अपने आम ज़िन्दगी में हम वैसे लोगों से भी मिलते हैं जिन्हें बनना कुछ और होता है लेकिन हालात और परिस्थितियाँ उन्हें कुछ और बना देती हैं। कुछ लोग ज़िन्दगी के उतार-चढ़ाव को झेल नहीं पाते और हार मान लेते हैं तो वहीं कुछ कठिन परिश्रम करते हैं और परिणामतः उसी क्षेत्र में सफल हो जाते हैं। हमारी आज की कहानी एक ऐसे इंसान की है जिसे बनना पायलट था परंतु वह किसान बनकर आज इसी क्षेत्र में एक अद्वितीय पहचान बना चुका है।
गुजरात के भुज के निकट के ईश्वर पिंडोरिया (Ishwar Pindoria) ने राजकोट से पढ़ाई की और इसके आगे कमर्शियल पायलट की ट्रेनिंग के लिए बड़ौदा चले गए। ट्रेनिंग के दौरान परिस्थितियाँ बदल गई और उन्हें ट्रेनिंग छोड़ पिता का बिजनेस संभालने लगें। किसान परिवार से होने के कारण उनकी रूचि कृषि में भी थी और इसीलिए बिजनेस के दौरान ही उन्होंने खेती से जुड़े काम शुरू कर दिए।
आज एक सफल बिजनेसमैन के साथ-साथ वह एक सफल किसान भी हैं जिनके उपजाये फल खासकर खजूर का देश के साथ-साथ विदेशों में भी डिमांड है और विदेशों तक से लोग उनके फॉर्म विजिट के लिए आते हैं और उनसे तकनीकों को सीखते हैं।
कैस की खेती की शुरुआत
कृषि में नए तकनीकों के लिए प्रसिद्ध इजराइल को इस क्षेत्र में ‘मक्का’ कहा जाता है। जब ईश्वर ने खेती का मन बनाया तो सबसे पहले उन्होनें इजराइल की यात्रा की क्योंकि उन्हें परंपरागत खेती नहीं करनी थी। वह अपने एक दोस्त के साथ मिलकर वहाँ के प्रसिद्ध और बड़े किसानों से मिल उनके खेतों का दौरा किये और उनके तकनीकों को सीखा। उन्होंने सीखा कि कैसे वहाँ के किसान रेतीली मिट्टी में सही तकनीक और तरीक़ा को अपनाकर की खजूर की अच्छी पैदावार कर रहे हैं।
उन्होंने खजूर की खेती का मन बना लिया और वापस आकर उसी तौर तरीकों को अपनाकर आज ना सिर्फ़ कई प्रकार के खजूर बल्कि आम और अनार की भी खेती कर रहे हैं।
ईश्वर के खेतों में प्रयोग किये जाने वाले तकनीक
- Drip सिंचाई- ड्रिप सिंचाई के इस्तेमाल से अच्छी सिंचाई के साथ ही वह लगभग 60% तक जल बचा लेते हैं।
- Drip एरिगेशन- इससे उनके खेतों में खरपतवार नहीं जमता।
- Canopy Management- कैनोपी मैनेजमेंट के द्वारा वह माइक्रोक्लाइमेट मेंटेनेंस करते हैं।
- Post Harvest Management- इसका उपयोग समय पर ग्रेडिंग और पैकेजिंग के लिए होता है।
इन सारी तकनीकों से फ़सल को सही तरीके से उपजा कर उचित समय पर बाजारों में भेज दिया जाता है। इन सब के स्टोरेज के लिए उन्होंने ख़ुद का कोल्ड स्टोरेज भी सेटअप करके रखा है। वह फलों को देश के तमाम मेट्रो सिटीज के साथ-साथ जर्मनी तथा कई अन्य देशों में भी भेजते हैं, जिससे काफ़ी अच्छे फीडबैक आते हैं। इनकी फसलें उच्चतम गुणवत्ता वाली होती है और इनके ब्रांड का नाम ‘हेमकुंड फार्म फ्रेश‘ है। उनकी इन विशेषताओं के लिए उनके खेती को GPA (Good Agriculture Certificate) भी मिल चुका है।
उनके अनुसार उनके फलों के स्वाद और गुणवत्ता आम फलों से बहुत अलग होता है और यही कारण है कि उनके फ़सल अन्य किसानों की फसलों के मुकाबले ज़्यादा में बिकते हैं। उनके खेतों में कई प्रकार के खजूर उगाए जाते हैं, जिनमें ‘बरही’ और ‘लोकल कलर्ड’ तथा अन्य शामिल हैं। इनके फ़सल की एक और विशेषता है कि यह ‘रेजिड्यू फ्री’ होते हैं।
जहाँ अन्य किसानों के खजूर 25 से 30 रूपये किलो बिकते हैं वहीं इनके खजूर 80 से ₹100 प्रति किलो बिकते हैं। ईश्वर आज दुनिया को एक नए प्रकार के खजूर देने के प्रयास में लगे हैं और इसके लिए अपने खेत में ही 10-12 पौधों को चुनकर इनका cross-pollination कर रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने अनार के भी 5000 पौधे लगाए हैं।
ईश्वर हर स्टेप्स को सावधानी से फॉलो करते हैं। उनका मानना है कि अगर एक भी मिस हुआ तो फ़सल के उत्पादन में भारी नुक़सान का सामना करना पड़ सकता है। वह अपने फसलों में जैविक खाद का उपयोग करते हैं जिसमें गोबर की खाद, घर के गीले कचरे की खाद और खेतों में गिरे खजूर के पत्तों की खाद का इस्तेमाल करते हैं।
इसके अलावा वह अन्य किसानों की भी मदद करते हैं। इसके लिए ईश्वर समृद्ध किसानों के साथ मिलकर एक संगठन बनाए हैं और उनके-उनके साथ मिलकर गरीब किसानों के लिए फंड रेज करते हैं, और संगठन के माध्यम से प्रत्येक वर्ष 50 किसानों को पूरे देश की यात्रा करवाई जाती है। जहाँ ये नए तकनीकों को सीखते हैं। जो भी किसान ईश्वर के फार्म पर आता है वह कुछ नया ही सीख कर जाता है।
ये लोग मिलकर कृषि मेला भी लगाते हैं, जिसमें लगभग 2500 किसान बीज और कृषि यंत्रों को सीधे तौर पर कंपनियों से मिलकर अच्छे डिस्काउंट में खरीद पाते हैं। ईश्वर पंडरिया आज अनेक किसानों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं और उन्होंने यह दिखाया है कि अगर हम उचित तकनीक और मेहनत का इस्तेमाल कृषि में करते हैं तो हमें इसका परिणाम काफ़ी सुखद मिलता है।