किसी भी पढ़े लिखे युवा के लिए एक अच्छी नौकरी करना सबसे बड़ा सपना होता है, जिसके लिए वह दिन रात पढ़ाई करता है और अच्छे अंकों से पास होने की कोशिश करता है। हालांकि ऐसा ज़रूरी नहीं है कि प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी से अच्छे अंकों के साथ पास होने के बाद आपको बाबू वाली नौकरी मिल जाए, क्योंकि आज के दौर में भारत में बेरोज़गार युवाओं की संख्या काफ़ी तेजी से आगे बढ़ रही है।
ऐसे में बुंदेलखंड की बंजर ज़मीन पर खेती करने वाले प्रेम सिंह (Prem Singh) की कहानी न सिर्फ़ आपको प्रेरित करेगी, बल्कि यह समझने में भी मदद करेगी कि पढ़े लिखे युवा भी खेती करके अच्छा बिजनेस चला सकते हैं-
उच्च शिक्षा हासिल करके खेती में अजमाया हाथ
बुंदेलखंड के बांदा ज़िले में बंजर ज़मीन खेती करने का ख़्याल कई किसानों की रात की नींद उड़ा देता है, ऐसे में जब एक पढ़ा लिखा युवा उसी बंजर ज़मीन में खेती करने का फ़ैसला करे तो उसका यह फ़ैसला सैकड़ों लोगों को चौंका सकता है। बुंदेलखंड की गिनती भारत के उन क्षेत्रों में की जाती है, जहाँ पानी की बहुत ज़्यादा कमी है और लोगों को पीने के पानी के लिए टैंकर और मालगाड़ी पर निर्भर रहना पड़ता है।
इसी वज़ह से सैकड़ों लोग बुंदेलखंड से पलायन करने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि उनके पीने के पानी की ज़रूरत पूरी नहीं हो पाती। इस स्थिति में बुंदेलखंड के लोगों को खेती करने के लिए पर्याप्त मात्रा में जल मिलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। हालांकि बुंदेलखंड के बांदा ज़िले के बड़ोखर गाँव में रहने वाले प्रेम सिंह पिछले 30 सालों से न सिर्फ़ यहाँ की बंजर ज़मीन पर खेती कर रहे हैं, बल्कि अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं।
PCS किया क्रैक, लेकिन नौकरी के बजाय खेती में लगाया पूरा समय
बांदा ज़िले से तकरीबन 15 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद बड़ोखर गाँव में किसान प्रेम सिंह को बच्चा-बच्चा जानता है, जिनके घर का पता किसी को भी आसानी से मिल जाएगा। वज़ह है उनकी खेती करने का बेहतरीन स्टाइल, जिसकी वज़ह से प्रेम सिंह ने छोटे से गाँव में बड़ा-सा मकान बनाने में सफलता हासिल की।
प्रेम सिंह (Prem Singh) ने साल 1987 में स्कूली शिक्षा पूरी की थी, जिसके बाद उन्होंने PCS क्रैक किया। उस समय प्रेम सिंह के परिवार को खेती से सालाना दो से ढाई लाख रुपए की कमाई होती थी, लेकिन उस दौर में शहर में नौकरी करना समाज की नजरों में अच्छा नहीं माना जाता था लिहाजा प्रेम सिंह ने नौकरी न करके खेती करने का फ़ैसला किया।
कड़ी मेहनत के बावजूद भी नहीं हुआ मुनाफा
प्रेम सिंह ने अपने पिता जी के सामने खेती करने की इच्छा जाहिर की, जिसके बाद उनके पिता जी ने उन्हें खेत संभालने का काम दे दिया। साल 1988 से 1992 के बीच प्रेम सिंह ने दिन रात खेतों पर मेहनत की और फ़सल उगाने की बारीकियों पर काम किया। हालांकि इस बीच उनकी आमदनी में कुछ ख़ास बढ़ोतरी नहीं हुई थी, जिसकी वज़ह से प्रेम सिंह सालाना कमाई से बचत नहीं कर पा रहे थे।
ऐसे में प्रेम सिंह (Prem Singh) को एहसास हुआ कि शायद उनके खेती करने के तरीके में कोई गड़बड़ है, जिसके चलते ज़्यादा मेहनत करने के बाद भी मुनाफा नहीं हो रहा। इसलिए प्रेम सिंह ने फ़सल के लिए इस्तेमाल होने वाले बीज, खाद और पानी आदि की गुणवत्ता पर ध्यान देना शुरू किया, जिसके बाद उन्हें खेती में आ रही समस्या के बारे में पता चला।
इंटीग्रेटेड फार्मिंग ने बदला खेती करने का स्टाइल (Integrated Farming)
