Successful Farmer Praveen Patel – एक तरफ़ जहाँ ज्यादातर युवा कॉलेजों में पढ़ाई करके प्राइवेट सेक्टर में नौकरी के लिए धक्के खा रहे हैं, वहीं गुजरात के लड़के ने किसानी की नई तकनीक सीख कर लाखों का बिजनेस खड़ा कर दिया। बीते कुछ सालों में किसानी के फील्ड में आए इस लड़के ने न सिर्फ़ खेती का नया तरीक़ा सीखा, बल्कि अपने जैसे सैकड़ों युवाओं को किसानी करने के लिए प्रोत्साहित किया है। तो आइए जानते हैं उस शख़्स के बारे में, जो खीरे और खरबूजे की खेती करके 3 महीने में कमाता है 5 लाख से ज़्यादा रुपए।
गुजरात के सूरत ज़िले के कामरेज तहसील में खीरे की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, इसी तहसील में रहते हैं प्रवीण पटेल (Praveen Patel) । प्रवीण का सपना था कि वह इंजीनियर बनकर किसी प्राइवेट कंपनी में आरामदायक कुर्सी में बैठकर नौकरी करें, लेकिन घर के हालातों ने उन्हें खेती करने पर मजबूर कर दिया।
इंजीनियर बेटा बन गया किसान
प्रवीण पटेल ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए पुणे के एक कॉलेज में एडमिशन भी ले लिया था, लेकिन अचानक उनके पिता की तबीयत खराब हो गई। उस समय प्रवीण के पिता जी खेती का काम देखते थे, लेकिन उनकी तबीयत खराब होने के बाद प्रवीण को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी।
गांव में रोज़गार के जरिए पैसा कमाने का कोई साधन नहीं था, लिहाजा प्रवीण ने अपने पिता की जगह पर खेती करने का फ़ैसला किया। प्रवीण के पिता शुरुआत से ही पारंपरिक तरीके से खेती करते थे, जिसे प्रवीण ने भी आजमाया। लेकिन पारंपरिक खेती से प्रवीण को ज़्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था, जिसके बाद उन्होंने किसानी में करियर बनाने का फ़ैसला किया।
इजराइल से सीखी खेती की नई तकनीक
साल 2018 में नई खेती की तकनीक सीखने के लिए प्रवीण पटेल ने इजराइल का रूख किया, वहाँ उन्होंने कई किसानों से मुलाकात की और खेती के नए गुण सीखे। इसके बाद जब प्रवीण वापस अपने गाँव लौटे, तो उनके पास खेतों से मुनाफा कमाने की एक अच्छी तकनीक थी।
प्रवीण ने बिना देरी किए नए तकनीक के साथ खेतों में खीरे की उगाना शुरू कर दिया, इसके लिए प्रवीण ने महाराष्ट्र से 45 हज़ार खीरे के बीज खरीदे थे। प्रवीण ने अपनी आठ एकड़ की ज़मीन पर खीरे की अलग-अलग किस्में उगाई और तीन महीने के अंदर 5 लाख रुपए का मुनाफा कमा लिया।
क्या थी नई खेती की तकनीक
प्रवीण पटेल ने इजराइल से ग्रो कवर की खेती की तकनीक सीखी थे, जिसके तहत उन्होंने खेत में खीरे के बीज बोने के बाद उन्हें 19 दिनों के लिए पॉलीप्रोपाइलीन कवर (ग्रो कवर) से ढंक दिया। ऐसा करने से बीजों को मौसम की मार, ज़्यादा बरसात, सूखा या जानवरों से सुरक्षित रखा जाता है, वहीं कुछ दिनों तक बीजों को कवर करके रखने से मिट्टी में पर्याप्त नमी भी बनी रहती है।
इजराइली अंदाज़ में खेती करने के साथ-साथ प्रवीण लगातार इजराइल के किसानों से फ़ोन और ई-मेल के माध्यम से जुड़े रहे, ताकि वह खेती में किसी तरह की गलती न कर बैठे। इसी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए प्रवीण ने खीरे के साथ-साथ खरबूजे और तरबूज की खेती भी शुरू कर दी।
पॉलीप्रोपाइलीन ग्रो कवर खेती से बीजों के माध्यम से उगाई जाने वाली फ़सल जानवरों और पक्षियों की पहुँच से सुरक्षित रहती है, ऐसे में 19 दिन बाद जब बीज फूटने लगते हैं तो किसानों को फ़सल खराब होने का ख़तरा नहीं रहता। इस तरह की तकनीक से खेती करने का एक फायदा ये भी है कि किसानों को बदलते मौसम की मार झेलने नहीं पड़ती है।
