Indian Railway, Frontier Mail : वर्तमान समय में हमारे देश में रेलवे सिस्टम बहुत विकसित हो चुका है। सभी यात्री अपनी-अपनी सुविधानुसार जनरल, एसी, स्लीपर अथवा चेयर कार कोच में टिकट की बुकिंग करते हैं। यद्यपि अब भारत में वंदे भारत एक्सप्रेस (vande bharat express) को सेमी हाई स्पीड में देश हर स्थान पर चलाने की योजना बनाई जा रही है। वंदे भारत में 8 कोच दिए गए हैं और साथ ही इसमें AC तथा कैंटीन की सुविधा भी है।
यह तो शायद आप जानते होंगे की भारत में पहली ट्रेन कब शुरू की गई थी, परन्तु क्या आप यह जानते हैं कि भारत में पहली बार AC ट्रेन कब शुरू हुई थी और कौनसे रूट पर चला करती थी?
ब्रिटिश काल में शुरू हुई थी भारत की पहली AC ट्रेन ‘Frontier Mail’
दरअसल भारत में AC ट्रेन की शुरुआत ब्रिटिश काल से ही हो गई थी। भारत में विभाजन से पूर्व वर्ष 1934 में पहली बार एसी ट्रेन संचालित की गई थी। इस ट्रेन का नाम फ्रंटियर मेल (Frontier Mail) था। फिर बाद में 1996 में इसका नाम गोल्डन टेम्पल मेल हो गया था।
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इसकी शुरूआत 1 सितंबर, 1928 को मुंबई के बैलार्ड पियर स्टेशन से दिल्ली, बठिंडा, फिरोजपुर और लाहौर होते हुए पेशावर (अब पाकिस्तान में) तक हुई थी, पर फिर मार्च 1930 में इस ट्रेन का रूट सहारनपुर, अंबाला, अमृतसर तथा लाहौर की तरफ कर दिया गया।
कोच को ठंडा रखने के लिए होता था बर्फ का उपयोग
ब्रिटिश काल में ट्रेन सिस्टम फर्स्ट और सेकेंड क्लास में बंटा हुआ था, फर्स्ट क्लास में तो सिर्फ अंग्रेज ही यात्रा कर सकते थे। इसलिए अंग्रेजों ने अपनी सुविधा के लिए इसे ठंडा रखने हेतु एसी कोच में परिवर्तित कर दिया था। ठंडा रखने के लिए इस ट्रेन में बर्फ की सिल्लियों का उपयोग होता था। बर्फ को फ्लोर के रखकर कोच को ठंडा किया जाता था।
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60 किमी की स्पीड से चलती थी लग्जरी फ्रंटियर मेल
माना जाता है कि फ्रंटियर मेल ब्रिटीश काल की सबसे लग्जरी ट्रेनों में से एक थी। भाप से चलने वाली इस ट्रेन की स्पीड 60 किमी थी, हालांकि अब यह इलेक्ट्रिसिटी से चलती है। 95 वर्ष पहले शुरू हुई यह ट्रेन 1,893 किमी तक चलते हुए, 35 रेलवे स्टेशनों पर स्टॉप करती है। इसमें 24 डिब्बे हैं, जिसमें 1,300 यात्री सफर करते हैं।