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सफेद मोती जैसा साबूदाना कैसे तैयार होता है और साथ ही इसके खाने के क्या हैं फायदे और नुकसान

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इन दिनों देशभर में नवरात्रि पर्व मनाया जाता है। लॉकडाउन के चलते भले ही इस बार मंदिरों में रौनक कम नज़र आ रही हो। पर लोग आस्था के इस पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। बहुत से लोग नवरात्रि में व्रत भी रखते हैं। हालांकि, व्रत लोग अपनी इच्छा अनुसार रखते हैं। कोई आगे पीछे और कोई नौ दिन का व्रत रखता है। इन व्रत के दिनों में भी साबूदाना (Sabudana) खाने की इजाज़त होती है। वज़ह है कि साबूदाना (Sabudana) बेहद पवित्र माना जाता है।

लेकिन साबूदाना (Sabudana) को लेकर लोगों के बीच बहुत-सी भ्रांतियाँ फैली हुई हैं। क्योंकि इसे बेहद ही पवित्र मानते हैं। इसलिए बहुत से लोग मानते हैं कि इसे फैक्ट्रियों में बनाया जाता है। साथ ही पैरों तक से मसला जाता है। ऐसे में वह मानते हैं कि इसे व्रत के दौरान नहीं खाया जाना चाहिए। लेकिन आइए आज हम आपको विस्तार से समझाते हैं कि आख़िर साबूदाना कहाँ और कैसे बनता है।

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पेड़ के तने से बनता है साबूदाना (Sabudana in Hindi)

साबूदाना (Sabudana) से लोग खिचड़ी (Sabudana Khichdi), पापड़ और खीर (Sabudana Kheer) के साथ कई सारे व्यंजन बनाते हैं। साबूदाने को बहुत से लोग अनाज समझते हैं, लेकिन साबूदाना वास्तव में कोई अनाज नहीं बल्कि ये एक पेड़ के तने से प्राप्त किया जाता है। साबूदाने की शुरुआत दुनिया के मानचित्र में पूर्वी अफ्रीका से हुई थी। वहाँ मिलने वाले एक विशेष प्रकार के पेड़ सागो पाम (Sago) के तने के गूदे से इसे निकालकर तैयार किया जाता है। सबसे पहले इस पेड़ के तने के गूदे को काटकर अलग कर लिया जाता है। जिसके बाद इसे मशीनों के द्वारा आटे की तरह बारीकी से पीस लिया जाता है।

पीसने के बाद जब ये पूरी तरह से पाउडर बन जाता है, तो इस पाउडर को छानकर गर्म किया जाता है। गर्म करने के बाद इसे छोटे-छोटे दानों में बना कर रख लिया जाता है। साबूदाना को तैयार करने के लिए जिस कच्चे माल का उपयोग किया जाता है उसे टैपिओका रूट (Tapioca Root) कहा जाता है। इसे बहुत से लोग कसावा के नाम से भी जानते है।

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कई महीने में तैयार होता है साबूदाना

कसावा देखने में एकदम शकरकंद जैसा लगता है। टैपिओका स्टार्च जो कि कसावा से ही बनाया जाता है। साबूदाने को बनाने की बेहद ही कठिन प्रक्रिया है। सबसे पहले कसावा के गूदे को काटकर बड़े-बड़े बर्तनों में रख लिया जाता है। इसके बाद इन बर्तनों में नियमित तौर पर 4 से 6 महीने तक रोजाना पानी डाला जाता है। इसके बाद इसी गूदे को बड़ी-बड़ी मशीनों में डाल दिया जाता है। इसके बाद साबूदाने को बनाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुँच जाती है।

इस तरह साबूदाने में आती है मोती जैसी चमक

आपने जब भी साबूदाने को दुकान से खरीदा होगा तो देखा होगा कि साबूदाने हमेशा मोतियों की तरह चमकते रहते हैं। लेकिन ये चमक इनकी अपनी नहीं होती। इसके लिए साबूदाना जब तैयार हो जाता है तो इसे सुखाया जाता है। सूखाने के बाद इस पर ग्लूकोज और स्टार्च की पॉलिश की लेप चढ़ाई जाती है। पोलिश के बाद ये साबूदाने किसी मोती से कम नहीं लगते। माना जाता है कि यदि इन पर पॉलिश ना की जाए तो शायद ही इन्हें बाज़ार में कोई खरीदना पसंद करें।

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भारत में भी यहाँ होता है उत्पादन

साबूदाने का उत्पादन अब भारत में भी बड़े पैमाने पर होता है। लेकिन इसके उत्पादन को लेकर एक अफवाह फैली हुई है कि इसका उत्पादन बड़े ही बुरे तरीके से किया जाता है। जिसमें पैरों तक से इसे मसला जाता है। लेकिन आज हम आपको बता दें कि इसके उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर आधुनिक मशीनें लगाई गई हैं। इसलिए भारत का साबूदाना भी उतना ही पवित्र होता है, जितना बाहर का।

भारत में साबूदाने के उत्पादन की शुरुआत 1943-44 के दौरान हुई थी। लेकिन अब इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर तमिलनाडु राज्य में किया जाता है। इसे यहाँ बनाने के लिए टैपिओका नाम के पौधे की जड़ों से दूध निकाला जाता है। फिर इसे छानकर छोटे-छोटे दानों में बना लिया जाता है। इसके बाद आगे की प्रक्रिया पूरी की जाती है। आपको बता दें कि कसावा सबसे ज़्यादा सेलम में उगाया जाता है। इसलिए टैपिओका स्टार्च के सबसे ज़्यादा प्लांट भी सेलम में ही स्थापित किए गए हैं।

साबूदाने को खाने के क्या हैं फायदे (Sabudana Benefits)

वैसे तो साबूदाना खाने के कई फायदे हैं। लेकिन उनमें से सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये इतना हल्का होता है कि इसे व्रत के दौरान बिना काम किए भी पचाया जा सकता है। साथ ही इसमें कार्बोहाइड्रेट के साथ कैल्शियम और विटामिन-सी भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यही वज़ह है कि लोग इसे व्रत दौरान ख़ूब खाते हैं। इसे खाने से शरीर को भरपूर ऊर्जा मिलती है, जिससे कई दिनों तक व्रत रखने पर भी शरीर में कमजोरी का एहसास नहीं होता।

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साबूदाने के ये हैं नुकसान (Sabudana Side Effects)

साबूदाने (Sabudana) खाने के फायदे के साथ नुक़सान भी है, जो कि आपको जान लेना ज़रूरी है। इसका सबसे बड़ा नुक़सान ये है कि यदि इसे ज़रा भी कच्चा खा लिया जाए तो ये जान लेवा सिद्ध हो सकता है। क्योंकि कसावा बेहद जहरीला पदार्थ होता है। कसावा साइनाइड पैदा करता है, जो कि मानवीय शरीर के लिए बेहद घा तक होता है।

साथ ही साबूदाने (Sabudana) में भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी पाई जाती है। जो कि शरीर का वज़न बढ़ाने में बड़ी भूमिका अदा करती है। ऐसे में यदि आप मोटापे से परेशान हैं तो साबूदाने का कतई सेवन ना करें। इससे आपका मोटापा बहुत तेजी से बढ़ सकता है। साथ ही इसे हमेशा अच्छे से पका कर भी खाएँ। ताकि कभी भी साबूदाना खाने की वज़ह से आपको अस्पताल जाने की नौबत ना आए।

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News Desk
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तमाम नकारात्मकताओं से दूर, हम भारत की सकारात्मक तस्वीर दिखाते हैं।

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