आधुनिकीकरण के इस दौर में हर चीज आधुनिक हो चुका है चाहे वह खाने पीने की वस्तुएँ ही क्यों ना हो? खेती में भी आजकल लोग तरह-तरह की खादों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे फसलों की पैदावार तेज़ी से हो लेकिन ये स्वास्थ्य के लिए बेहद ही हानिकारक होता है।
ये भी पढ़ें – सिर्फ 24 की उम्र में ही अनुभव ने अपने छत पर उगाए कई मसाले, फूल, सब्जी और फल, खिला रहे मुहल्ले को भी
लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस चलन को बदलने का काम कर रहे हैं और जैविक खेती को प्रचलन में ला रहे हैं और ऐसे लोगों में 2 लोग ऐसे हैं जिनके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जिन्होंने इंजीनियरिंग करने के बाद अपनी जमी जमाई नौकरी को छोड़कर आज खेती कर रहे हैं और यह दोनों किसान अपने ही छत पर खेती कर 700 से 800 किलोग्राम सब्जियाँ उगा रहे हैं।
![kaustubh khare and saahil parekh khetify](https://awesomegyan.co/wp-content/uploads/2020/11/kaustubh-khare-and-saahil-parekh-khetify-terrace-gardening-8.jpg)
इनमें से एक का नाम है कौस्तुभ खरे (Kaustubh Khare) और दूसरे का नाम है साहिल पारिख (Sahil Parikh)। इन दोनों ने IIT (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) खड़गपुर (Kharagpur) से इंजीनियरिंग (Engineering) की डिग्री हासिल की है। ये लोग खेती के लिए ऐसी विधि का प्रयोग करते हैं जिससे कम जगह में पैदावार अच्छी हो और जो स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक हो।
कैस्तुभ और साहिल ने लोगों के इस भ्रम को तोड़ दिया की खेती ज़्यादा ज़मीन और ख़ुद के ही ज़मीन में की जा सकती है। इसलिए यह लोग अपने छत पर ही खेती करते हैं और 700 से 800 किलोग्राम सब्जियाँ उगाते हैं। लोग इन दोनों मित्रो से प्रेरणा लेकर बहुत कुछ सीख सकते हैं और कम जगह में ही खेती कर, ख़ुद का स्वास्थ्य भी सुरक्षित रख सकते हैं।
ये भी पढ़ें – 12 वर्षों से छत पर उगा रहें केमिकल मुक्त सब्जियाँ और पैदावार इतनी कि पड़ोसियों को भी देते हैं: जाने पूरा तरीका
हाइड्रोपोनिक (Hydroponic) तरीके से करते हैं खेती
![kaustubh khare and saahil parekh khetify](https://awesomegyan.co/wp-content/uploads/2020/11/kaustubh-khare-and-saahil-parekh-khetify-terrace-gardening-4.jpeg)
इन दोनों मित्रो ने पारंपरिक खेती को छोड़ हाइड्रोपोनिक विधि को अपनाया है। आपको बता दें कि इस विधि में मिट्टी की और खाद की आवश्यकता नहीं होती। इन दोनों को हाइड्रोपोनिक विधि अपनाने के पीछे एक और कारण यह था कि इसमें मिट्टी का इस्तेमाल नहीं होने से छत पर भार कम पड़ेगा।
हाइड्रोपोनिक विधि से अपने छत पर खेती करने के लिए कैस्तुभ और साहिल मैं सबसे पहले पौधे लगाने के लिए क्यारी बनाई, जिससे पानी छत पर ना गिरे। इस विधि में पौधों में खाद की जगह पानी में ही कुछ ऐसे उर्वरक डाले जाते हैं जिससे पौधों को जड़ों तक पोषण मिलता रहे और पैदावार अच्छी से अच्छी हो।
सिर्फ दो हज़ार की लागत से शुरू की खेती
![kaustubh khare and saahil parekh terrace gardening](https://awesomegyan.co/wp-content/uploads/2020/11/kaustubh-khare-and-saahil-parekh-khetify-terrace-gardening-2.jpeg)
आज दोनों अपनी खेती के इस फैसले से बहुत खुश हैं और सफल भी हो रहे हैं। साथ ही साथ प्राकृतिक तरीके से उगाई गई सब्जियों का स्वाद और आनंद ले रहे हैं। इन्होंने अपने छत पर पालक, भिंडी, टमाटर, बैंगन, मेथी, पोई का साग और हरी मिर्च इत्यादि के पौधे लगाए हैं। इन लोगों ने सिर्फ़ 2 हज़ार की लागत से अपने छत पर हाइड्रोपोनिक तरीके से खेती की शुरुआत की थी, लेकिन आज के समय में इनकी आमदनी लाखों में है।
ये भी पढ़ें – बागवानी के शौक को अपार्टमेंट की छत पर गार्डन बनाकर पूरा किया, उगाए 25 किस्मों के ऑर्गेनिक फल-सब्जियाँ।
खेतीफाई नाम दिया अपने खेती के कार्य को
![kaustubh khare and saahil parekh khetify](https://awesomegyan.co/wp-content/uploads/2020/11/kaustubh-khare-and-saahil-parekh-khetify-terrace-gardening-3.jpeg)
खेती के अपने इस कार्य को इन दोनों दोस्तों ने खेतीफाई नाम दिया है, जिसका उद्देश्य है जन-जन तक खेती की जानकारी पहुँचाना। खासकर बच्चों को खेती के गुण, पौधों की पहचान, बीज, खाद, पोषण इत्यादि के बारे में बताना, जिससे बच्चे आगे चलकर खेती को अपने एक करियर के रूप में चुन सके।
खेतीफाई टीम का आयोजन अब कई विद्यालयों, कार्यालयों और सामाजिक संस्थानों इत्यादि में किया जा रहा है, जिससे लोग ख़ुद के लिए फल, फूल और सब्जियाँ उगाने के लिए प्रेरित हो सके। खेती को करियर के रूप में चुनने के भी कई फायदे हैं, जैसे आपको केमिकल मुक्त फल, सब्जियाँ प्राप्त हो सकेंगे, इससे आपका स्वास्थ्य अच्छा होगा, इससे आप आमदनी के साथ-साथ लोगों को रोजगार भी प्रदान कर सकते हैं और एक आत्मनिर्भर भारत का उदाहरण बन सकते हैं।
कोई व्यक्ति अगर खेतीफाई की टीम से बात करना चाहते हैं तो उन्हें 07011043163 पर कॉल करके जानकारी प्राप्त कर सकतें हैं और उनके फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल से भी जुड़ सकते है।
ये भी पढ़ें – राजस्थान के मरुस्थल में अनार की खेती, सलाना आय 25-30 लाख रुपये, बेटियों को दहेज में दिया 500 अनार के पौधे