Mir Osman Ali Khan : भारत को प्राचीन काल में सोने की चिड़िया कहा जाता था, जहां हर नागरिक सुख समृद्धि भरा जीवन व्यतीत करता था। हालांकि यह बात अलग है कि अंग्रेजों के आगमन के साथ भारतीय नागरिकों की स्थिति बेहद खराब हो गई थी और सोने की चिड़िया को गुलामी भरे दौर का सामना करना पड़ा था।
लेकिन भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान भी ऐसे बहुत से राजा और नवाब थे, जिनकी अपनी रियासतों पर हुकमत चलती और उनके पास धन दौलत की भी कोई कमी नहीं थी। ऐसे में आज हम आपको उस दौर के सबसे अमीर राजा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी कुल संपत्ति अंबानी-अडानी से भी कई गुना ज्यादा हुआ करती थी।
हैदराबाद के निजाम थे सबसे अमीर
भारत में ब्रिटिश शासन काल के दौरान कुल 565 रियासतें हुआ करती थी, जिसमें से हैदराबाद (Hyderabad) को सबसे अमीर और समृद्धि रियासत माना जाता था। हैदराबाद की गद्दी को संभालने वाले निजाम का नाम मीर उस्मान अली खान (Mir Osman Ali Khan) था, जो उस वक्त भारत के सबसे अमीर शख्स माने जाते थे।
मीर उस्मान अली खान का जन्म 6 अप्रैल 1886 को हैदराबाद में स्थित पुरानी हवेली में हुआ था, जो पिता की मृत्यु के बाद 29 अगस्त 1911 को 25 साल की उम्र में भारत की सबसे बड़ी रियासत की गद्दी पर बैठे थे। इसके बाद मीर उस्मान अली खान साल 1911 से 1948 तक हैदराबाद के निजाम रहे थे और इस दौरान उनकी कुल संपत्ति कई बिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर चुकी थी।
मीर उस्मान अली खान ने हैदराबाद की रिसायत पर लगभग 4 दशक तक शासन किया था, ऐसे में उनकी संपत्ति में लगातार वृद्धि हो रही थी। माना जाता है कि ब्रिटिश शासकों के दौर में भी मीर उस्मान अली खान की कुल संपत्ति 236 बिलियन डॉलर हुआ करती थी, जो आज दुनिया के कई अमीर लोगों की कुल संपत्ति से कई गुना ज्यादा है। ये भी पढ़ें – मंसा मूसाः कहानी दुनिया के सबसे अमीर राजा की, जिसकी संपत्ति का अंदाजा आज तक कोई नहीं लगा पाया
1937 :: TIME Magazine Cover On Mir Osman Ali Khan, Nizam of Hyderabad.
— indianhistorypics (@IndiaHistorypic) July 14, 2020
TIME Magazine Described Nizam as The Richest Man In The World pic.twitter.com/Eg9dqpGSND
चूहे कुतर जाते थे हजारों नोट
मीर उस्मान अली खान (Mir Osman Ali Khan) ने हैदराबाद की गद्दी उस वक्त संभाली थी, जब भारत ब्रिटिश शासकों के अधीन था। लेकिन उन्होंने गुलामी के दौर से लेकर आजाद भारत की सबसे बड़ी रिसायत पर शासन किया था, इसलिए देश भर में मरी उस्मान अली का रुतबा काफी अलग था।
मीर उस्मान अली खान के पास इतनी ज्यादा दौलत थी कि उनके कमरे के फर्श पर हर जगह सोने चांदी के सिक्के, नोट और जेवर इत्यादि पड़े रहते थे। यही वजह थी कि मीर उस्मान अली खान के कमरे की साफ सफाई पूरे साल में सिर्फ एक दिन की जाती थी। इतना ही नहीं हैदराबाद के निजाम एक हीरे को कागज में लपेट कर पेपर वेट की तरह इस्तेमाल करते थे, जिसकी कीमत उस वक्त 1,340 करोड़ रुपए थी।