प्रेम सिंह (Prem Singh) ने साल 1992 में इंटीग्रेटेड फार्मिंग (Integrated Farming) पर ध्यान देना शुरू किया और 25 एकड़ की ज़मीन को तीन अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया। इसके बाद उन्होंने ज़मीन के एक हिस्से में बाग़ बनाया, दूसरे हिस्से में तालाब और ज़मीन के तीसरे टुकड़े पर अनाज और सब्जियों की खेती शुरू कर दी। इस तरह ज़मीन का बंटवारा करने से प्रेम सिंह की क़िस्मत रातों रात बदल गई, क्योंकि उनकी इनकम के साधन बढ़ गए थे।
प्रेम सिंह ने बाग़ में आम, अमरूद, नींबू और आंवला जैसे फलों की खेती की, जिसे प्रोसेसिंग के बाद आचार तैयार किया जाता है। वहीं ज़मीन के जिस हिस्से में अनाज उगाया जाता है, उसमें धान, गेहूँ और दालों की खेती की जाती है। इसी अनाज से मल्टी ग्रेन आटा और दलिया जैसे प्रोडक्ट्स तैयार किए जाते हैं, जिससे प्रेम सिंह की आमदनी काफ़ी ज़्यादा बढ़ जाती है।
इतना ही नहीं प्रेम सिंह (Prem Singh) ने ज़मीन के जिस हिस्से में तालाब बनाया है, उसमें वह मछली पालन के जरिए पैसा कमा रहे हैं। इस तरह अलग-अलग चरण में खेती करने से प्रेम सिंह को दो फायदे होंते हैं, एक तो उनका मुनाफा बढ़ जाता है और दूसरा अगर कोई फ़सल खराब हो जाए, तो उसकी भरपाई दूसरी फ़सल से हो जाती है।
विदेशों से किसानी के गुण सीखने आते हैं लोग
बुंदेलखंड के किसान प्रेम सिंह की कहानी लाखों लोगों को प्रेरित तो करती ही है, साथ ही अपनी ज़मीन के प्रति लोगों के मन में प्रेम की भावना भी जागृति करती है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अब तक प्रेम सिंह पास लगभग 18 अलग-अलग देशों के किसान खेती के गुण सीखने आ चुके हैं, जिसमें अमेरिका, लंदन और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों से आने वाले किसानों की संख्या सबसे ज़्यादा हैं।
इसके अलावा प्रेम सिंह (Prem Singh) भारत में हर साल तकरीबन 3 हज़ार से भी ज़्यादा किसानों को खेती ट्रेनिंग देते हैं, ताकि किसान भाई ज़्यादा से ज़्यादा मुनाफा कमा सकें। प्रेम सिंह की उम्र इस वक़्त 59 साल है, लेकिन खेती से होने वाले मुनाफे और सुकून की चमक उनके चेहरे पर साफ़ साफ दिखाई देती है। इसके साथ ही प्रेम सिंह गाय, भैंस और बकरी पालन के जरिए भी काफ़ी मुनाफा कमा रहे हैं, जिससे उन्हें सालाना 20 लाख तक कमाई हो जाती है।
विदेशी मेहमानों के लिए ख़ास इंतजाम
प्रेम सिंह (Prem Singh) विदेश से आने वाले लोगों को खेती की गुण तो सीखते ही हैं, साथ में उनकी मेहमान नवाज़ी में भी कोई कसर नहीं छोड़ते। उन्होंने अपने बगीचे में विदेशी मेहमानों के ठहरने के लिए छोटे-छोटे मिट्टी के डिजाइनर घर तैयार किए हैं, जो बेहद खूबसूरत और आकर्षक लगते हैं।
विदेशी मेहमानों के घर के पास ही प्रेम सिंह ने एक बड़ा-सा हॉल बनवाया है, जिसमें किसानों से सम्बंधित इतिहास की झलक देखने को मिलती है। आसान शब्दों में कहा जाए तो बुंदेलखंड के इस किसान ने अपने बगीचे में फार्मर म्यूजियम भी बनाया है, जिसका इतिहास देखते ही बनता है। प्रेम सिंह का सपना है कि भारत के किसानी इतिहास को पूरा दुनिया जाने और इसी क्रम में उन्होंने फार्मर म्यूजियम बनाया है, जिसे एक दिन प्रेम सिंह बहुत बड़े म्यूजियम में तब्दील करने का सपना देखते हैं।
क्या है इंटीग्रेटेड फार्मिंग (Integrated Farming)
प्रेम सिंह (Prem Singh) की कहानी जानने के बाद आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि इंटीग्रेट फार्मिंग क्या होती है और इससे कैसे मुनाफा कमाया जा सकता है। दरअसल इंटीग्रेटेड फार्मिंग (Integrated Farming) का आसान मतलब है- ज़मीन पर एक ही समय में कई अलग-अलग फसलें उगाना। इसके लिए ज़मीन को कई टुकड़ों में बांट दिया जाता है और फिर अपनी सुविधानुसार किसान उसमें फ़सल या सब्जियाँ उगाते हैं।
इंटीग्रेटेड फार्मिंग (Integrated Farming) का सबसे बड़ा फायदा यह है कि एक फ़सल खराब होने की स्थिति में किसान दूसरी फ़सल से कमाई कर सकता है। इससे समय के साथ-साथ फ़सल की क़ीमत और मुनाफा दोनों कमाया जा सकता है, इसके साथ ही किसान अच्छी खासी बचत भी कर सकता है।