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जाने मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है, हिंदू पुराणों में क्या है इसके पीछे की मान्यताएँ

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मकर संक्रांति एक ऐसा त्यौहार है, जिसमें आसमान नीले रंग के बजाय रंग बिरंगा दिखाई देता है। हर नदियों के किनारे बच्चे पतंग उड़ाते और मस्ती करते हुए नज़र आते हैं। सनातन धर्म में कहा जाता है कि इस दिन से ही सारे त्यौहार शुरू होते हैं। इस त्यौहार को लेकर बहुत तरह की मान्यताएँ हैं। मकर संक्रांति का त्यौहार हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। लेकिन किसी-किसी साल तिथि के अनुसार यह बदलकर 15 जनवरी को भी हो जाता है। जानिए 2021 में मकर संक्रांति का त्यौहार किस दिन मनाया जाने वाला है और इसकी क्या मान्यताएँ हैं?

आपको बता दें तो इस साल भी यानी 2021 में 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति त्यौहार मनाया जाने वाला है। उस दिन इस त्यौहार के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 8.30 बजे से 12.30 बजे तक है, जिसकी अवधि 4 घंटे 26 मिनट है। वहीं महापुण्य काल का समय है सुबह 8:03 से लेकर 8:27 तक है। इस तरह इस साल यह अवधि केवल 24 मिनट की है।

जानिए क्या है हिंदू पुराणों में इसकी मान्यताएँ

मान्यताओं और हिंदू पुराणों में दिए हुए कथाओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही भगवान सूर्य अपने पुत्र भगवान शनि के पास जाते हैं और उसी समय भगवान शनि मकर राशि का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं। शनि जो मकर राशि के देवता हैं, इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार ऐसा भी कहा जाता है कि अगर मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर जब कोई पिता अपने पुत्र से मिलने जाता है, तो उनकी सारी समस्याएँ दूर हो जाती हैं।

अगर आप कुछ बातों का विशेष ध्यान रखेंगे तो यह आपके लिए बहुत अच्छा साबित होगा

  • सबसे पहले इस दिन सुबह जल्दी उठकर नदी में स्नान करना चाहिए। अगर आपके पास आसपास नदी नहीं है तो आप घर पर भी पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
  • सभी को नहाने के बाद साफ़ कपड़े पहनने होते हैं।
  • उसके बाद एक साफ़ पूजा की चौकी लेकर उस पर गंगाजल छिड़कें और उसपर लाल वस्त्र बिछाएँ।
  • फिर चौकी पर लाल चंदन से आप अष्टदल कमल बनाएँ।
  • अब उस चौकी पर सूर्यदेव के चित्र या तस्वीर को स्थापित करें।
  • चित्र स्थापित करने के बाद सूर्यदेव के मंत्रों (ऊँ सूर्याय नम:) का जाप करें।
  • सूर्यदेव को तिल और गुड़ से बने हुए लड्डुओं का भोग अवश्य लगाना चाहिए।

खिचड़ी का क्या है विशेष महत्त्व

मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि चावल चंद्रमा का और काली दाल शनि का प्रतीक है। तो वहीं हरी सब्जियाँ का सम्बंध बुध से है। ऐसा कहा जाता है कि खिचड़ी की जो गर्मी होती है वह व्यक्ति को मंगल और सूर्य से जोड़ती है। इसलिए इस दिन खिचड़ी खाने से राशि में ग्रहों की स्थिती मज़बूत होती है।

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News Desk
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