Successful Farmer Nanadro B Marak : आज भारत भले ही विकासशील देश से विकसित देश बनने की तरफ़ तेजी से अग्रसर हो रहा है। लेकिन इसे देखकर बहुत से लोगों को लगता है कि भारत की एक बड़ी आबादी जो आजादी के दौरान कृषि के काम से जुड़ी हुई थी, अब वह इससे दूर होती जा रही है। तो हम आपको बता दें कि ऐसा आज भी कतई नहीं है। खासतौर पर उत्तर पूर्वी भारत के हिस्से में।
आज की हमारी ये ख़बर भी उत्तर पूर्वी भारत के मेघालय राज्य से ही जुड़ी हुई है। आज हम आपको मेघालय के एक ऐसे किसान से मिलवाने जा रहे हैं, जो फिलहाल काली मिर्च की खेती करता है। काली मिर्च की खेती से इन्हें लाखों में आमदनी भी हो रही है। क्योंकि इन्होंने लीक से हटकर खेती की इसलिए इन्हें पद्मश्री सम्मान से पुरस्कृत भी किया जा चुका है। आइए जानते हैं कौन हैं ये किसान।
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नानादरो बी. मारक Successful Farmer Nanadro B Marak
इस किसान से आपका परिचय कराएँ इससे पहले आपको बता दें कि मेघालय राज्य में कृषि को लेकर तमाम तरह के नए-नए प्रयोग होते ही रहते हैं। क्योंकि मेघालय आज भी कृषि पर ही आधारित एक राज्य है। यहाँ के ज्यादातर किसान जड़ी बूटी या मसाले की खेती करते हैं। साथ ही यहाँ मानसून की अच्छी बारिश भी मिल जाती है। इसलिए ऐसा संभव होता है।
इन किसान का नाम है नानादरो बी. मारक (Nanadro B Marak) है। जो कि मेघालय में रहते हैं। इनकी उम्र फिलहाल 61 साल है। जो कि फिलहाल करीब पांच एकड़ में काली मिर्च (Black Pepper Cultivation) की खेती करते हैं। ख़ास बात ये है कि ये पूरी तरह से जैविक खाद पर आधारित खेती करते हैं।
विरासत में मिली ज़मीन पर शुरू की खेती
61 साल के नानादरो बी. मारक वेस्ट मेघालय के गारो हिल्स में अग्रणी किसानों में से एक गिने जाते हैं। नानादर को अपनी शादी के बाद ससुराल से पांच एकड़ ज़मीन विरासत में मिली है। इसलिए फिलहाल वह इसी ज़मीन पर खेती करते हैं। उन्होंने इस ज़मीन पर काली मिर्च के 34000 पेड़ लगा रखे हैं। वह बताते हैं कि सबसे पहले उन्होंने अपने खेत में ‘किरा मुंडा‘ नाम की काली मिर्च की क़िस्म उगाई। इस क़िस्म की विशेष बात ये है कि ये मध्यम आकार की होती है।
10 हज़ार की लागत से की थी शुरुआत
नानादरो बताते हैं कि काली मिर्च की खेती की शुरुआत उन्होंने महज़ दस हज़ार रुपए से की थी। इन पैसों से उन्होंने पूरे खेत में दस हज़ार पेड़ लगाए थे। इन पेड़ों से जब उन्हें मुनाफा होता दिखाई दिया तो साल दर साल पेड़ों की संख्या बढ़ाते चले गए। जो कि अब 34 हज़ार तक पहुँच चुके हैं। दस हज़ार से शुरुआत करने वाले नानादरो आज काली मिर्च से लाखों की आमदनी करते हैं।
जैविक खेती को दिया बढ़ावा
नानादरो बताते हैं कि जब उन्होंने अपने यहाँ खेती की शुरुआत की थी तो किसानों में हानिकारक रसायनों के छिड़काव का बोलबाला था। लेकिन उन्होंने तय किया था कि वह केवल जैविक खेती करेंगे। ताकि लोगों की थाली में बिना कीटनाशक वाला भोजन पहुँच सके। जिससे उनकी सेहत पर कभी बुरा प्रभाव ना पड़े। यही वज़ह है कि आज उनकी काली मिर्च की मांग देश के साथ विदेशों तक में हो रही है।
