Bihar : किसी भारतीय पिता के लिए बेटी की शादी करना बहुत अहम जिम्मेदारी होती है, जिसे पूरा करने के लिए वह लोन और कर्ज जैसी चीजें लेने से भी पीछे नहीं हटता है। हालांकि हर व्यक्ति समय रहते कर्ज नहीं चुका पाता है, जिसकी वजह से उसके ऊपर बैंक या लेनदार की तरफ से जल्द से जल्द कर्ज चुकाने का दबाव बनाया जाता है।
ऐसे में जब बिहार के रहने वाले एक व्यक्ति ने बेटी की शादी के लिए बैंक से कर्ज लिया, तो वह समय रहते कर्ज नहीं चुका पाए। ऐसे में बैंक की तरफ से बुजुर्ग को बार-बार नोटिस भेजा जा रहा था, जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट में बुजुर्ग गरीबी देखकर जज को दया आ गई और उन्होंने अपनी जेब बुजुर्ग का कर्ज चुकाने का फैसला सुना दिया।
18 साल पहले बेटी की शादी पर लिया था लोन
आज हम आपको जिस व्यक्ति की कहानी बताने जा रहे हैं, उनका नाम राजेंद्र तिवारी है। राजेंद्र तिवारी बिहार के जहानाबाद जिले से ताल्लुक रखते हैं, जो पेशे से एक किसान हैं। राजेंद्र ने 18 साल पहले अपनी बेटी की शादी के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से किसान क्रेडिट कार्ड पर 18 हजार रुपए का लोन लिया था, लेकिन राजेंद्र समय रहते बैंक को कर्ज वापस नहीं लौटा पाए।
ऐसे में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से राजेंद्र कुमार के घर पर कर्ज चुकाने के लिए नोटिस भेजा जाने लगा, जबकि कर्ज की रकम बजाय सहित बढ़कर 36 हजार 775 रुपए हो गई थी। राजेंद्र कुमार के पास बैंक का लोन चुकाने के लिए इतने पैसे नहीं थी, ऐसे में उन्होंने बैंक के मुख्य प्रबंधक से बातचीत की।
राजेंद्र कुमार की बुजुर्ग हालत और गरीबी को देखते हुए बैंक के मुख्य प्रबंधक ने उनके द्वारा लिए गए कर्ज की रकम में से ब्याज माफ कर दिया था, जिसके बाद राजेंद्र कुमार को 18 हजार 600 रुपए बैंक को चुकाने थे। ऐसे में राजेंद्र कुमार ने किसी तरह 5 हजार रुपए जमा कर लिये थे, जबकि गाँव के एक युवक ने उन्हें 3 हजार रुपए सहायता राशि के रूप में दे दिए थे।
जज ने दिए 10 हजार 600 रुपए
इस तरह राजेंद्र कुमार के पास 8 हजार रुपए जमा हो गए, लेकिन वह बाकी के 10 हजार 600 रुपए इकट्ठा नहीं कर सकते थे। लिहाजा बैंक और बुजुर्ग के बीच का यह मामला जिला अदालत में पहुँच गया, जिसकी सुनवाई जज राकेश सिंह कर रहे थे। राजेंद्र कुमार ने अपनी गरीब हालत के बारे में बताते हुए कहा कि मेरे पास 8 हजार रुपए हैं, जबकि उन्होंने 3 हजार रुपए चंदा लेकर जमा किए हैं।
जज राकेश सिंह को अपनी हालत बताते हुए बुजुर्ग भरी अदालत में फूट फूटकर रोने लगे, जिन्हें लाचार देखकर जज का मन पसीज गया और उन्होंने राजेंद्र कुमार को नकद 10 हजार 600 रुपए देकर बैंक के लोन से उन्हें मुक्त करवा दिया। जज राकेश सिंह के इस फैसले की खूब प्रशंसा हो रही है, जबकि कोर्ट में मौजूद अन्य जजों ने उनके इस फैसले की सराहना भी है।
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