सरकार से मिलती है सब्सिडी, कम लागत में ज़्यादा मुनाफा
प्रवीण को इजराइली तकनीक से खेती करने के लिए राज्य सरकार की तरफ़ से सालाना 38, 500 रुपए की सब्सिडी मिलती है, जबकि ड्रिप इरिगेशन के लिए उन्हें 1.52 लाख रुपए की सब्सिडी भी दी जाती है। प्रवीण के मुताबिक इजराइली तकनीक से बीज रोपने के बाद मात्र 75 दिनों के अंदर फ़सल पककर तैयार हो जाती है, जिसे सीधा बाज़ार में बेचा जा सकता है। उन्होंने आठ एकड़ की ज़मीन में 144 टन खरबूजे की खेती की थी, जिसमें उन्हें 4 से 5 लाख रुपए का मुनाफा हुआ था। देखा जाए तो नई तकनीक से खेती करने में 90 दिन का भी वक़्त नहीं लगता है, जबकि मुनाफा काफ़ी अच्छा मिलता है।
सोशल मीडिया के जरिए चल रहा है बिजनेस
प्रवीण पटेल ने खेती की आधुनिक तकनीक सीखने का साथ फ़सल को घर बैठे बेचने का भी एडवांस तरीक़ा ढूँढ लिया है। वह कभी भी तैयार फ़सल को बाज़ार तक नहीं ले जाते, बल्कि सोशल मीडिया के जरिए दोस्तों, रिश्तेदारों और अपने परिचितों को घर बैठे ही बेच देते हैं। इस तरह घर बैठकर सौदा करने से प्रवीण बिचौलियों को पैसा देने से बच जाते हैं और ज़्यादा मुनाफा कमाते हैं। पिछले साल प्रवीण के तरबूजों को खरीदने के लिए व्यापारी सीधा उनके खेत कर आए थे, जिसकी जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए शेयर की थी। इसके अलावा अगर कोई आर्डर 50 किलोग्राम से ज़्यादा होता है, तो प्रवीण ख़ुद होम डिलीवरी के जरिए कस्टमर्स तक सामान पहुँचाते हैं।
युवाओं से भी करवाना चाहते हैं खेती
प्रवीण चाहते हैं कि जिस तरह उन्होंने आधुनिक खेती की तकनीक सीखकर एग्रीकल्चर के क्षेत्र में नाम और मुनाफा कमाया है, ठीक उसी तरह उनके बच्चे भी किसानी सीखें। प्रवीण अपने बच्चों को अच्छी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में पढ़ाना चाहते हैं, जहाँ से वह आधुनिक और बेहतरीन तकनीक के साथ खेती करने के गुण सीखें।
प्रवीण अपने बच्चों से चेरी की खेती करवाना चाहते हैं, क्योंकि भारत में चेरी उगाने वाले किसानों की संख्या दिन ब दिन घटती जा रही है। प्रवीण हमेशा खेती की नए तकनीक सीखने के लिए उत्सुक रहते हैं, ताकि उनकी कमाई में बढ़ोतरी हो सके। इस साल उन्होंने चेरी के कुछ पौधे भी उगाए हैं और उन्हें उम्मीद है कि इस खेती से भी उन्हें अच्छी कमाई होगी।
ऑर्गेनिक खाद का इस्तेमाल करना सबसे बेहतर
प्रवीण अपनी फ़सल को बेहतर बनाने के लिए ऑर्गेनिक खाद का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि इससे प्रोडक्शन अच्छा होता है। इसके साथ ही प्रवीण इस बात का ख़्याल रखते हैं कि फसलों को उगाने में किसी तरह का केमिकल इस्तेमाल न किया जाए, क्योंकि उससे मिट्टी की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है। प्रवीण अपने खेतों में खाद के साथ-साथ फ़सल को कीड़ों से बचाने के लिए गोमूत्र और नीम के अर्क का इस्तेमाल करते हैं, ताकि खेतों में यूरिया और DAP डालने की ज़रूरत न पड़े।
इसके साथ ही कम पानी में फसलों की सिंचाई करने के लिए प्रवीण ड्रिप इरिगेशन विधि का इस्तेमाल करते हैं, जिसके जरिए कम पानी में अच्छी उपज तैयार हो जाती है। प्रवीण की खेती की नई तकनीक को देखकर सूरत के कई किसान उसने किसानी के गुण सीखने आते हैं, ताकि वह भी आत्मनिर्भर बन सके।
वर्तमान में प्रवीण छोटे से छोटे किसान को आधुनिक टेक्नोलॉजी के लिए खेती करने के सीख दे रहे हैं, ताकि किसान भाईयों की आमदनी में बढ़ोतरी हो सके और भारत के किसान को आत्महत्या करने पर मजबूर न होना पड़े।