Sardar Vallabhbhai Patel jayanti 2022 : भारत को एकजुट करने में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अहम भूमिका निभाई थी, जिसकी वजह से भारतीय राजनीति में आज भी उन्हें याद किया जाता है। ऐसे में 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की 147वीं जयंती मनाई जाएगी, जिसे देश भर में राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में भी जाना जाता है।
भारत में साल 2014 में पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया था, जबकि सरदाल वल्लभ भाई पटेल के सम्मान में गुजरात के केवड़िया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की भी स्थापना की गई थी। इसी वजह से सरदार पटेल को लोहा पुरुष के नाम से भी जाना जाता है, तो आइए जानते हैं सरदार पटेल के जीवन से जुड़ी 10 अहम बातें।
सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाद में हुआ था, जिन्होंने स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद लंदन जाकर बैरिस्टर की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद वह भारत वापस लौट आए और अहमदाबाद में वकालत शुरू की, इसी दौरान वह महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित हुए और उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलनों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था।
साल 1918 में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सरदार पटेल ने अहम भूमिका निभाई थी, जिसके बाद साल 1928 में उन्होंने बारदोली सत्याग्रह में किसान आंदोलन का सफल नेतृत्व किया था और भारतीय राजनीति में अपने करियर की शुरुआत की।
भारत की राजनीती में कदम रखने के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल को कई अहम पद संभालने को दिए गए थे, जिसके तहत उन्होंने आजाद भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का पद संभाला था।
भारत की आजाद के दौरान पूरे देश में 562 छोटी बड़ी रियासतें मौजूद थी, जिन्हें भारत में विलय करना बहुत जरूरी था। ऐसे में इस काम को पूरा करने की जिम्मेदारी सरदार पटेल के कंधों पर थी, जिन्होंने सभी रियासतों के राजाओं से बातचीत करके उन्हें भारत में विलय करने के लिए राजी किया था।
भारत में रियासतों का विलय करने का काम बिल्कुल भी आसान नहीं था, लेकिन सरदार पटेल ने अपने प्रयासों से इसे पूरा कर दिखाया था। ऐसे में महात्मा गांधी ने सरदाल वल्लभ भाई पटेल को लौह पुरुष की उपाधि से नवाजा था।
गुजरात में नर्मदा नदी के किनारे सरदार सरोवर बाँध के सामने सरदार पटेल की लौहे की प्रतिमा मौजूद है, जिसकी ऊंचाई 182 मीटर है। इस प्रतिमा को स्टैचू ऑफ यूनिटी के नाम से जाना जाता है, जिसे विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा का दर्जा हासिल है। इस प्रतिमा का उद्घाटन 31 अक्टूबर 2018 को किया गया था, जो सरदार पटेल को समर्पित है।
सरदाल वल्लभ भाई पटेल का विजन था कि भारतीय प्रशासनिक सेवाएँ देश को एक रखने में अहम भूमिका निभा सकती हैं, लिहाजा उन्होंने देश की इन सेवाओं को मजबूत बनाने पर काफी जोर दिया था। यही वजह है कि सरदार पटेल ने सिविल सर्विसज़ को देश का स्टील फ्रेम कहा था।
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जब बारडोली सत्याग्रह आंदोलन को सफलापूर्वक अंजाम तक पहुँचाया था, तो वहाँ की महिलाओं ने सरदार पटेल के सम्मान में उन्हें सरदार की उपाधि दी थी और इस तरह उनके नाम के आगे सरदार जुड़ गया था।
सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत की एकता और अखंडता का सूत्रधार माना जाता है, जिन्होंने सभी रियासतों को एक करने का काम किया था। यही वजह है कि उनके जन्मदिन को भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
सरदार वल्लभ भाई पटेल का निधन 15 दिसम्बर 1950 को मुंबई में हुआ था, लेकिन उन्हें मृत्यु के बाद साल 1991 में भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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