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कई औषधीय गुणों वाला सर्पगंधा की खेती में ये किसान प्रति एकड़ कर रहा है लाखों की कमाई- जाने क्या है तरीका

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अक्सर खेती करने वाले को इस बात की इतनी जानकारी नहीं होती है कि किस चीज का खेती करने पर उन्हें ज़्यादा मुनाफा होगा। इस तरह आज हम आपको एक ऐसे औषधीय पौधे के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें अनेक गुण है, इसके साथ-साथ अगर उसकी खेती की जाए तो यह आपको काफ़ी मुनाफा पहुँचा सकता है और इसी औषधीय पौधे की खेती कर रहे हैं एक किसान जितेंद्र कुमार कुशवाहा (Farmer Jitendra Kushwaha)

जी हाँ इस औषधीय पौधे का नाम है सर्पगंधा (Sarpagandha). बिहार के जलालगढ़ प्रखंड के रहने वाले एक किसान जितेंद्र कुशवाहा (Farmer Jitendra Kushwaha) इसकी खेती कर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। वह पिछले 10 सालों से अनाज उगाने के साथ-साथ अपने 2 से 3 एकड़ ज़मीन पर सर्पगंधा (Sarpagandha) की खेती भी करते हैं। उनके अनुसार इस पौधे को होने में लगभग 18 महीने का समय लगता है। इस पौधे की खेती करने में लागत सिर्फ़ 75 हज़ार की होती है और डेढ़ वर्षो के अंदर ही लगभग 3 से 4 लाख की कमाई हो जाती है। 1 एकड़ ज़मीन पर लगभग 25 से 30 क्विंटल तक सर्पगंधा के पौधे को उगाया जा सकता है।

Farmer-Jitendra-Kushwaha

इसकी क़ीमत लगभग 70 से 80 रूपये प्रति किलो है

इस औषधीय पौधे की अगर क़ीमत की बात की जाए तो बाज़ार में इसकी क़ीमत लगभग 70 से 80 रूपये प्रति किलो है। इस पौधे की सबसे ख़ास बात किया है कि इसकी जड़ से लेकर तने और फल तक का भी इस्तेमाल किया जाता है। यही कारण है कि बाजारों में इसकी मांग बहुत ज़्यादा रहती है। इसकी जड़ से ‘सरपेंटी‘ नामक दवा बनाई जाती है और भी कई तरह के इससे औषधियाँ तैयार की जाती है। इस पौधे की खेती में एक बात का विशेष रूप से ध्यान रखना पड़ता है कि इसके लिए छांव होना ज़रूरी है। यही कारण है कि इस पौधे को लीची और आम के पेड़ के नज़दीक ज्यादातर उगाया जाता है।

sarpagandha-cultivation

क्या है इसकी खेती का तरीका

कृषि खेती वैज्ञानिक डॉ अभिषेक प्रताप सिंह ने बताया कि इस पौधे की खेती के लिए बारिश का मौसम उपयुक्त होता है इसलिए बारिश के मौसम का मौसम शुरू होने के साथ ही इसके बीजों की बुवाई कर दी जाती है। एक हेक्टेयर ज़मीन के लिए लगभग 8 से 10 किलो बीज की आवश्यकता होती है और इसके बाद अगस्त में इसकी रोपाई कर दी जाती है।

इसकी खेती करने से पहले मई में खेतों की जुताई भी करना ज़रूरी होता है। क़रीब डेढ़ से दो सालों में सर्पगंधा की फ़सल तैयार हो जाती है। कृषि वैज्ञानिक सुनील झा के अनुसार सम और समशीतोष्ण जलवायु में सर्पगंधा की खेती ज्यादातर की जाती है।

सर्प काटने पर भी सर्पगंधा पौधे का इस्तेमाल करते हैं

कई सारे औषधीय गुण के साथ-साथ सर्प काटने पर भी कुछ स्थानीय लोग सर्पगंधा पौधे का इस्तेमाल करते हैं। इसे मानसिक रोगी को भी दिया जाता है और यदि पेट में कीड़े हो जाए तो भी गोल मिर्च के साथ इसके जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से ठीक हो जाता है। गर्भवती महिलाओं के प्रसव के दौरान भी सर्पगंधा पौधे को इस्तेमाल में लाया जाता है।

इस तरह हमने जाना कि सर्पगंधा पौधे में कई औषधीय गुण होते हैं इसके साथ-साथ इसकी खेती कम लागत में ज़्यादा मुनाफा देती है।

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News Desk
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