Sawan 16 Somvar Vrat : आज यानी 10 जून को सावन 2023 की पहली सोमवारी है। हिंदू धर्म में श्रावण मास का हर दिन पवित्र माना जाता है लेकिन सोमवार का विशेष महत्त्व है। शिव पुराण के अनुसार 16 सोमवार व्रत शुरू करने के लिए सावन सबसे अच्छा महीना माना जाता है।
पौराणिक कथाओं के आधार पर माता पार्वती ने श्रावण मास में ही सबसे पहले सोलह सोमवार का व्रत भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए किया था। इसलिए सुखी वैवाहिक जीवन, मनचाहा जीवनसाथी पाने, संतान प्राप्ति और किसी भी कामना की पूर्ति के लिए सोलह सोमवार का व्रत उत्तम माना जाता है।
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सावन 16 सोमवार व्रत (Sawan 16 Somvar Vrat)
सोलह सोमवार व्रत को सावन माह के पहले सोमवार से शुरू किया जाता है, लेकिन इसे चैत्र, मार्गशीर्ष और वैशाख मास के पहले सोमवार से भी आरंभ किया जा सकता है। यह व्रत सोमवार के दिन सूर्योदय से शुरू किया जाना चाहिए और शाम की पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण कर पारण करना चाहिए।
शिव पुराण के अनुसार, सोलह सोमवार व्रत की पूजा दिन के तीसरे पहर में लगभग 4 बजे के आस-पास शुरू करनी चाहिए। पूजा को सूर्यास्त से पहले पूरी कर लेना चाहिए। ग्रंथों के अनुसार, शिव पूजा प्रदोष काल में पुण्य दायी होती है।
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16 सोमवार व्रत नियम (Sawan 16 Somvar Vrat Niyam)
सोलह सोमवार व्रत (Sawan 16 Somvar Vrat) में शिवलिंग पर पंचामृत, जनेऊ, दीप, धतूरा, इत्र, रोली, अष्टगंध, सफेद वस्त्र, बेलपत्र, धूप, पुष्प, सफेद चंदन, भांग, भस्म, गन्ने का रस, फल, मिठाई चढ़ाएं। भगवान शिव के साथ साथ माता पार्वती की भी पूजा करना शुभ माना जाता है। अतः मां पार्वती का सोलह श्रृंगार करना चाहिए। (चूड़ी, बिंदी, चुनरी, पायल, बिछिया, मेहंदी, कुमकुम, सिंदूर, काजल आदि
व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। फिर साफ, धुले कपड़े पहनकर 16 सोमवार व्रत का संकल्प लें। इस समय “ऊं शिवशंकरमीशानं द्वादशार्द्धं त्रिलोचनम्। उमासहितं देवं शिवं आवाहयाम्यहम्।।” मंत्र का जाप करें।
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शाम में स्त्रियां सोलह श्रृंगार कर प्रदोष काल में घर या मंदिर जाकर पूजा की तैयारी करें। जल में गंगाजल डालकर शिव जी का जलाभिषेक करें। फिर पंचामृत चढ़ाएं। सफेद चंदन से शिवलिंग पर दाएं हाथ की तीन अंगुलियों से त्रिपुण बनाएं, अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें। माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं और धूप-दीप, भोग लगाकर सोमवार व्रत की कथा का श्रवण करें।
इस व्रत में आटे, गुड़ और घी से चूरमा बनाकर भोग लगाया जाता है। भोग को तीन हिस्से में बांटकर शिव जी को चढ़ाएं। शिव जी के मंत्रों का जाप, शिव चालीसा पाठ करने के बाद भगवान की आरती करें। भोग का पहला हिस्सा गाय, दूसरा हिस्सा पूजा वाली स्थान पर बैठकर ख़ुद ग्रहण करें, और तीसरा अन्य लोगों में बांट दें।
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सोलह सोमवार (Sawan 16 Somvar Vrat) का व्रत शुरू करें तो बीच में नहीं छोड़ें। इस व्रत का पालन करने वालों को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। सोमवार के दिन भूल से भी घर में तामसिक भोजन न पकाएं।