HomeGARDENINGसैनिक स्कूल से पढ़ने के बाद कर रहें हैं तरबूज की खेती,...

सैनिक स्कूल से पढ़ने के बाद कर रहें हैं तरबूज की खेती, लाखों की कमाई के साथ दे रहें हैं 200 लोगों को रोजगार

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

अक्सर लोग लोगों की ख़्वाहिश होती है कि वह सैनिक स्कूल से पढ़ाई करें और उसके बाद फ़ौज में जाकर अपने देश की सेवा करें, क्योंकि सैनिक स्कूल में बहुत ही कड़े अनुशासन के साथ बच्चों को पढ़ाया जाता है और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सैनिक स्कूल में पढ़ाई करने के बाद भी दूसरे जरिए से देश की सेवा करते हैं। जैसा कि हम सभी को पता है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और कृषि क्षेत्र में अपना योगदान देना भी देश के लिए बहुत बड़ी सेवा है।

Farmer Rohit Singh
thebetterindia.com

रोहित (Farmer Rohit Singh)

कुछ ऐसा ही किया बिहार (Bihar) के हाजीपुर (Hajipur) के रहने वाले रोहित (Rohit Singh) ने, जिन्होंने अपनी पढ़ाई तो सैनिक स्कूल से पूरी की लेकिन फ़ौज में ना जाकर उन्होंने कृषि क्षेत्र को चुना और आज 150 एकड़ ज़मीन पर खेती कर रहे हैं। रोहित पारंपरिक तरीके से खेती ना करके आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से खेती करने में विश्वास रखते हैं और अपनी खेती के द्वारा एक सीजन में 100 ट्रक से भी अधिक तरबूज बेच रहे हैं, जिससे उनकी कमाई 40 लाख तक हो जाती है।

ड्रिप सिंचाई का करते हैं इस्तेमाल

तरबूजे के साथ-साथ रोहित खरबूजे, खीरे और केले की भी खेती करते हैं। वह खेतों में सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई विधि का प्रयोग करते हैं, जिससे पानी के साथ-साथ खाद की भी बचत होती है। ड्रिप सिंचाई में पानी को बूंद-बूंद करके वॉल्व, पाइप और नालियों आदि का इस्तेमाल करके पौधों की जड़ों में टपकाया जाता है। इस विधि से फसलों या पौधों की जड़ों में पानी अच्छी तरह से पहुँच पाता है। अब तो ड्रिप सिंचाई को कृषि विभाग भी प्रोत्साहित करने की कोशिश में लगा हुआ है और इसके लिए सब्सिडी भी प्रदान करता है। एक नौकरी की तरह रोहित अपने खेतों में भी मेहनत करते हैं और रोजाना 8 से 10 घंटे समय देते हैं।

watermelon
thebetterindia.com

बांग्लादेश तक डिमांड है उनके तरबूजों की

रोहित (Rohit Singh) अपनी फसलों की मार्केटिंग पर भी पूरी तरह से ध्यान देते हैं और यही वज़ह है कि उनके उगाए हुए तरबूज ना केवल बिहार झारखंड और यूपी बल्कि बांग्लादेश में भी उनके तरबूजों की बहुत ज़्यादा डिमांड है। रोहित का ऐसा मानना है कि अभी आगे भी उन्हें कृषि क्षेत्र में बहुत कुछ करना है।

वृद्धाश्रम खोलने की थी ख्वाहिश

रोहित (Rohit Singh) के पिता की ख़्वाहिश थी कि रोहित एक बड़े अधिकारी बने। क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि रोहित उनकी तरह पारंपरिक खेती करके नुक़सान उठाए। लेकिन 12वीं करने के बाद रोहित की दिली ख़्वाहिश थी कि वह एक वृद्धाश्रम खोलें और इसके लिए उन्होंने सब कुछ प्लान भी कर लिया था। लेकिन जब रोहित अपने शहर हाजीपुर के कुछ ऐसे युवाओं से मिले जो बेरोजगार थे तब उन्हें यह एहसास हुआ कि उन्हें पहले वृद्धाश्रम नहीं बल्कि युवाओं को रोजगार देने के लिए कुछ करना चाहिए। तब उन्होंने खेती करने का फ़ैसला लिया और आज के समय में रोहित ने अपने साथ खेती में 200 लोगों को रोजगार दिया है।

Rohit Singh
thebetterindia.com

कई जगह कैंप भी लगा चुके हैं

रोहित (Rohit Singh) ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को खेती से जोड़ने के लिए जगह-जगह कैंप लगाकर उन्हें जागरूक करने का काम करते हैं। वह अब तक कई जगहों जैसे-सारण, मुजफ्फरपुर और हाजीपुर में कैंप लगा भी चुके हैं। इसके साथ ही साथ रोहित को बिहार सरकार के द्वारा भी मदद मिलने की बात कही गई है। उन्होंने किसानों को खेती करने में हो रही समस्याओं को दूर करने के लिए भी कई जगह एग्रीक्लीनिक लगाना शुरू किया है।

रोहित (Rohit Singh) अपनी तरह से भरपूर कोशिश कर रहे हैं कि वह किसानों के पारंपरिक सोच को बदलें और उन्हें आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के लिए प्रेरित करें। आज रोहित को देशभर के किसान अपना प्रेरणास्रोत मान रहे हैं और उनके नक़्शे क़दम पर चलने की कोशिश कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें
News Desk
News Desk
तमाम नकारात्मकताओं से दूर, हम भारत की सकारात्मक तस्वीर दिखाते हैं।

Most Popular