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वन विभाग ने नारियल के खोल में उगाए पौधे, शुरू की शहर को प्लास्टिक फ्री बनाने की मुहिम

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Grown Plants in Coconut Shell – आज प्लास्टिक का कचरा सिर्फ़ भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए बड़ी मुसीबत बन चुका है, जिससे निपटने के लिए अनेक प्रकार के तरीके अजमाए जा रहे हैं। वहीं कई देश प्लास्टिक को नदियों के माध्यम से सीधा समुद्र में फेंकने का काम कर रहे हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ने के साथ-साथ जलीय जीवों का जीवन भी संकट में पड़ गया है।

लेकिन गुजरात के वन विभाग ने अपने राज्य को प्लास्टिक फ्री करने के लिए एक बेहतरीन तकनीक शुरू की है, जिसके तहत वह न सिर्फ़ पर्यावरण को बचा रहे हैं बल्कि वेस्ट चीजों का इस्तेमाल भी कर रहे हैं।

नारियल के खोल में पौधे उगाने का आइडिया (Grown Plants in Coconut Shell)

गुजरात के छोटा उदेपुर शहर में वन विभाग ने पर्यावरण को सरंक्षित करने के लिए एक नई और बेहतरीन तकनीक की शुरुआत की है, जिसके जरिए छोटा उदेपुर को प्लास्टिक फ्री बनाना है। इस तकनीक के तहत वन विभाग के अधिकारी नारियल के खोल (Coconut Shell) में पौधे उगाने का काम कर रहे हैं, जबकि पहले इन पौधों को कम माइक्रोन वाली प्लास्टिक बैग में उगाया जाता था।

लेकिन वन विभाग ने जब से नारियल के खोल में पौधे उगाने का काम शुरू किया है, तब से छोटा उदेपुर में प्लास्टिक की खपत बेहद कम हो गई है। दरअसल पौधे उगाने के लिए नारियल के खोल का इस्तेमाल करने का आइडिया वन विभान के अधिकारी सुजल मयात्रा का था, जिन्होंने वेस्ट से वंडर बनाने की तकनीक पर काम किया है।

राज्य को प्लास्टिक फ्री करने का लक्ष्य

वन विभाग अधिकारी सुजल मयात्रा और उनकी टीम ने स्वच्छता अभियान के दौरान कूड़े के साथ-साथ काफ़ी ज़्यादा मात्रा में नारियल के खोल भी इकट्ठा किए थे। इसके बाद सुजल के दिमाग़ में नारियल के खोल को फेंकने के बजाय उनमें बीज बोने और पौधे लगाने का आइडिया आया, जिसे उन्होंने अपने साथियों के साथ शेयर किया।

वन विभाग के दूसरे अधिकारियों को भी सुजल मयात्रा का आइडिया काफ़ी पसंद आया, क्योंकि नारियल के खोल में पौधे लगाने के साथ-साथ कचरा प्रबंधन भी आसान हो गया था। इसके साथ ही अब नर्सरी में पौधे लगाने कम माइक्रोन के प्लास्टिक बैग्स का भी इस्तेमाल नहीं होता है, जिसकी वज़ह से छोटा उदेपुल को प्लास्टिक फ्री बनाने की मुहिम भी शुरू की जा चुकी है।

नारियल खोल में लगाए 1, 500 से ज़्यादा पौधे

वन विभाग ने प्लास्टिक फ्री मुहिम की शुरुआत करते हुए नारियल के खोल में सबसे पहले नीलगिरी और तुलसी समेत सात तरह के औषधिय पौधे लगाए। जब नारियल के खोल में पौधें आसानी से उगने लगे, तो वन विभाग ने नारियल खोल में 1, 500 नए पौधें भी लगा दिए।

नारियल के खोल में पौधे उगाने के लिए सबसे पहले इसे नीचे से काट दिया जाता है, ताकि पौधे को नारियल खोल समेत ज़मीन में लगाया जा सके। ऐसा करने से पौधों की जड़ों को अच्छे से बढ़ने में मदद और पर्याप्त जगह मिलती है। नारियल के खोल बायो-डीग्रेडबल होते हैं, जिसकी वज़ह से पौधे या मिट्टी को किसी तरह का नुक़सान नहीं होता है।

वन महोत्सव में भेंट किए जाएंगे पौधे

वन विभाग के अधिकारी नारियल के खोल में पौधों की अच्छी खेती होती देख काफ़ी खुश हैं, इसलिए वह अगले महीने शहर में आयोजित होने वाले वन महोत्सव में राज्य के सभी नागरिकों को नारियल के खोल में उगाया गया एक-एक पौधा भेंट करेंगे।

वन महोत्सव में लोगों को इस तरह पौधे भेंट करने के पीछे शहर को प्लास्टिक फ्री करने की मुहिम को बढ़ावा देना है, जिसका वन विभाग के अधिकारी बढ़ चढ़ कर प्रचार कर रहे हैं। नारियल के खोल में पौधों की इतनी अलग-अलग प्रजातियाँ उगाई गई हैं कि आम लोग भी अपने घर में इस तरह से पौधे लगा सकते हैं। इससे पर्यावरण में फैलने वाला कचरा तो हम होगा कि साथ में नारियल के वेस्ट खोल का अच्छा इस्तेमाल भी हो जाएगा।

आप भी इस्तेमाल करें नारियल के खोल (Grown Plants in Coconut Shell)

छोटा उदेपुर के वन विभाग द्वारा शहर को प्लास्टिक फ्री बनाने की पहल देखकर यह कहना ग़लत नहीं होगा कि मेरा देश बदल रहा है। अगर आप भी इस बदलाव का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो नारियल पानी पीने के बाद उसके खोल को बिल्कुल न फेंके।

बल्कि नारियल के खोल को अलग-अलग प्रकार के पौधों उगाने के लिए इस्तेमाल करें, आप चाहे तो उन खोलों को रंगों से पेंट भी कर सकते हैं। इससे आपके घर का नॉर्मल-सा गार्डन भी खूबसूरत और आकर्षक बन जाएगा, इससे आप प्लास्टिक का इस्तेमाल करने से भी बचेंगे और पर्यावरण को सुरक्षित रखने में भी अहम योगदान देंगे।

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Shivani Bhandari
Shivani Bhandari
शिवानी भंडारी एक कंटेंट राइटर है, जो मीडिया और कहानी से जुड़ा लेखन करती हैं। शिवानी ने पत्रकारिता में M.A की डिग्री ली है और फिलहाल AWESOME GYAN के लिए फ्रीलांसर कार्य कर रही हैं।

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