Odisha News : वैसे तो कहा जाता है कि प्यार करने की कोई उम्र नहीं होती है, लेकिन अक्सर बुढ़ापे में लोग प्यार की राह में चलने से परहेज करते हैं। लेकिन जब बुजुर्गों को अपने ही बच्चे और परिवार के लोग बोझ समझने लगे, तो उन्हें प्यार और अपनेपन की तलाश में बाहर भटकना पड़ता है।
ऐसे में कभी-कभी किस्मत उन लोगों से मिलवा देती है, जो बुढ़ापे में साथी की तलाश कर रहे होते हैं। इसी तरह का एक मामला ओडिशा से सामने आया है, जहाँ दो बुजुर्गों की आपस में मुलाकात हुई और उन्हें एक दूसरे से प्यार हो गया। इसके बाद बुजुर्ग दंपत्ति ने साथ रहने का फैसला किया और शादी कर ली।
बच्चों ने छोड़ा तो बुजुर्गों ने रचाई शादी
बुढ़ापे में माता-पिता का ध्यान रखने और उनकी जरूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी बच्चों की होती है, लेकिन भारत में आज भी ऐसे बच्चे मौजूद हैं जो अपने बुजुर्ग माता-पिता को बोझ समझने लगते हैं। ओडिशा के मलाकालपाड़ा ब्लॉक में स्थित गोगुआ गाँव में रहने वाले 70 वर्षीय शक्तीपद मिश्रा के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ, जिनके बच्चों ने उन्हें बुढ़ापे में बेसहारा छोड़ दिया। Read Also: बदन पे सितारे लपेटे हुए गाने पर 93 साल की दादी का धमाकेदार डांस, एक्सप्रेशन ने जीता लोगों का दिल
वहीं दूसरी तरफ 65 वर्षीय तेजस्वीनी मंडल के पति की मृत्यु 4 साल पहले हो गई थी, जिसके बाद उनके 3 बेटों ने उन्हें लावारिस हाल में छोड़ दिया। तेजस्वीनी मंडल अपना गुजारा करने के लिए गाँव के हाट में मिट्टी के घड़े बेचने का काम करती थी, इसी दौरान उनकी मुलाकात शक्तीपद मिश्रा से हुई थी।
इन दोनों बुजुर्गों को एक दूसरे से महसूस हुआ कि बच्चे और परिवार होने के बावजूद भी वह उम्र के इस पड़ाव में बिल्कुल अकेले हैं, जहाँ उनके साथ बात करने या समय बिताने के लिए कोआ पार्टनर नहीं है। ऐसे में शक्तीपद और तेजस्वीनी एक दूसरे से बातचीत करने लगे, जिसके बाद उनकी दोस्ती हो गई और यह दोस्ती प्यार में तब्दील हो गई।
इसके बाद शक्तीपद ने तेजस्वीनी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा, जिसे तेजस्वीनी ने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया। इस तरह बीते 5 दिसम्बर को शक्तीपद और तेजस्वीनी एक स्थानीय मंदिर में जाकर एक दूसरे से शादी ली, जिसके बाद वह दोनों एक छोटे-सी झोपड़ी में एक साथ रहते हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है कहानी
इस नवविवाहित बुजुर्ग दंपत्ति की कहानी और शादी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही हैं, जिन्हें कई यूजर्स ने पसंद भी किया है। हालांकि यह एक बहुत ही दुख की बात है कि जो माता-पिता अपने बच्चों के लिए छोटी-छोटी खुशियों का त्याग करते हैं, वही बच्चे बुढ़ापे में अपने माता-पिता को बोझ समझ कर उन्हें घर से बाहर निकाल देते हैं।
आपको बता दें कि मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 के सेक्शन 7 और 15 के तहत बुढ़े माता-पिता का ध्यान रखना बच्चों की जिम्मेदारी होती है, जिसकी वजह से बेटा बहू न तो अपने माता-पिता को घर से बाहर निकाल सकते हैं और न ही उनके साथ गलत व्यवहार कर सकते हैं। हालांकि इसके बावजूद भी बच्चे अपने माता-पिता को सड़क या वृद्धाश्राम में छोड़ देते हैं।
Read Also: सड़क किनारे धूप में अमरूद बेच रही थी बूढ़ी महिला और फिर अचानक आ गई पुलिस और कर दिया ये काम