Last Indian Village : यह तो आप जानते ही होंगे कि उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है, क्योंकि यहाँ स्थित चारधाम मनुष्य को ईश्वर के करीब ले जाने का एहसास करवाते हैं। ऐसे में आपने अक्सर सुना होगा कि महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद पांडव स्वर्ग चले गए थे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने स्वर्ग तक का रास्ता कहाँ से तय किया था।
हिंदू धार्मिक कथाओं से ताल्लुक रखने वाला वह स्थान उत्तराखंड में स्थित है, जिसे भारत का आखिरी गाँव भी माना जाता है। इस गाँव के बाद पड़ोसी देश चीन की सीमा शुरू हो जाती है, जबकि हर साल सैकड़ों पर्यटक इस गाँव में घूमने के लिए जाते हैं।
स्वर्ग से कम नहीं है माणा गांव
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित माणा गाँव समुद्र तल से 3, 219 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जहाँ से प्रकृति का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। माणा को उत्तराखंड का आखिरी गाँव भी माना जाता है, क्योंकि यहाँ से 24 किलोमीटर की दूरी पर चीन का बॉर्डर मौजूद है।
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सर्दी के मौसम में माणा गाँव का तापमान बहुत ही नीचे गिर जाता है, जबकि यह पूरा इलाका बर्फ की सफेद चादर से ढक जाता है। इस गाँव में कुछ दुकानें, होटल और छोटे बाज़ार मौजूद हैं, जहाँ पर्यटक घूमने के दौरान ठहरने और खाने पीने का आनंद उठाते हैं।
यहीं से स्वर्ग गए थे पांडव
ऐसे में बद्रीनाथ के दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालु माणा गाँव जरूर जाते हैं, जो सरस्वती नदी के किनारे पर बसा हुआ है। यह खूबसूरत गाँव चारों तरफ से हिमालय की पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जिसकी वजह से इसे धरती पर स्वर्ग कहा जाता है।
धार्मिक कथाओं की मानें तो महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद पांडव मोक्ष प्राप्ति के लिए यात्रा कर रहे थे, तभी उनके मार्ग में माणा गाँव पड़ा था। कहा जाता है कि सभी पांडव सह-शरीर स्वर्ग जाना चाहते थे, जिनके साथ यात्रा के दौरान एक कुत्ता भी था। कहते हैं कि वह कुत्ता यमराज का अवतार था, जिसके पीछे चलते-चलते सिर्फ युधिष्ठिर ही सह-शरीर स्वर्ग तक पहुँच पाए थे।
यहां देखें माणा गांव का वीडियो
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