दोस्तों, हमारे देश में बहुत प्रकार की सब्जियाँ, फल व मसाले काफ़ी महंगी कीमतों पर बिकते हैं, क्योंकि उनकी खेती कम ही की जाती है, या कुछ विशेष जगहों पर ही होती है। जिस तरह से कश्मीरी केसर और कुछ विशेष किस्मों के आम लाखों रुपए किलो के मिलते हैं, उसी तरह एक ऐसी महंगी सब्जी भी है, जो 30000 रुपये किलो तक की मिलती है।
हम बात कर रहे हैं दुनिया के सबसे महंगे मशरूम की, जिसका नाम है ‘गुच्छी’ (Guchi Mushroom) ! चलिए जानते हैं इसकी खासियत…
30, 000 रुपये किलो बिकता है दुनिया का सबसे महंगा मशरूम (Guchi Mushroom)
हम जिस मशरूम की बात कर रहे हैं, वह हिमाचल, कश्मीर व हिमालय के ऊंचे पर्वतीय स्थानों पर ही मिलते हैं। ये गुच्छी मशरूम दुनिया के सर्वाधिक महंगे मशरूम होते हैं और देश की सबसे महंगी सब्ज़ी, जो बर्फ पिघलने के कुछ समय बाद उग आते हैं। इन्हें स्पंज मशरूम भी कहा जाता है। हिमाचल से बड़े होटलों में ही इसकी सप्लाई की जाती है।
कहते हैं कि यह मशरूम पहाड़ों पर बिजली की गड़गड़ाहट व चमक से निकलने वाली बर्फ से उग जाता है। गुच्छी मशरूम शिमला जिले में करीब सारे ही जंगलों में फरवरी महीने से लेकर अप्रैल महीने के मध्य ही मिलती है। ऐसी भी मान्यता है कि जब जंगलों में आग लग जाती है और इस कारण से वे तबाह हो जाते हैं, तो उस जगह पर यह मशरूम काफ़ी अच्छे से उगते हैं। इस मशरूम को उगाया नहीं जाता, यह केवल जंगलों में भटककर खोजना पड़ता है। बता दें कि लोग इसे स्थानीय भाषा में छतरी, टटमोर अथवा डुंघरू भी कहते हैं।
इन्हें खोजना है मेहनत का काम (Where is Gucchi Mushroom found?)
गुच्छी का वैज्ञानिक नाम मार्कुला एस्क्यूपलेंटा है। साधारण तौर पर इसे मोरेल्स भी कहा जाता है। ये मशरूम एक क़िस्म मॉर्शेला फैमिली से सम्बंधित होता है। गुच्छी की तलाश में हिमाचल के लोग मार्च से मई महीनों के मध्य इन जंगलों में पहुँच जाते हैं। यह मशरूम झाड़ियों तथा घनी घास में पैदा होती है, इसलिए इस गुच्छी को खोजने के लिए तेज़ नज़र और कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह गुच्छी मशरूम कई बार तो एक साथ एक जगह पर बहुत सारे भी उग जाते हैं या फिर कई बार उस जगह पर बाद में 2-3 वर्षों तक नहीं उगते हैं।
अतः ज़्यादा संख्या में गुच्छी प्राप्त करने हेतु गाँव के लोग इन जंगलों में आकर सवेरे जल्दी ही इसे खोजने निकल जाते हैं। गाँव वाले गुच्छी को इकट्ठा करके आग पर पकाया करते हैं। जब यह मशरूम सूख जाता है तो इसका वज़न काफ़ी कम हो जाता है। बता दें कि इस सब्जी से अधिक मुनाफा प्राप्त हो इसके लिए गाँव के लोग गुच्छी के सीजन का बहुत इंतज़ार करते हैं।
स्वास्थ्य के लिए अत्यंत फायदेमंद होता है गुच्छी (Gucchi Mushroom)
रेबिसन इलेक्ट्रो होम्योपैथी के CMD डॉ. संजीव शर्मा के मुताबिक गुच्छी मशरूम में ढेर सारी विटामिन्स पाई जाती हैं। इसे खाने से हम बहुत-सी बीमारियों से दूर रहते हैं विटामिन से भरपूर होती है। साथ ही इसमें अच्छी मात्रा में आयरन, विटामिन D, विटामिन B तथा मिनरल्स भी होते हैं। इसके अलावा गुच्छी में लो फ़ैट व हाई ऐंटीऑक्सिडेंट्स, फ़ाइबर भी पाए जाते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि इसका सेवन करने से दिल की बीमारियाँ नहीं होती हैं। इसे मल्टी विटामिन की गोली कहा जाए तो ग़लत नहीं होगा। गुच्छी मशरूम से अलग-अलग प्रकार के स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं। गुच्छी की पुलाव भी लोगों को ख़ूब पसंद आती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, सबसे पहले साल 2021 में इस मशरूम की खेती की गई थी। Indian Council of Agriculture Research की Directorate of Mushroom Research, सोलन में गुच्छी की खेती में कामयाबी प्राप्त की। जबकि हमारे देश में पूर्व में गुच्छी की खेती नहीं की जाती थी। भारत के अलावा अमेरिका, चीन, फ़्रांस इत्यादि इसका उत्पादन किया करते हैं।
