मेहनती और लगनशील लोगों के रास्ते में आए पत्थर भी फूल बन जाते है जब उसे कुछ करने का जूनून हो। इन पंक्तियों पर सटीक बैठती है इस 9वी कक्षा के विद्यार्थी की कहानी जिसके पास अगले कक्षा की पढ़ाई के लिए कॉपी-किताब, क़लम के पैसे नहीं थे। पैसे के अभाव में वह आम के पत्ते का झालर बनाकर बेचने के लिए हुबली आया हुआ था। इसी दौरन एक पुलिस वाले ने जब उसकी ऐसी दशा देखी, तो मदद को आगे हाथ बढ़ाया।
ये भी पढ़ें – कोरोना में माँ का काम छूटने पर 14 वर्षीय बेटा चाय बेचकर चला रहा घर ख़र्च, पिता कि भी हो चुकी है
आपको बता दे कि कुमार नाम का यह लड़का हुबली जिले के तदासीनकोप्पा गाँव का रहने वाला है, कुमार का पढ़ाई के प्रति बहुत लगाव है, बहुत मेहनती और लगनशील विद्यार्थी है परन्तु देश में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के कारण इसके परिवार की आर्थिक स्थिती खराब हो गई जिसके कारण इसके पढ़ाई के खर्चे नहीं निकल पा रहे थे। कुमार सरकारी उच्च विद्यालय में पढ़ता था और पढ़ाई के लिए उपयोगी वस्तुए कांपी-किताब क़लम इत्यादी ख़ुद के पैसे से खरीदना पड़ता था लेकिन उसके पास पैसे की काफ़ी तंगी थी।
इस वज़ह से वह अपने चाची के साथ आम के पत्ते का बना झालर बेचने अपने गाँव से हुबली आया था। जब वह झालर बेचने के लिए ग्राहको के इंतज़ार में शहर के संगोली रायना सर्कल में खड़ा था तभी उसपर हुबली ट्रैफिक पुलिस स्टेशन के कंस्टेबल शंभु राडर की नज़र पड़ी उन्होंने देखा कि लड़के के पीठ पर 2 बड़े बैग लदे है तो उन्होंने पुछताछ शुरु कर दी, कंस्टेबल को जानकारी देते हुए उसकी चाची ने बताया कि आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई के ख़र्च के लिए पैसे कमाने के लिए वे झालर बेचने हुबली आए थे और उस दिन छुट्टी का दिन था।
उनकी बातें और उस लड़के के जज्बे के बारे में जानकर कंस्टेबल शंभु राडर बेहद प्रभावित हुए और वे उन दोनों को अपने साथ लेकर बगल के एक बुक स्टोर पर ले गए और कुमार के लिए उपयोगी किताबे, काँपी और क़लम खरीद दिए। पढ़ाई का सामान पाकर उसके चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान थी इसके साथ ही सिपाही के दिल में सुकून।
अगर आप हुबली के आस-पास रहते हैं या किसी तरह से इस बच्चे की मदद कर सकते हैं, तो प्लीज़ कर दीजिये।