अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन से किसी काम को करता है तो निश्चित ही सफलता उसके कदमों को चूमेगी। चाहे वह काम कितना भी मुश्किल भरा क्यों ना हो। वैसे भी हमारे देश में मेहनती लोगों की कमी नहीं है। खासकर किसान जो बंजर ज़मीन पर भी फ़सल उगाने की काबिलियत रखते हैं।
आज के इस आर्टिकल में हम आपको एक ऐसे ही किसान के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका नाम बृज किशोर मेहता (Brij Kishore Mehta) है और वह बिहार के ही औरंगाबाद (Aurangabad) जिले के कुटूंबा प्रखंड के चिक्की बिगहा (Chikki Bigha) गाँव के रहनेवाले हैं। उन्होंने अपनी सच्ची मेहनत और निष्ठा से बिहार के ज़मीन पर स्ट्रॉबेरी (Strawberry) की खेती कर एक नया उदाहरण पेश किया है और लाखों की कमाई भी कर रहे हैं।
अनेकों गुण है स्ट्रॉबेरी(Strawberry) के
स्ट्रॉबेरी (Strawberry) एक ऐसा फल है जिसके अनेक गुण हैं, जैसे इसमें कई तरह के विटामिन और लवण युक्त पदार्थ पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं। स्वास्थ्य के साथ-साथ यह त्वचा को निखारने, कील-मुहांसे, चेहरे की रंगत और दांतो की सफेदी के लिये भी फायदेमंद होता है।
सब ने कहा स्ट्रॉबेरी (Strawberry) की खेती बिहार में असंभव है
बृज किशोर मेहता (Brij Kishore Mehta) ने अपनी पढ़ाई इण्टरमीडिएट तक ही की है। साल 2012 तक वह एक आम किसान की पुरानी पद्धति से सब्जी उगाया करते थे। लेकिन वह बचपन से ही बिहार की ज़मीन पर स्ट्रॉबेरी (Strawberry) की खेती करना चाहते थे। जब इन्होंने बिहार के ज़मीन पर स्ट्रॉबेरी (Strawberry) की खेती करने का फ़ैसला किया तब इन से लोगों ने कहा कि यहाँ पर बिहार में स्ट्रॉबेरी (Strawberry) की खेती करना असंभव है। लोगों के साथ-साथ कृषि विभाग के ऑफिसर्स ने भी इसे असंभव बताया। लेकिन उन्होंने अपना फ़ैसला नहीं बदला और यह ठान लिया कि वह बिहार की ज़मीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती करेंगे ही।
बृज किशोर मेहता (Brij Kishore Mehta) के परिवार की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं थी इसी वज़ह से उनके बेटे को बाहर जाना पड़ा। उनका बेटा हरियाणा के हिसार जिले में चला गया और वही वह स्ट्रॉबेरी की खेती करना शुरू किया। एक बार बृज किशोर अपने बेटे के पास हरियाणा गए और उन्होंने अच्छी तरह से स्ट्रॉबेरी की खेती का मुआयना किया। उन्होंने वहाँ की जलवायु और मिट्टी को भी देखा जो उन्हें बिहार से मिलती-जुलती नज़र आई। तब उनके मन में यह विचार आया कि जब हरियाणा में स्ट्रॉबेरी की खेती हो सकती है तो बिहार में क्यों नहीं?
पहली ही बार में चार लाख से ज़्यादा मुनाफा हुआ
उसके बाद उन्होंने बिहार आकर बाक़ी किसानों की तरह धान, गेहूँ और सब्जियों की खेती करना बंद किया और कृषि विज्ञान केंद्र के तकनीकी निर्देशन में वर्ष 2013 में स्ट्रॉबेरी की खेती करना शुरू किया। पहली बार खेती करने में उन्हें थोड़ी मुश्किलें तो हुई लेकिन अंततः वह अपनी मेहनत और कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से अपने 16 कट्ठा ज़मीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती करने में सफल हुए। पहली ही बार में उन्हें इसकी खेती से 4 लाख 86 हज़ार का मुनाफा भी हुआ।
लोगों को भी दिया रोजगार
सफल होने के बाद वर्क लोड बढ़ने पर ब्रजकिशोर जी ने खेती के लिए अपने साथ छह मजदूरों को 9 हज़ार की तनख्वाह पर रख लिया। अब उनसे प्रेरणा लेकर वहाँ के कई किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं।
सितंबर महीना उपयुक्त है इसकी खेती के लिए
स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए सितंबर का महीना उपयुक्त होता है और मार्च में उसे निकाल कर बाज़ार में बेच दिया जाता है। अगर आप स्ट्रॉबेरी की खेती 1 एकड़ ज़मीन पर करते हैं तो इसमें लगभग 50 हज़ार की लागत आती है और मुनाफा चार लाख के करीब होता है। स्ट्रॉबेरी की क़ीमत बाज़ार में लगभग 3600 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से है। एक एकड़ ज़मीन पर लगभग 96 क्विंटल स्ट्रॉबेरी उगाया जा सकता है।
लोग औरंगाबाद आ रहे हैं इसकी खेती देखने के लिए
पहले जहाँ बिहार के लोग स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में उतना जानते नहीं थे वहीं अब बिहार के औरंगाबाद की पहचान स्ट्रॉबेरी की खेती से होने लगी है। बिहार के दूसरे जिले के किसान भी स्ट्रॉबेरी की खेती देखने औरंगाबाद आ रहें है।
बृजकिशोर मेहता द्वारा की गई स्ट्रॉबेरी की खेती का देखें वीडियो :-
असंभव को संभव बनाने वाले बृज किशोर मेहता (Brij Kishore Mehta) लोगों के लिए अब प्रेरणा बन चुके हैं। उन्होंने कृषि क्षेत्र में बिहार को एक नए रूप में उभारकर देश के सामने लाया है, जो वाकई काबिले तारीफ है।