विदेशों में भी है भारी डिमांड
आपको बता दें कि ये महंगा और दुर्लभ मशरूम को बड़ी कंपनियाँ व होटल के मालिक फटाफट खरीद लेते हैं। ज़्यादा मात्रा में गुच्छी खरीदने पर बड़ी कंपनियों को यह 10-15 हज़ार रुपये किलो तक मिलता है, वरना इसकी मार्केट प्राइस 25-30 हज़ार रुपये किलो है। ये फायदेमंद मशरूम केवल हमारे देश ही नहीं, बल्कि अमेरिका, यूरोप, फ्रांस, इटली व स्विट्जरलैंड इत्यादि देशों ख़ूब डिमांड में है। इसकी ख़ास वज़ह यह है कि इस मशरूम में औषधीय गुण पाए जाते हैं, अतः इसके नियमित सेवन से दिल की बीमारियाँ तो दूर होती है और साथ ही हार्ट पेशेंट्स को भी इससे ख़ूब फायदा मिलता है। इसमें विटामिन C बहु अच्छी मात्रा में होता है। गुच्छी हे व्यंजन बनाने के लिए सूखे मेवे व घी का उपयोग किया जाता है और इस सब्जी से बने व्यंजन बेहद लजीज होते हैं।
किस मौसम में मिलता है गुच्छी मशरूम? (In which season is gucchi mushroom found?)
यह ख़ास मशरूम फरवरी से मार्च के महीने में उगता है। उत्पादन कम होने के कारण गाँव के लोगों को गुच्छी के अच्छे दाम प्राप्त हो जाते हैं। साथ ही, बहुत से रोगों के इलाज़ के लिए दवाइयाँ बनाने में भी इसका प्रयोग होता है। बहुत से बड़े होटलों में स्पेशल ऑर्डर देकर गुच्छी की डिशेज बनवाई जाती है। यद्यपि, यह सरलता से मिलती नहीं है, जंगलों में मुश्किल से तलाश कर प्राप्त की जाती है। यही वज़ह है कि इसका काफ़ी महत्त्व है।
मोदी जी के सेहतमंद रहने राज है गुच्छी मशरूम (Gucchi Mushroom)
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी जिस समय गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे, उस समय उन्होंने रिपोर्टर्स को बताया था कि उनके फिट न फाइन रहने का राज है हिमाचल प्रदेश में मिलने वाला गुच्छी मशरूम। मोदी जी को यह काफ़ी पसंद है। पहले मोदी जी बहुत वर्षों तक एक पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर हिमाचल में थे, इसलिए वहाँ पर उनके बहुत से दोस्त हैं।
मोदी जी यह मशरूम इस वज़ह से भी पसंद करते है, क्योंकि पहाड़ों पर रहने के लिए वेजिटेरियन लोगों को ज़्यादा प्रोटीन व गर्म तासीर वाले भोजन की आवश्यकता पड़ती है। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी जी रोज़ाना तो यह नहीं खाते, परन्तु उन्होंने यह बात भी कही की उन्हें यह गुच्छी मशरूम बहुत पसंद है। गुच्छी में बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं और इसका नियमित रूप से सेवन करने पर खाने से दिल का दौरा पड़ने की संभावना बहुत ही कम हो जाती है। विदेशों में भी यह ख़ूब पसन्द किया जाता है।
अब मिलेगा GI टैग
कहा जा रहा है कि दुनिया में सबसे महंगे खाद्य पदार्थों में शामिल जम्मू के गुच्छी मशरूम (Gucchi Mushroom) की अब GI टैंगिंग होगी। वहाँ की गवर्नमेंट ने इस दुर्लभ व लाभकारी गुणों से युक्त मशरूम को GI टैग दिलाने हेतु GI रजिस्ट्री चेन्नई में अप्लाई किया है। जिसके लिए सभी फॉर्मेलिटी पूरी हो गई हैं। GI टैग मिलने डोडा गुच्छी मशरूम को सारे विश्व में एक ख़ास पहचान प्राप्त होगी।
प्रधान सचिव नवीन कुमार चौधरी जी ने कहा कि GI टैग डोडा गुच्छी मशरूम को विशेष सुरक्षा प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि इस मशरूम से किसानों व ग्रामीण लोगाें की आर्थिक स्थिति में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। कंसलटेंसी ग्रुप के अध्यक्ष प्रो. गणेश एस हिंगमायर का कहना है कि GI टैग की फॉर्मेलिटी को पूरा करने में डिपार्टमेंट व कृषि विज्ञान केंद्र भद्रवाह ने ख़ास योगदान दिया।