Capsicum Farming: आजकल ज्यादातर किसान जागरूक हो चुके हैं और वह पुरानी पद्धति से की जाने वाली खेती को छोड़कर खेती में नए-नए एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। आजकल के किसान ऐसी खेती कर रहे हैं जिसमें कम लागत में ज़्यादा मुनाफा हो। कई किसान फलों की खेती में अपना हाथ आजमा रहे हैं तो वहीं कई किसान सब्जियों की खेती में।
शिमला मिर्च एक ऐसी सब्जी है जिसे हम किसी भी तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं और खाने का जायका बढ़ा सकते हैं। चाहे वह सब्जी हो, फास्ट फूड हो, या वह सलाद हो किसी भी तरह से शिमला मिर्च का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें कई गुणकारी तत्व भी पाए जाते हैं। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको एक ऐसे किसान के बारे में बताएंगे जो शिमला मिर्च की खेती कर लाखों की कमाई कर रहे हैं। आइये जानते हैं, उनके बारे में..
15 एकड़ ज़मीन में हर रोज़ 8 से 10 क्विंटल शिमला मिर्च की पैदावार हो रही है
कार्तिक चंद्रा किसान होने के साथ-साथ मालखरौदा ब्लॉक के ग्राम पंचायत खिलजी के सरपंच भी हैं। वह छत्तीसगढ़ के जान्जगिर चाम्पा क्षेत्र में 15 एकड़ ज़मीन लीज पर लेकर पहली बार शिमला मिर्च की खेती की शुरुआत किए थे। उन्होंने बताया कि 15 एकड़ ज़मीन में हर रोज़ 8 से 10 क्विंटल शिमला मिर्च की पैदावार हो रही है और वही बाजारों में अगर शिमला मिर्च के क़ीमत की बात की जाए यह 35 से 40 रूपये प्रति किलो बिकती है। इस तरह उम्मीद से ज़्यादा उनकी आमदनी हो रही है। उनके द्वारा शिमला मिर्च की-की गई पैदावार को खरीदने के लिए बिहार और झारखंड समेत कई राज्यों के व्यापारी आ रहे हैं। सबसे ख़ास बात यह है कि कार्तिक चंद्र ने ख़ुद खेती करने के साथ-साथ इन्होंने कई लोगों को रोजगार का अवसर भी दिया है।
एक बार में लगभग 8 से 10 क्विंटल शिमला मिर्च होता है
कार्तिक चंद्रा ने बताया कि जब वह पहली बार शिमला मिर्च की खेती को 15 एकड़ ज़मीन लीज पर लेकर शुरुआत किए थे, तब उन्होंने इसके पौधे को 10 रुपए के हिसाब से दुर्ग के नर्सरी से खरीदा था। पहली बार कार्तिक ने शिमला मिर्च की फ़सल सितंबर में लगाई और दिसम्बर आते-आते शिमला मिर्च की पैदावार होनी शुरू हो गई। इसकी तुराई होने पर एक बार में लगभग 8 से 10 क्विंटल शिमला मिर्च हुआ। उन्होंने बताया कि एक सीजन में लगभग 6 से 7 बार इसकी तुराई हो जाती है।
हर महीने उनकी कमाई लगभग 10 लाख रुपए हो जाती है
इस तरह अगर कार्तिक चंद्र के शिमला मिर्च की खेती की क़ीमत का अंदाजा लगाया जाए तो हर महीने उनकी कमाई लगभग 10 लाख रुपए हो जाती है। वहीं अगर लागत की बात की जाए तो तीन से 4 लाख रुपए, खाद, पौधे और मजदूरों में ख़र्च हो जाता है। वैसे तो हर समय कार्तिक के खेतों में 10 मज़दूर काम करते हैं तो वहीं जब इसकी खेती की बुवाई की जाती है तो उस समय ज़्यादा मजदूरों की आवश्यकता होती है। कार्तिक दुर्ग जिले में शिमला मिर्च की खेती देखकर और किसानों की लगाई हुई प्रदर्शनी को देख कर बहुत ज़्यादा प्रेरित हुए थे। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा अभी तक उन्होंने किसी भी तरह का अनुदान नहीं लिया है।
2020 में चुनाव जीत बने सरपंच
कार्तिक चंद्र के अगर शिक्षा की बात की जाय तो उन्होंने ग्रेजुएशन तक अपनी पढ़ाई पूरी की है। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने साल 2015 में सरपंच का चुनाव भी लड़ा लेकिन उसने उन्हें सफलता नहीं मिल सकी। लेकिन उन्होंने हिम्मत ना हारते हुए 2016 में खेती करने का फ़ैसला लिया और शिमला मिर्च की खेती की शुरुआत की। एक बार फिर कार्तिक साल 2020 में सरपंच का चुनाव लड़े और इस बार उन्हें सफलता हाथ लगी और वह किसान के साथ-साथ सरपंच भी बन गए।
इस तरह कार्तिक चंद्र की कहानी लोगों के लिए एक प्रेरणा का काम करती है। कुछ किसान ऐसे हैं जो हर वक़्त लागत और मुनाफा के बीच अटके पड़े रहते हैं, तो वहीं कुछ किसान दूसरे नए-नए तरीकों को अपनाकर अपनी ज़िन्दगी में काफ़ी आगे बढ़ जाते हैं।