Homeज्ञानट्रेन में क्यों होते हैं लाल और नीले रंग के डिब्बे, जानें...

ट्रेन में क्यों होते हैं लाल और नीले रंग के डिब्बे, जानें दोनों में क्या होता है अंतर

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Difference Between Red and Blue Train : भारत में ट्रेन को लाइफ लाइन माना जाता है, जिसके जरिए रोजाना करोड़ों लोग सफर करते हैं। ऐसे में भारतीय रेलवे द्वारा यात्रियों की सुविधा के लिए अलग-अलग प्रकार की ट्रेनों को चलाया जाता है, जिनके डिब्बों का रंग भी अलग होता है। ऐसे में क्या आप जानते हैं ट्रेन के नीले और लाल रंग के डिब्बे में क्या फर्क होता है, जिसके पीछे बेहद दिलचस्प वजह छिपी हुई है।

नीले रंग के डिब्बे का मतलब

भारतीय रेलवे द्वारा चलाई जाने वाली ट्रेनों में ज्यादातर डिब्बे नीले रंग के होते हैं, जिन्हें इंटीग्रल कोच यानी आईसीएफ कहा जाता है। इस तरह के कोच का वजन बहुत ज्यादा होता है, क्योंकि इन्हें लोहे की मदद से तैयार किया जाता है।

इंटीग्रल कोच को भारत में तैयार किए गए सबसे पुराने कोच में से एक माना जाता है, जिसमें यात्रियों के लिए जनरल, एसी, स्लीपर, डेमू और मेमू की सुविधा उपलब्ध होती है। साल 1952 में चेन्नई में इंटीग्रल कोच बनाने के लिए फैक्ट्री की स्थापना की गई थी, जिसकी अधिकतम रफ्तार 120 किलोमीटर प्रति घंटा होती है।

लाल रंग वाले कोच

इसी प्रकार भारतीय रेलवे में लाल रंग के कोच वाली ट्रेन भी चलती है, जिसे आमतौर पर एलएचबी इंटीग्रल कोच कहा जाता है। इस लाल रंग के कोच को सबसे पहली बार जर्मनी में तैयार किया था, जिसे साल 2000 के बाद भारत के कपूरथला में निर्मित किया जाने लगा था।

इन लाल रंग के कोच को मुख्य रूप से एल्युमिनियम से तैयार किया जाता है, जिसकी वजह से इनका वजन काफी कम होता है और कोच को ट्रेन के साथ जोड़ने में भी आसानी होती है। इस तरह के लाल कोच हाई स्पीड ट्रेनों में देखने को मिलते हैं, जिनकी अधिकतम रफ्तार 200 किलोमीटर प्रति घंटा तक होती है।

ऐसे में यह कहा जा सकता है कि सामान्य गति से चलने वाली ट्रेन के डिब्बों को लोहे से तैयार किया जाता है और उनका रंग नीला होता है। वहीं हाई स्पीड ट्रेनों में लाल रंग के डिब्बों का इस्तेमाल होता है, जो वजन में हल्के और चलने में फास्ट होते हैं।

इसे भी पढ़ें –

ट्रेन के डिब्बे पर क्यों बनाई जाती है तिरछी लाइनें, अगर नहीं पता तो आज जान लो

ट्रेन में किसको दी जाती है विंडो सीट, जानें मिडिल बर्थ वालों के लिए रेलवे का नियम

एस्केलेटर के नीचे क्यों लगाया जाता है ब्रश, जूतों की सफाई के लिए नहीं बल्कि ये है असली वजह

जानें भारतीय थाली तक कैसे पहुँची चटनी, बेहद रोमांचक है इसका सफर

यह भी पढ़ें
News Desk
News Desk
तमाम नकारात्मकताओं से दूर, हम भारत की सकारात्मक तस्वीर दिखाते हैं।

Most Popular