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इस नई तकनीक से मटके के अंदर उगा सकते हैं मशरूम, कम लागत में ज्यादा मुनाफा

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Mushroom Cultivation in Matka Pot: इन दिनों भारतीय किसान खेती करने के नए-नए तरीके सीख रहे हैं, ताकि फसल की पैदावार अच्छी हो और उन्हें मुनाफा कमाने का मौका मिल सके। इस कड़ी में हवा में आलू की खेती करने से लेकर मटके में मशरूम की फसल उगाने का नया तरीका (Mushroom Cultivation in Matka Pot) इजाद किया गया है।

भारत में कई किसान मशरूम की खेती (Mushroom ki Kheti) करते हैं, जिसके लिए खेत को अलग रूप रंग प्रदान करना पड़ता है। लेकिन कृषि वैज्ञानिकों ने मटके के अंदर मशरूम की खेती (Mushroom Farming in Matka Pot) करने का नया तरीका खोज निकाला है, जिससे पैदावार बढ़ेगी और किसानों को मुनाफा भी होगा।

Mushroom Cultivation in Matka Pot

मटके में मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation in Matka Pot)

आज तक आपने गागर में सागर भरे जाने की कहावत के बारे में सुना होगा, लेकिन भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने गागर में मशरूम उगाने (Grow Mushroom in Matka Pot) का कारनाम कर दिखाया है। राजस्थान (Rajasthan) के श्रीगंगानगर (Sri Ganganagar) में स्थित कृषि अनुसंधान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra Sri Ganganagar) के वैज्ञानिकों ने मटके के अंदर मशरूम उगाने (Mushroom Farming in Matka Pot) की नई तकनीक विकसित की है, जो अपने आप में बहुत ही आकर्षकजनक है।

इस नई तकनीक से मशरूम उगाने के लिए पुराने और खराब हो चुके मटके का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसमें ड्रिलिंग मशीन की मदद से चारों तरफ छोटे-छोटे छेंद करने होते हैं। इसके बाद उस मटके के अंदर भूसा और खाद समेत कंपोस्ट आदि को भर दिया जाता है, जिसके बाद उसमें मशरूम के स्पॉन बीज लगाकर किसी अंधेरे कमरे में छोड़ देते हैं।

मटके के अंदर ऑयस्टर मशरूम (Oyster Mushroom) यानी ढिंगरी को आसानी से उगाया जा सकता है, जो एक सस्ता और आसान विकल्प है। कृषि अनुसंधान के वैज्ञानिकों ने मशरूम उगाने के लिए इस्तेमाल होने वाली पॉलिथीन बैग को मटके से बदलने का प्रयोग किया था, जिसमें वह मशरूम की खेती करने में सफल हो गए। ये भी पढ़ें – बिहार की ‘मशरूम लेडी’ पलंग के नीचे मशरूम उगा कमा रही अच्छा मुनाफा, राष्ट्रपति के हाथों हो चुकी है पुरस्कृत

घर पर मटके में उगाए मशरूम (Grow Mushrooms in Matka pot at Home)

अगर आप अपने घर पर मशरूम की खेती करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको सबसे पहले पुराने मटके इकट्ठा करने होंगे। इसके बाद उस मटके के चारों तरफ छोटे-छोटे छेद कर लें, ताकि मशरूम की फसल को बढ़ने और फैलने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके।

इसके बाद एक बड़े बर्तन में पानी भरकर उसमें भूसा डालकर अच्छी तरह से मिला लें और फिर उसी मिश्रण में फंगीसाइड डाल दीजिए, ऐसा करने से भूसा अच्छी तरह से फूल जाता है। लगभग 12 घंटे बाद जब भूसा अच्छी तरह से पानी सोख ले, तो फिर उसे खुले में धूप या हवा की मदद से सूखने के लिए डाल दें।

जब भूसा अच्छी तरह से सूख जाए, तो उसे मटके में भरना शुरू कर दें। इस दौरान यह ध्यान रखिएगा कि मटके के हर छेद में मशरूम का स्पॉन बीज लगाने के बाद ही भूसे को अंदर भरना होता है, इसके बाद उन छेदों को रूई या टेप की मदद से बाहर से बंद कर दिया जाता है। आखिर में मटके का मुंह किसी मोटे कपड़े या बोरी से बाँध कर बंद कर दीजिए, ताकि नमी मटके के बाहर न निकल सके।

इसके बाद उस मटके को अंधेरे कमरों में 12 से 15 दिन के लिए रख दिया जाता है, इस दौरान उन्हें न तो सूर्य की रोशनी दी जाती है और न ही मटके के मुंह को खोलकर मशरूम को चेक करना होता है। इस दौरान मशरूम के स्पॉन बीज पूरी तरह से फैल कर विकसित हो जाते हैं, जिसके बाद वह मटके के छेदों पर लगी रूई या टेप को खोल दिया जाता है।

इसके बाद मशरूम के बीज विकसित होकर मटके के मौजूद छेदों से बाहर निकलने लगते हैं, जिससे उन्हें फैलने और बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिल जाती है। इस तरह मशरूम के बीज मटके के अंदर विकसित होते हैं, जबकि उसकी फसल मटके के बाहर तैयार होती है। आपको बता दें कि स्पॉन बीज की क्वालिटी जितनी अच्छी होगी, मशरूम की फसल तैयार होने में उतना ही कम समय लगता है। ये भी पढ़ें – पलायन रोकने के लिए नौकरी छोड़ शुरू की मशरूम की खेती, आज कर रही हैं सालाना 5 करोड़ की आमदनी

मशरूम उगाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं किसान, कम होगा प्रदूषण

कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो इस तकनीक से मटके के अंदर मशरूम उगाने से पॉलिथीन बैग की वजह से फैलने वाले प्लास्टिक प्रदूषण में भारी कमी आएगी, जिससे हमारी नदियाँ और समुद्र सुरक्षित रहेंगे। इसके अलावा मिट्टी से बने मटकों को मशरूम की खेती तैयार होने बाद तोड़कर वापस मिट्टी में मिलाया जा सकता है, जिससे किसानों को भी फसल तैयार करने में समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।

श्रीगंगानगर के कृषि अनुसंधान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra Sriganganagar) में किसानों को इस तकनीक के माध्यम से मटके के अंदर मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation in Matka Pot) करने की ट्रेनिंग दी जा रही है, जिससे भविष्य में किसान कम लागत में मशरूम की अच्छी पैदावार तैयार कर सकते हैं।

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Shivani Bhandari
Shivani Bhandari
शिवानी भंडारी एक कंटेंट राइटर है, जो मीडिया और कहानी से जुड़ा लेखन करती हैं। शिवानी ने पत्रकारिता में M.A की डिग्री ली है और फिलहाल AWESOME GYAN के लिए फ्रीलांसर कार्य कर रही हैं।

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