Procedure of renaming states, cities in India : इस दुनिया में बीतते वक्त के साथ काफी कुछ बदल गया है, जबकि शहरों की तरह लोगों का जीवन भी आधुनिक हो गया है। ऐसे में पुरानी चीजों को छोड़कर नई चीजों को अपनाया जा रहा है, जबकि कई पुराने शहरों व जगहों का नाम बदलने की प्रक्रिया भी चलती रहती है।
इस लिस्ट में भारत के कई रेलवे स्टेशनों व शहरों के नाम शामिल हैं, जिन्हें कुछ साल पहले तक दूसरे नाम से जाना जाता था और वर्तमान में उनका नाम बदल दिया गया है। ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर शहर व रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने की पूर प्रक्रिया (Procedure of renaming states, cities in India) क्या होती है और इस काम में कितना खर्च आता है।
क्या है नाम बदलने की पूरी प्रक्रिया? (Procedure to change name of city in India)
गृह मंत्रालय ने शहर, सड़कों और जिलों के नाम बदलने की प्रक्रिया को लेकर गाइडलाइन जारी है, जिसको ध्यान में रखते हुए किसी राज्य की सरकार नाम बदलने का फैसला करती है। इस गाइडलाइन के तहत किसी शहर, गांव, गली और सड़क का नाम स्थानीय लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाला नहीं होना चाहिए और लोगों को उस नाम से कोई आपत्ति भी नहीं होनी चाहिए।
किसी भी शहर या जिले का नाम बदलने की प्रक्रिया में स्थानीय नगर निगम की अहम भूमिका होती है, जिसकी मंजूरी पर ही नाम बदलने की प्रक्रिया को शुरू किया जाता है। अगर दिल्ली के राजपथ के नाम बदल कर कर्तव्य पथ किया गया है, तो इस काम के लिए दिल्ली नगर निगम द्वारा फैसला लिया गया होगा।
नगर निगम अधिकारी इस बात की जांच करते हैं कि नाम बदलने की वजह गृह मंत्रालय की गाइडलाइन के तहत सही है या नहीं, जिसके बाद ही किसी भी शहर, सड़क या जिले का नाम बदला जाता है। इसके बाद बदले हुए नाम का प्रस्ताव कैबिनेट तक पहुँचाया जाता है, जहाँ नए और पुराने नाम पर चर्चा होती है और फिर नया नाम ठीक लगने पर उसे मंजूरी दे दी जाती है।
कैबिनेट की तरफ से मंजूरी मिलने के बाद किसी भी शहर, गांव, जिले या सड़क के नए नाम का गजट (ज्ञापन पत्र) जारी किया जाता है, जिसके बाद आधिकारिक रूप से नए नाम को जनता के सामने पेश किया जाता है। इसके साथ बोर्ड पर पुराने नाम की जगह नया नाम लिखवाने की प्रक्रिया शुरू होती है, जबकि दस्तावेजों में भी नाम बदला जाता है।
नाम बदलने में कितना आता है खर्च? (how much does it cost to change a city name in India)
किसी भी शहर, गाँव या जिले का नाम बदलना कोई आसान काम तो नहीं है, क्योंकि इसमें एक लंबी प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है। ऐसे में नाम बदलने की प्रक्रिया में खर्च होने वाली धनराशि भी थोड़ी नहीं होती है, क्योंकि इस काम में 200 से 500 करोड़ रुपए का अनुमानित खर्च आता है।
यह खर्च शहर, गांव, जिले या सड़क के आकार पर निर्भर करता है, जिसमें कई छोटे बड़े काम शामिल होते हैं। हालांकि आम लोगों को लगता है कि शहर या रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की प्रक्रिया में सिर्फ बोर्ड पर पुराना नाम हटाकर नया नाम लिखा जाता है, जबकि असल में यह सबसे आखिरी काम होता है और उससे पहले कई तरह की कागजी कार्यवाही पूरी की जाती है।
शहरों, सड़कों और रेलवे स्टेशन के बदलते नाम
भारत में शहर, सड़क और रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की प्रक्रिया उत्तर प्रदेश से शुरू हुई थी, जहाँ के तत्कालीन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐतिहासिक आधार पर नाम बदलने का फैसला किया था। इसके तहत मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदल कर पंडित दीनदयाल उपाध्याय रखा गया था, जबकि इलाहाबाद शहर का नाम बदल कर प्रयागराज कर दिया गया था।
इसी प्रकार फैज़ाबाद बदल कर अयोध्या रखा गया है, जबकि योगी सरकार अलीगढ़ और फर्रूखाबाद जैसे जिलों का नाम बदलने के प्रक्रिया पर भी काम कर रही है। उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश में भी शहरों के नाम बदले गए हैं, जिसके तहत साल 2018 में बिरसिंहपुर पाली का नाम बदल कर माँ बिरासिन धाम रखा गया था।
इसके अलावा होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम और बाबई का नाम माखननगर रखा गया है, जबकि बेंगलोर का नाम बदल कर बेंगलुरु और गुड़गांव का नाम गुरुग्राम किया गया था। हमारे देश में शहरों, सड़कों और जिलों के नाम बदलने की लिस्ट काफी लंबी है, जिसमें मैसूर से लेकर मेंगलुरु जैसे शहरों के नाम शामिल हैं।
इसे भी पढ़ें –
भारत में चलती है दुनिया की सबसे लंबी ट्रेन वासुकी, 3.5 किलोमीटर है कुल लंबाई
ट्रेन में क्यों होते हैं लाल और नीले रंग के डिब्बे, जानें दोनों में क्या होता है अंतर
नोएडा से ओखला तक, इन नामों का फुल फॉर्म शायद ही आप जानते होंगे
सैनिक स्कूल में कैसे होता है छात्रों का एडमिशन, जानें प्रवेश परीक्षा और फीस से जुड़ी अहम बातें