Saffron Farming – केसर, जो कश्मीर की वादियों में उगाया जाता था, अब वही लाखों में बिकने वाला केसर बुंदेलखंड स्थित हमीरपुर में निवादा गाँव के किसानों ने वहाँ के सूखाग्रस्त इलाकों में भी खेती करके उगा लिया है। सूखे इलाकों में केसर की खेती करके किसानों ने पारंपरिक मान्यता को बदलकर जो सफलता प्राप्त की है, उससे सभी आश्चर्यचकित हैं।
पहले जो किसान अपने पारंपरिक खेती के तरीके से ही खेती किया करते थे, अब धीरे-धीरे समय बदलने के साथ उनकी सोच भी बदली है और वह खेती में नए-नए प्रयोग कर रहे हैं तथा नई तकनीकें अपना रहे हैं। जिन चीजों की खेती करने से पहले किसान घबराया करते थे क्योंकि वे नुक़सान होने के डर से रिस्क नहीं लेना चाहते थे, पर अब उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा है और अभी कुछ वर्षों में तो उन्होंने कई ऐसी चीजों की खेती की जिनके लिए उनके वहाँ जलवायु भी अनुकूल नहीं थी। बुंदेलखंड के किसानों ने ऐसा ही एक कारनामा कर दिखाया है, जिसमें वे ऐसी चीजों की खेती भी कर रहे हैं जो उनकी जलवायु के अनुकूल नहीं है।
पहले सूखे इलाके में उगाई थी स्ट्रॉबेरी और अब केसर Saffron Farming
यह पहली बार नहीं है कि यूपी के इन किसानों ने कोई नया प्रयोग किया है इससे पूर्व भी यहाँ से किसानों द्वारा स्ट्रॉबेरी की खेती करने का मामला सामने आया था। स्ट्रॉबेरी की खेती भी ठंडे प्रदेशों में की जाती है फिर भी यहाँ के किसानों ने मेहनत कर अपने शुष्क प्रदेश में भी स्ट्रॉबेरी उगा ली थी और इससे अच्छा व्यापार भी कर रहे हैं। खेती में एक नया प्रयोग करते हुए उन्होंने केसर की खेती भी शुरू कर दी है। अत्यधिक महंगा बिकने वाला केसर जो पहले केवल वादियों में ही उगाया जाता था, तथा गैर मान्यता थी कि कैसा वादियों में ही उग सकता है। इसी वज़ह से वादियों में उगने वाला केसर काफ़ी प्रसिद्ध रहा है, ख़ास तौर पर कश्मीर का केसर, जिसे GI टैग भी प्राप्त हो चुका है। परंतु बुंदेलखंड के किसानों ने अपने इलाके में केसर की खेती करके इस मान्यता को बदल दिया है।
सूखाग्रस्त इलाकों में केसर उगाने के लिए अलग तकनीक अपनाई
इन किसानों ने अपने गाँव के सूखे इलाके में भी केसर की खेती (Saffron Farming) में सफलता प्राप्त की। वादियों में उगने वाले केसर को सूखी ज़मीन में उगाने का जब यह मामला सामने आया तो, एक रिपोर्ट में किसानों ने बताया कि ‘हमें संदेह था कि यहाँ पर केसर की खेती हो सकेगी अथवा नहीं, पर यह सम्भव हो गया। असल में, हमारा प्रदेश ठंडा प्रदेश तो नहीं है, परंतु इसे ठंडक देने हेतु खेतों में रोजाना 5-6 बार पानी देने की ज़रूरत पड़ती है।’
यूपी के किसानों द्वारा केसर की खेती (Saffron Farming) करने से इनकी आमदनी भी बढ़ेगी क्योंकि केसर की बाज़ार में मांग काफ़ी अधिक है और केसर महंगा भी होता है तो अपने सूखाग्रस्त प्रदेशों में केसर उगा कर यह किसान अच्छी आमदनी कर सकते हैं।
3 लाख रुपये किलो तक है केसर का भाव
वैसे तो सारे विश्व में केसर का मूल्य उसकी गुणवत्ता के आधार पर निर्धारित होता है। सामान्यतः मार्केट में कश्मीरी केसर 3 से 5 लाख रुपये किलो तक बिकता है। आपको बता दें कि केसर के पौधों में अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में ही फूल लगने की शुरुआत हो जाती है तथा नवंबर महीने तक यह पूरी तरह तैयार हो जाता है। हालांकि केसर उगाने की सारी प्रक्रिया बहुत लंबी और जटिल होती है परंतु यदि ठीक प्रकार से इसकी खेती की जाए तो उससे उत्पादन भी अच्छा होगा और बहुत लाभ मिल सकता है।
यह देश करता है विश्व में सर्वाधिक केसर की खेती
सारी दुनिया में ईरान का खोरसान प्रांत केसर की खेती (Saffron Farming) के लिए विख्यात है। गौरतलब है कि ईरान के इस प्रांत का महत्त्व एतिहासिक तौर अधिक माना जाता है तथा साथ ही इस प्रांत को ‘लैंड ऑफ द सन’ यानी सूरज की धरती भी कहते हैं। ईरान की एक ख़ास बात है कि यहाँ पर खोरसान में सूरज सबसे पहले उग जाता है इसी वज़ह से यहाँ केसर की खेती ज़्यादा की जाती है। आपको बता दें कि खोरसान प्रान्त इंग्लैंड के बराबर विस्तृत है। यहाँ पर केसर की खेती अक्टूबर महीने के मध्य से शुरू कर दी जाती है।