भारत में सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही लोग मुंह बनाने लगते हैं, जहाँ कोई भी अच्छे या संपन्न परिवार के लोग अपने बच्चों को पढ़ाना पसंद नहीं करते हैं। लेकिन गुजरात में एक ऐसा सरकारी स्कूल मौजूद है, जो पढ़ाई और अन्य सुविधाओं के मामले में प्राइवेट स्कूलों को कड़ी टक्कर देता है।
इस स्कूल में छात्रों को विज्ञान जैसे कड़ी विषय समझाने के लिए खास मॉडल तैयार किए जाते हैं, जबकि स्कूल की शिक्षा व्यवस्था के सामने हाई फाई स्कूल भी फेल हैं। यहाँ तक कि स्कूल के प्रधानचार्य खुद साफ सफाई का ध्यान रखते हैं, जबकि जरूरत पड़ने पर स्कूल में झाड़ू पोंछा भी लगा देते हैं।
सरकारी स्कूल के सामने फेल हैं मॉडल स्कूल
हम जिस सरकारी स्कूल की बात कर रहे हैं, वह गुजरात (Gujarat) के राजकोट (Rajkot) जिले के एक छोटे से गाँव में स्थित है। इस स्कूल के प्रिंसिपल गिरिश बावलिया (Girish Bavaliya) हैं, जिन्होंने साल 2018 से स्कूल की जिम्मेदारी संभाली है। ऐसे में गिरिश ने बच्चों के विज्ञान जैसे कठिन विषय समझाने के लिए अनोखा तरीका खोज निकाला और कबाड़ की मदद से बेहतरीन मॉडल तैयार कर लिये। इसे भी पढ़ें – दुनिया के पहले शाकाहारी मगरमच्छ बाबिया की मौत, केरल के इस मंदिर की करती थी रखवाली
गिरिश इन्हीं मॉडल्स के जरिए छात्रों को रॉकेट से लेकर अन्य प्रकार की प्रैक्टिकल शिक्षा देते हैं, जिसके लिए वह स्कूल के बाहर मॉडल तैयार करके लगा देते हैं और फिर बच्चों को उससे सम्बंधित जानकारी देते हैं। गिरिश के इस तरीके से बच्चों का मुश्किल विषय भी आसानी से समझ में आ जाते हैं।
प्रिसिंपल खुद करते हैं साफ सफाई
इतना ही नहीं गिरिश एक प्रिसिंपल की तरह ऑफिस रूम में नहीं बैठे रहते हैं, बल्कि वह क्लास रूम में जाकर बच्चों की पढ़ाई में मदद करते हैं। इसके अलावा वह स्कूल को साफ सुथरा बनाए रखने के लिए खुद ही झाडू पोंछा लगाने का काम भी करते हैं। इसे भी पढ़ें – जिले की पहली महिला इलेक्ट्रीशियन बनी सीता देवी, इस काम में पुरुषों को देती हैं कड़ी टक्कर
गिरिश की मानें तो उन्हें इस सरकारी स्कूल को चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि फंड की कमी रहती है और इसकी वजह से वह सफाई कर्मचारी को रोजाना का वेतन नहीं दे सकते हैं। ऐसे में गिरिश खुद की क्लास रूम, कोरिडोर और वॉशरूम की साफ सफाई करते हैं, जिसके लिए वह स्कूल टाइमिंग से 2 घंटे पहले विद्यालय पहुँच जाते हैं।
गिरिश सरकारी स्कूल प्रिसिंपल होकर यह काम करते हैं, इसलिए कई बार उन्हें घरवालों और गाँव वालों के ताने भी सुनने पड़ते हैं। लेकिन गिरिश उनकी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि स्कूल को चलाना उनका कर्तव्य है और उसे पूरा करने के लिए साफ सफाई का काम करने में कोई बुराई नहीं है।
गिरिश बावलिया (Girish Bavaliya) ने अपने कार्यकाल के दौरान एक दिन भी स्कूल से छुट्टी नहीं ली है, जिसकी वजह से उनके रिकॉर्ड की काफी तारीफ की जाती है। इसके साथ ही उन्होंने रॉकेट साइंस, सोलर सिस्टम, वर्ल्ड मैप और अर्थ रिवोल्यूशन का मॉडल भी तैयार किया है, जिसकी मदद से वह छात्रों को पढ़ाते हैं और मुश्किल से मुश्किल कांसेप्ट को आसानी से क्लियर कर देते हैं। इसे भी पढ़ें – इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर शुरू किया चाय बेचने का काम, 3 साल में खड़े किए 7 बड़े चाय के कैफे