President Bodyguard of India: भारत समेत विभिन्न देशों के राष्ट्रपति और राजनेताओं का सुरक्षा प्रदान की जाती है, जिसमें जेड या जेड प्लस सिक्योरिटी होती है। ऐसे में भारत में राष्ट्रपति के पद को सबसे बड़ा संवैधानिक पद माना जाता है, जिसकी सुरक्षा व्यवस्था का भी पूरा ध्यान रखा जाता है।
लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारतीय राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए जेड या जेड प्लस सिक्टोरिटी नहीं दी जाती है, बल्कि उनके लिए प्रेसीडेंट्स बॉडी गार्ड्स (पीबीजी) (President’s Bodyguard -PBG) को हायर किया जाता है। पीबीजी (PBG) के बारे में देश के बहुत ही कम लोगों को जानकारी है, जिसकी वजह से आज हम आपको इस रेजिमेंट से जुड़ी खास बातें बताने जा रहे हैं।
क्या है प्रेसीडेंट्स बॉडी गार्ड्स? President’s Bodyguard -PBG
भारत के राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात पीबीजी यानी प्रेसीडेंट्स बॉडी गार्ड्स (President’s Bodyguard -PBG) का अस्तित्व बहुत ही पुराना है, जिसकी नींव आजादी से पहले रखी गई थी। पीबीजी को देश की सबसे पुरानी और एलीट रेजिमेंट में से एक माना जाता है, जिसकी वजह से इसमें शामिल होने वाले कंमाडोज की ट्रेनिंग और हायरिंग बहुत ही मुश्किल होती है। इसे भी पढ़ें – सैनिक स्कूल में कैसे होता है छात्रों का एडमिशन, जानें प्रवेश परीक्षा और फीस से जुड़ी अहम बातें
आपको बता दें कि इस रेजिमेंट को ब्रिटिश शासनकाल के दौरान साल 1773 में गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स (Warren Hastings) के नेतृत्व में पीबीजी की यूनिट बनाई गई थी, जिसका काम वायसराय की रक्षा करना था। उस वक्त इस यूनिट में तकरीबन 48 गार्ड्स हुआ करते थे, जिनकी संख्या बीतते समय के साथ 100 के पार पहुँच गई थी।
हालांकि देश को ब्रिटिश हुकुमत से आजादी मिलने के बाद पीजीबी के अस्तित्व पर संकट गहरा रहा था, लेकिन सरकार द्वारा इस रेजिमेंट को खत्म नहीं किया। इस तरह प्रेसीडेंट्स बॉडी गार्ड्स का अस्तित्व बरकरार रहा, जिन्हें आजाद भारत के राष्ट्रपति पद की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
जाट, सिख और राजपूतों की दी जाती है प्राथमिकता
इस रेजिमेंट में सिर्फ जाट, सिख और राजपूत परिवार से ताल्लुक रखने वाले लोगों की प्राथमिकता दी जाती है, जो राष्ट्रपति भवन से लेकर सरकारी बंगले तक हर जगह राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात रहते हैं। पीबीजी में 170 जवानों के साथ 11 जूनियर कमीशंड ऑफिसर्स भी शामिल होते हैं, जो हर वक्त महामहिम की रक्षा करते हैं।
पीबीजी में जाट, सिख और राजपूत समुदाय के लोगों को प्राथमिकता दिए जाने की मुख्य वजह शारीरिक लंबाई और वजनदार शरीर है। दरअसल इस रेजिमेंट में शामिल सभी जवानों की लंबाई 6 फीट से ज्यादा होती है, जिसकी वजह से वह राष्ट्रपति के नजदीक रहते हुए भी दूर की चीजों पर आसानी से नजर रख सकते हैं।
इतना ही नहीं इस रेजिमेंट के जवान भारतीय सेना की घुड़सवार रेजिमेंट का भी अहम हिस्सा होते हैं, जिसकी वजह से उनकी शारीरिक लंबाई बहुत ज्यादा अहमियत रखती है। गौरतलब है कि पीबीजी में सैनिकों को भर्ती के लिए जाट, सिख और राजपूत समुदाय के लोगों को प्राथमिकता दिए जाने को लेकर कई बार याचिकाएँ डाली जा चुकी हैं, लेकिन कोर्ट ने हमेशा इस फैसले को सही ठहराया है।
आपको बता दें कि पीबीजी रेजिमेंट से राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए सैनिकों का चुनाव बहुत ही सूझ बूझ के साथ किया जाता है, जिसके लिए कमांडोज को लगभग दो साल तक कठोर ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। यह ट्रेनिंग इतनी मुश्किल होती है कि इसे पूरा कर पाने की हिम्मत कुछ चुनिंदा जवानों में ही होती है, फिर उन्हीं जवानों को राष्ट्रपति क सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। इसे भी पढ़ें – Indian Army के सिपाहियों की सैलरी कितनी होती है? जानें पूरी डिटेल्स