तकनीकी के प्रयोग ने हमारी जिंदगी को काफी आसान बना दिया है और आगे भी नई-नई तकनीक हमारी जिंदगी में शामिल होती जा रही हैं। हमारी जिंदगी के कोई भी आयाम तकनीक से अछूते नहीं है और इसमें ‘खेती’ भी शामिल है। आज के समय में खेती में भी नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसी ही एक तकनीक ‘हाइड्रोपोनिक्स‘ (Hydroponic Farming) के इस्तेमाल से चेन्नई के श्री रामगोपाल (Sri Ramgopal) ने 2 साल में 6 करोड का टर्नओवर खड़ा किया है।
आईटी कंपनी चलाते थे श्री राम
चेन्नई की रहने वाली श्री रामगोपाल (Sri Ramgopal) ने इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की थी। उनके पिता की फोटो डेवलप करने की फैक्ट्री थी, लेकिन डिजिटल कैमरे के प्रचलन में आने से वह फैक्ट्री बंद हो गई। यही वजह थी कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद श्रीराम ने चेन्नई में ही कैमरे की एक दुकान खोल ली थी।
श्रीराम अपनी आईटी कंपनी भी चलाते थे। एक दिन उनके किसी दोस्त ने उन्हें ‘हाइड्रोपोनिक्स‘ (Hydroponic Farming) तकनीक से खेती करने का एक वीडियो दिखाया। इस वीडियो को देखकर श्री राम बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने इस तकनीक को अपनाने का फैसला किया।
पिता की फोटो फैक्ट्री में शुरू किया बिजनेस
हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponic Farming) तकनीक का अच्छी तरह से अध्ययन करने के बाद श्री राम ने ‘सिनामेन थिंकलैब प्राइवेट लैब लिमिटेड‘ के नाम से एक स्टार्टअप की शुरुआत की। अपने पिता की खाली पड़ी फैक्ट्री में उन्होंने इसका सेटअप तैयार किया और बिना मिट्टी के फल सब्जियां उगाने की शुरुआत की। इस तकनीक से जहां कस्बाई जगह पर खेती की जा सकती थी, वही पानी भी कम खर्च होता था।
6 करोड़ है श्री राम की कंपनी का टर्नओवर
श्री राम बताते हैं 2014-15 में उनकी कंपनी का टर्नओवर 38 लाख रुपए था, जो 2015-16 में बढ़कर दो करोड़ का हो गया। पिछले 2 सालों में उनकी कंपनी का टर्नओवर 6 करोड़ रुपए का है। हर साल इस बिजनेस में तीन सौ प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। ट्रांसपेरेंसी मार्केट रिसर्च के मुताबिक ग्लोबल हाइड्रोपोनिक्स मार्केट अभी 69,340 लाख डॉलर का है और 2025 में इसके 12,106 लाख अमेरिकी डॉलर के हो जाने की उम्मीद है।
क्या है हाइड्रोपोनिक्स तकनीक? (What is hydroponic farming)
स्कूल में पढ़ाई के दौरान हम लोगों ने यही सीखा कि पेड़-पौधों को पोषण मिट्टी-पानी, खाद और सूर्य के प्रकाश से ही मिलता है, लेकिन हाइड्रोपोनिक्स तकनीक के माध्यम से बिना मिट्टी के मात्र पानी, सूर्य के प्रकाश और पोषक तत्वों के द्वारा पौधों को उगाया जा सकता है। जैसे कभी किसी बोतल में कोई टहनी डालकर उसमें पानी भर कर रख दिया जाए, तो उसमें जड़ आने लगती है, यह तकनीक कुछ वैसी ही है।
हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponic Farming) तकनीक में पानी में लकड़ी का बुरादा, बालू या कंकड़ों को डाल दिया जाता है और पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व एक विशेष घोल के द्वारा डाला जाता है। यह घोल कुछ बूंदों के द्वारा महीने में एक या दो बार ही डाला जाता है। पौधों में ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए पतली नली या पंपिंग मशीन का प्रयोग किया जाता है। इस तकनीक के इस्तेमाल में सिर्फ 20 फीसदी पानी ही खर्च होता है।
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