मीर उस्मान अली के महल में नोटी की गड्डी रखी रहती थी, जिसे वह अखबारों में लपेट कर अलमारी और संदूक इत्यादि में रख देते थे। लेकिन हर साल चूहे हजारों नोट कुतर देते थे, जिसकी वजह से निजाम को काफी नुकसान होता था। हालांकि इसके बावजूद मीर उस्मान अली हर वक्त 20 लाख पाउंड के करीब कैश अपने पास रखते थे, फिर चाहे साल के अंत में चूहे उन्हें बर्बाद करके किसी इस्तेमाल लायक न छोड़े। ये भी पढ़ें – एक वकील ने रखी थी गोदरेज कंपनी की नींव, अंग्रेजों से भिड़कर शुरू किया था मेड इन इंडिया ब्रांड
सरकार को दान किया था 5 हजार किलोग्राम सोना
आजादी के बाद हैदराबाद की रियासत को भारत में विलय कर लिया गया था, लेकिन उसके बावजूद भी मीर उस्मान अली खान (Mir Osman Ali Khan) की शानो शौकत में कोई कमी नहीं आई थी। यहां तक कि साल 1965 में जब भारत और चीन की बीच युद्ध चल रहा था, तो भारत की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो गई थी।
ऐसे में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने देश के अमीर वर्ग के लोगों से आर्थिक मदद मांगी थी, जिसके तहत मीर उस्मान अली समेत कई अमीर लोगों ने भारत सरकार को दान दिया था। इस दौरान मीर उस्मान अली ने भारत सरकार को 5 हजार किलोग्राम सोना दिया था, जिसकी चर्चा कई सालों तक देश भर में होती रही थी।
मीर उस्मान अली खान द्वारा दान किए गए सोने से भारत सरकार को चीन से युद्ध लड़ने और देश की अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने में काफी मदद मिली थी, जिसकी वजह से भारत सरकार मीर उस्मान अली को काफी ज्यादा मानती थी।
रोल्स रॉयस कार से उठवाया था कचरा
मीर उस्मान अली खान (Mir Osman Ali Khan) के पास इतनी दौलत थी कि वह दुनिया में मौजूद कीमती से कीमती चीज को खरीद सकते थे, ऐसे में जब वह एक बार उन्हें रोल्स रॉयस कार काफी ज्यादा पसंद आ गई थी। लेकिन रोल्स रॉयस कंपनी ने मीर उस्मान अली खान को कार बेचने से मना कर दिया था, क्योंकि उस वक्त वह गुलाम भारत के निजाम हुआ करते थे।
ऐसे में मीर उस्मान अली खान ने ठान ली कि वह कंपनी से अपनी बेइज्जती का बदला जरूर लेंगे, जिसके लिए उन्होंने 50 पुरानी रोल्स रॉयस कारों को खरीद लिया था। लेकिन हैदराबाद के निजाम ने उन कारों का इस्तेमाल शाही सवारी के लिए नहीं किया था, बल्कि रोल्स रॉयस की कारों उनकी हवेली का कचरा फेंकने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
इस तरह मीर उस्मान अली ने रोल्स रॉयल कंपनी की छवि को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाया था, क्योंकि इतनी महंगे ब्रांड की कार में कचरा लदे हुए देखना कंपनी के लिए बहुत ही शर्मिंदगी भरी बात थी। ऐसे में हैदराबाद के निजाम के पास कुल 50 रोल्स रॉयस कार थी, लेकिन उन्होंने कभी भी निजी सवारी के लिए उनकी इस्तेमाल नहीं किया था।
कहलाते हैं भारत के सबसे कंजूस इंसान
भले ही हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान (Mir Osman Ali Khan) भारत के सबसे अमीर शख्स रहे हों, लेकिन उनकी गिनती देश के सबसे कंजूस राजा के रूप में भी की जाती थी। दरअसल मीर उस्मान अली खान कई सालों तक एक ही पोशाक और टोपी को पहने रखते थे, फिर चाहे वह कितने ही गंदे और खराब हो जाए।