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पर्यावरण को भी दिया महत्त्व
नानादरो मेघालय में जिस जगह खेती करते हैं वहाँ घने जंगल मौजूद हैं। ऐसे में जब उन्होंने खेती का विस्तार करना चाहा जो जंगल आड़े आ गए। वह जंगल के पेड़ों को नहीं काटना चाहते थे। क्योंकि इससे पर्यावरण को भारी नुक़सान पहुँचता है। इसलिए उन्होंने राज्य कृषि और बागवानी विभाग की मदद से इस तरह खेती करने का प्लान तैयार किया जिससे पेड़ भी बचे रहे और खेती का विस्तार भी किया जा सके। जिसमें आज वह बखूबी कामयाब भी हुए।
दूसरे किसानों की भी करते हैं मदद
नानादरो की इन बातों को जानकर आप ये समझ गए होंगे कि वह कोई आम किसान नहीं है। तकनीक के साथ वह सरकार से भी हर संभव मदद लेते रहते हैं। लेकिन उनकी अच्छी बात ये है कि आज वह अपने जिले के तमाम छोटे किसानों की भी खेती में मदद करते हैं। साथ ही उनको देख कर दूसरे किसान भी जैविक खेती की तरफ़ बढ़ रहे हैं। जो कि एक बेहतर संकेत है।
पद्मश्री सम्मान से भी हो चुके हैं सम्मानित
भारत के तमाम बड़े सम्मानों में से एक पद्मश्री सम्मान भी है। जो नानादरो बी. मारक (Nanadro B Marak) को भारत सरकार की तरफ़ से दिया जा चुका है। ये सम्मान उन्हें देश के 72 वें गणतंत्र दिवस के मौके पर दिया गया था। साथ ही सरकार की तरफ़ से उनके जैविक खेती के संकल्प की ख़ूब सराहना भी की गई थी। इस सम्मान के बाद वह दूसरे किसानों के लिए मानो प्रेरणा का स्रोत बन गए हों। आपको बता दें कि नानादरो बी. मारक ने साल 2019 में अपने खेत में उगाई काली मिर्च को बेचकर करीब 19 लाख की आमदनी की थी। इसके बाद तो हर साल उनकी आमदनी बढ़ती ही गई।
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कैसे करते हैं काली मिर्च की खेती
नानादरो बी. मारक बताते हैं कि काली मिर्च के हर पेड़ के बीच लगभग आठ फीट का फ़ासला रखना बेहद ज़रूरी है। इस फासले की वज़ह से ही पेड़ का विकास अच्छी तरह से हो पाता है। साथ ही जब काली मिर्च के पौधे से फलियाँ तोड़ ली जाती हैं, तो इसे सुखाने और निकालने में बेहद सावधानी की ज़रूरत पड़ती है। काली मिर्च के दाने निकालने के लिए सबसे पहले इसे पानी में कुछ समय के लिए डुबोया जाता है, फिर सुखाया जाता है। इसका फायदा ये होता है कि इससे काली मिर्च का रंग अच्छा हो जाता है।
कौन से खाद का करें प्रयोग
किसी भी पौधे को ऊर्जा देने का काम खाद करती है। इसलिए पौधे में खाद हमेशा बेहतर गुणवत्ता का डालना चाहिए। काली मिर्च के हर पौधे में लगभग 10 से 20 किलो खाद डालने की ज़रूरत पड़ती है। ये खाद या तो गाय के गोबर का हो या इसकी जगह वर्मी कम्पोस्ट खाद का भी प्रयोग किया जा सकता है।
मशीन से तोड़े काली मिर्च की फलियाँ
काली मिर्च की फली तोड़ने का सबसे बेहतर विकल्प आज मशीन है। मशीन के द्वारा फलियों को जल्दी और बेहतर तरीके से तोड़ा जा सकता है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि शुरुआत में फलियों में 70 प्रतिशत नमी की मात्रा रह जाती है। जिसे बाद में सुखाकर इसे दूर कर लिया जाता है। यदि इसे सुखाया ना जाए तो संभव है कि काली मिर्च जल्दी खराब हो जाए। इसलिए इसे अच्छी तरह से सूखाना बेहद ज़रूरी है।