एक दौर था जब विश्व में हथियार बनाने और बेचने को लेकर भारत का नाम दूर-दूर तक सुनने में नहीं आता था, लेकिन आज भारत इस क्षेत्र में भी अपने कदम तेजी से आगे बढ़ाते हुए नजर आ रहा है। हाल ही में भारत ने एक्ट ईस्ट पॉलिसी (Act East Policy) के तहत इंडोनेशिया को एंटी शिप वैरिएंट ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos supersonic cruise missile) बेचने के सौदे पर मुहर लगा दी है।
इंडोनेशिया और भारत के बीच होने वाले इस सौदे के साल के आखिर तक पूरा किया जा सकता है, जिसके बाद भारत की गिनती हथियार या मिसाइल बेचने वाले देश के रूप में की जाने लगेगी। इंडोनेशिया से पहले भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल बेची थी, जिससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि भविष्य में आसियान के अन्य देश भी भारत से मिसाइल और हथियार खरीद सकते हैं।
आपको बता दें कि ब्रह्मोस मिसाइल को रूस और भारत ने मिलकर तैयार किया है, जिसे बेचने को लेकर इंडोनेशिया और भारत के बीच लंबे समय से बातचीत चल रही थी और साल के आखिर तक इस सौदे को लेकर दोनों देशों द्वारा समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद जताई जा रही है। इसे भी पढ़ें – लखनऊ में आम लोगों के लिए खुला गया है लुलु मॉल, 50 हजार लोग एक साथ कर सकते हैं शॉपिंग
इंडोनेशिया ने साल 2018 में भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की इच्छा जाहिर की थी, जिसे बाद आसियान भारत कॉमेमोरेटिव समिट का आयोजन किया गया था। इस दौरान इंडोनेशिया समेत आसियान में शामिल अन्य देशों ने ब्रह्मोस और आकाश मिसाइल की तारीफ करते हुए उन्हें खरीदने की इच्छा जताई थी।
भारत और फिलीपींस के बीच हुए समझौते के तहत ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सौदा 37.496 करोड़ डॉलर की कीमत पर तय हुआ था, जबकि अब इंडोनेशिया भी इस मिसाइल को खरीदने में अपनी दिलचस्पी दिखा रहा है। इस मिसाइल को युद्धपोतों पर आसानी से फिट किया जा सकता है, जिससे समुद्री और आसमानी सुरक्षा मिलती है।
ब्रह्मोस मिसाइल को 30 करोड़ डॉलर के बजट में तैयार किया गया था, जिसके हमले की गति 2.8 मैक के आसपास है और यह गति आवाज की गति से लगभग तीन गुना ज्यादा है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि ब्रह्मोस मिसाइल को खरीद कर आसियान के अन्य देश भी सुरक्षित और मजबूत महसूस करना चाहते हैं, जिसमें मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों का नाम भी शामिल है।