कहा जाता है कि मीर उस्मान अली खान ने लगभग 35 सालों तक अपनी टोपी तक नहीं बदलती थी, जिसकी सिलाई कई जगह से उधड़ चुकी थी और उसमें फफूंद भी लग गई थी। इसके अलावा हैदराबाद के निजाम अक्सर फटे पुराने जूते पहन कर घर से निकल जाया करते थे, क्योंकि उन्हें नई चीजों की खरीद पर पैसा खर्च करना पसंद नहीं था।
मीर उस्मान अली खान इस हद तक कंजूस थे कि उन्होंने भारत सरकार को 5 हजार किलोग्राम सोना दान करते वक्त जो लोहे के बॉक्स दिल्ली भिजवाए थे, उन्हें तुरंत हैदराबाद वापस पहुंचाने की मांग कर दी थी। इतना ही नहीं हैदराबाद के निजाम सोने चांदी की प्लेट में खाना खाने के बजाय टीन की प्लेटों में खाना खाते थे।
वह महंगे कालीन या चादर पर नहीं बैठते थे, बल्कि वह एक साधारण सी चटाई बिछाकर उसमें बैठना पसंद करते थे। मीर उस्मान अली खान भारत में बिकने वाली सबसे सस्ते ब्रांड की सिगरेट पीते थे, लेकिन वह कभी भी सिगरेट का पूरा पैकेट नहीं खरीदते थे बल्कि खुली सिगरेट खरीदते थे। ये भी पढ़ें – कौन थे महर्षि महेश योगी, जिन्होंने दुनिया भर में चला दी खुद की करेंसी, नाम रखा था ‘राम मुद्रा’
17 September 1948- *His Exalted Highness* Sir Mir Osman Ali Khan Siddiqi GSCI, GBE Asaf Jah VII, Nizam of Hyderabad surrenders and accepts accession to Hyderabad Union of India in front of Sardar Patel!! pic.twitter.com/yv5dm5TZC1
— Sunshine Boy 🇮🇳 (@singpuri) September 19, 2021
सामाजिक कार्यों के लिए करते थे दान
कहा जाता है कि एक बार निजाम मीर उस्मान अली (Mir Osman Ali Khan) ने अपने सेवक 25 रुपए दिए थे और उसे बाजार में जाकर कंबल खरीद कर लाने को कहा था, लेकिन सेवक को पूरे बाजार में घूमकर भी 25 रुपए का कंबल नहीं मिला। ऐसे में सेवक खाली हाथ वापस निजाम के पास आया और बोला कि बाजार में 35 रुपए से कम कीमत पर कोई कंबल नहीं मिला।
ऐसे में मीर उस्मान अली खान ने सेवक से 25 रुपए वापस ले लिए और पुराने कंबल का इस्तेमाल शुरू कर दिया, क्योंकि वह 10 रुपए अतिरिक्त खर्च करके कंबल नहीं खरीदना चाहते थे। ऐसे में उनकी इस कंजूसी से सभी लोग हैरान रह गए थे, लेकिन निजाम आम जनता के लिए काफी दानी थे।
मीर उस्मान अली खान भले ही खुद फटी पुरानी चीजें इस्तेमाल करके गुजारा करते थे, लेकिन वह जरूरतमंद लोगों की मदद करने से कभी पीछे नही हटते थे। उन्होंने खुद के लिए 35 रुपए का कंबल नहीं खरीदा था, लेकिन इस घटना के कुछ घंटों बाद बीएचयू को 1 लाख रुपए दान दे दिए थे।
इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मीर उस्मान अली खान (Mir Osman Ali Khan) सामाजिक कार्यों के लिए दान देने वाले राजा थे, जो अपने लिए कंजूसी करके पैसे को जमा करके रखना चाहते थे। उन्होंने भले ही शाही जीवन का लुफ्त न उठाया हो, लेकिन भारत और भारतीयों की काफी मदद की थी। हालांकि 24 फरवरी 1967 को 80 साल की उम्र में मीर उस्मान अली खान का निधन हो गया था। ये भी पढ़ें – वो भारतीय व्यापारी जिन्होंने अंग्रेजों से लड़ने के लिए लॉन्च किया था Margo Soap जैसा स्वदेशी साबुन