के लिए काल पर नज़र रखते हैं। मार्कण्डेश्वर महादेव की पूजा और अर्चना करने से भक्तों को आयु और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

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News Desk
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