जिंदगी कभी एक जैसी नहीं रहती। समय का पहिया कभी हमारे मुताबिक चलता है, तो कभी हमारी सोच के उलट भी चलने लगता है। लेकिन वास्तव में वही कामयाब होता है जो विपरीत समय में भी धैर्य नहीं खोता है।
आज हम आपको एक ऐसे ही युवक के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी अच्छी भली ज़िन्दगी चल रही थी लेकिन घर पर आई बीमारी ने मानो उसकी ज़िन्दगी का रास्ता ही मोड़ दिया। आइए जानते हैं क्या है उस युवक की कहानी और कैसे विपरीत हालातों में भी उसने ख़ुद को संभाला।
अंकुश चौहान (Ankush Chauhan)
इस युवक का नाम अंकुश चौहान (Ankush chauhan) है और ये यूपी के मेरठ (Meerut) जिले के रहने वाले हैं। इनका घर मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर रजपुरा ब्लॉक के गेसुपुर गाँव में पड़ता है। इन्होंने एमबीए फाइनेंस (MBA Finance) से अपनी पढ़ाई पूरी कर रखी है। ये एक अच्छी कंपनी में नौकरी कर रहे थे। लेकिन इनके पिता की तबीयत खराब होने के चलते अचानक इन्हें गाँव आना पड़ा। ऐसे में नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा। क्योंकि इनके पिताजी ने कई एकड़ में गन्ने की बुआई कर रखी थी। जो कि घर पर संभालने वाला कोई दूसरा नहीं था।
जमीन लीज पर मांगने लगे लोग
अंकुश जब घर आए तो शुरुआत में उन्हें गाँव और खेती के परिवेश से जुड़ने में थोड़ी परेशानी ज़रूर उठानी पड़ी। ऐसे में अंकुश बताते हैं कि उनके दफ्तर के लोग और दूसरे किसानों ने उनकी ज़मीन लीज पर लेने की पेशकश की। ऐसे में अंकुश ने सोचा कि जब ये लोग लीज पर ज़मीन लेकर भी खेती कर सकते हैं, तो हमारी तो ख़ुद की ज़मीन है। इससे उन्हें तो फायदा भी ज़्यादा होगा। इसी विचार के साथ अंकुश ने तय किया कि वह ज़मीन लीज पर देने की बजाय ख़ुद खेती करेंगे।
Ankush Chauhan के पॉलीहाउस फार्म का वीडियो देखें
दोस्त से ली पॉलीहाउस की जानकारी
अंकुश का एक मित्र था जो कि हरियाणा का रहने वाला था। खेती के बेहतर गुर सीखने के लिए अंकुश अपने मित्र के घर चले गए। वहाँ उन्होंने पॉलीहाउस के बारे में जानकारी इकट्ठी की। इसके साथ ही वह कई कृषि वैज्ञानिकों से भी मिले। इनसे जाना कि आख़िर आधुनिक ढंग से खेती कैसे की जा सकती है। सब कुछ जानने के बाद अंकुश आज गाँव में ही पॉलीहाउस लगाकर शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं। साथ ही इस खेती से ख़ूब मुनाफा भी कमा रहे हैं।
गन्ने की खेती छोड़नी पड़ी
अंकुश जिस जगह रहते हैं वहाँ अमूमन सभी लोग गन्ने की खेती करते थे। लेकिन गन्ने की खेती में परेशानी ये थी कि उसका समय पर भुगतान नहीं मिलता था। ऐसे में अंकुश ने सोचा कि क्यों ना गन्ने की खेती को छोड़कर ऐसी खेती की तरफ़ बढ़ा जाए, जिसकी उपज भी अच्छी हो सके और भुगतान भी आराम से मिल जाए। इसलिए उन्होंने शिमला मिर्च की खेती (Organic Capsicum Farming) करने का फ़ैसला लिया।
आज बन गए हैं युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत
जो अंकुश कभी खेती के बारे में कुछ भी नहीं जानते थे, आज दूसरे युवा किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुके हैं। आज उनसे बहुत से युवा शिमला मिर्च की खेती के बारे में जानकारी लेने आते हैं। वह जब खेती के बारे में उन्हें बताते हैं, तो वह बेहद प्रभावित होते हैं। साथ ही आमदनी देखकर आज बहुत से युवा अंकुश की तरह शिमला मिर्च की खेती करने आगे भी आ रहे हैं।
मिल चुके हैं कई सम्मान
दूसरे से अलग चलकर खेती करने वाले अंकुश चौहान बहुत सारे पुरस्कार भी जीत चुके हैं। वह बताते हैं इस खेती के लिए उन्हें कृषि विभाग की तरफ़ से सम्मानित भी किया जा चुका है। साथ ही मेरठ जिले की डीएम बी चंद्रकला के हाथों उन्हें ‘प्रगतिशील किसान सम्मान’ भी मिल चुका है। वह पिछले चार-पांच सालों से शिमला मिर्च की खेती (Organic Capsicum Farming) कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर खेती के चलते आज उनके खेत में 10-12 महिलाएँ काम भी करती हैं। अब वह महिलाएँ भी धीरे-धीरे शिमला मिर्च की खेती करना सीख रही हैं।
10 लाख सालाना की आमदनी
अंकुश (Ankush chauhan) आज शिमला मिर्च की खेती (Organic Capsicum Farming) से दस लाख सालाना तक की आमदनी कर लेते हैं। वह कहते हैं कि इस खेती में शुरुआत में तो ज़्यादा लागत लगती है, लेकिन बाद में अच्छा फायदा होता है। इसलिए दूसरे युवाओं को भी वह यही सलाह देते हैं कि वह भी वैज्ञानिक ढंग से खेती करें। इससे उनकी मेहनत भी कम लगेगी और मुनाफा भी उन्हें ज़्यादा होगा।