Chhath Puja 2022 : जहाँ देश भर के लोग दिवाली के त्यौहार का इंतजार करते हैं, वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को छठ पूजा (Chhath Puja) का इंतजार रहता है। दिवाली के छह दिन बाद इस महापर्व को मनाया जाता है, जो लगभग 4 दिनों तक चलता है और इस दौरान महिलाएँ 36 घंटे का लंबा उपवास रखती हैं।
बिहार (Bihar) में छठ पूजा (Chhath Puja) की मान्यता बहुत ज्यादा है, जिसकी वजह से महिलाएँ अपनी संतान की लंबी उम्र और परिवार की सुख व समृद्धि के लिए निर्जला व्रत करती हैं। इस त्यौहार के दौरान महिलाएँ नाक से लेकर मांग तक नारंगी रंग का सिंदूर लगाती हैं, जिसे देखकर कई लोगों के मन ख्याल आता होगा कि आखिर वह ऐसा क्यों करती हैं।
नाक से सिंदूर लगाने की वजह
छठ पूजा (Chhath Puja) के दौरान महिलाएँ पानी में उतरने के बाद उगते और डूबते सूर्य को अर्घ देती हैं, जिसके बाद वह नारंगी रंग का खास सिंदूर लगाती हैं। इस सिंदूर को नाक से माथे तक लंबाई में लगाया जाता है, जिसे छठ पूजा से जुड़ी एक अहम प्रथा माना जाता है।
मान्यता है कि महिलाओं द्वारा लगाया जाने वाला लंबा सिंदूर पति की लंबी उम्र का प्रतीक होता है, जिसकी वजह से महिलाएँ पूजा करने के बाद नाक से मांग तक लंबा सिंदूर लगाती हैं। कहा जाता है कि महिलाओं द्वारा लगाया गया लंबा सिंदूर पति के लिए शुभ होता है, जिससे घर परिवार में खुशहाली आती है।
इतना ही नहीं यह भी कहा जाता है कि अगर कोई महिला छठ पूजा के दिन नाक से मांग तक लंबा सिंदूर लगाती है, तो उसकी सारी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और छठी मैया उनकी पूजा से प्रसन्न होती हैं। यही वजह है कि बिहार की महिलाएँ छठ पूजा के दौरान नाक से मांग तक नारंगी रंग का लंबा सिंदूर लगाती हैं, जो उनके व्रत की पवित्रता और आस्था को दर्शाता है।
नारंगी क्यों होता है सिंदूर का रंग?
आपको बता दें कि छठ पूजा के दौरान महिलाएँ जो सिंदूर लगाती हैं, वह खास तरह का सिंदूर होता है। इस सिंदूर का रंग नारंगी होता है, जो मुख्य रूप से हनुमान जी को चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि अगर कोई शादीशुदा महिला छठ पूजा के दौरान नारंगी रंग का सिंदूर लगाती है, तो उसे धरती पर जीवित रहते हुए एक भी दिन विधवा औरत के रूप में नहीं गुजारना पड़ता है।
यही वजह है कि छठ पूजा के दिन महिलाएँ स्नान करने के बाद सबसे पहले नारंगी सिंदूर को अपनी मांग में भरती हैं, जिसके बाद नाक के टीके से उस सिंदूर को धारा को जोड़ दिया जाता है। कहा जाता है कि सिंदूर जितना लंबा होगा, महिला के पति की आयु भी उनती ही लंबी होती है। इस सिंदूर को बिना नहाए नहीं लगाया जा सकता है, जबकि इसे नाक के सीध में ही मांग तक भरा जाता है।
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