5 Most Important Healthy Habits for Kids – आज के दौर की बदलती जीवन शैली के कारण कई सारी बीमारियाँ शरीर में घर कर जाती है। विश्व भर में बीमारियों का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। समय को देखते हुए यह जरूरी है कि बच्चों को बचपन से ही स्वस्थ जीवन शैली की आदत डलवाई जाए।
बता दें कि शरीर में होने वाली 95% बीमारियाँ गलत खाने-पीने और गलत जीवनशैली के कारण होती है। कई बार अधिक प्यार दुलार के कारण माता-पिता बच्चों की गलत जीवनशैली और गलत खानपान के लिए इन्हें रोकते नहीं है और यही आदत आगे जीवन भर मुसीबत का कारण बन जाती है।
इसलिए यह काफी जरूरी है कि बचपन से ही बच्चों को स्वस्थ जीवन शैली का महत्त्व समझाया जाए और उन्हें अच्छी आदतें अपनाने के लिए प्रेरित किया जाए। जिससे बच्चों का शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक विकास भी बेहतर तरीके से हो सके और बच्चे जीवन भर सेहतमंद और बीमारियों से मुक्त रहें।
आज हम आपको ऐसी ही पांच आदतों के (5 healthy lifestyle habits for children) बारे में बताने जा रहे हैं जो एक स्वस्थ जीवन शैली के लिए जरूरी है और हर माता-पिता को चाहिए कि वह बचपन से ही बच्चों को इन आदतों को अपनाना सिखाएँ।
सुबह का नाश्ता कभी न छोड़े
नाश्ते को दिन का सबसे महत्त्वपूर्ण आहार माना जाता है। इसीलिए कभी भी सवेरे का नाश्ता छोड़ना नहीं चाहिए। यह आदत माता-पिता को अपने बच्चों को भी सिखाना चाहिए कि सुबह फ्रेश होने के बाद व रोजाना हेल्दी और पोषण से भरा नाश्ता करें। इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी नाश्ते में फास्ट फूड या जंक फूड नहीं खाना चाहिए।
ऐसा करने से बच्चे की कि सेहत स्वस्थ रहेगी और उसके शरीर पर भी बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा। यदि सुबह का नाश्ता छोड़ा जाए तो शरीर पर इसके कई बुरे प्रभाव देखने को मिलते हैं। इसीलिए अपने बच्चों को सुबह नाश्ता करने की आदत जरूर डलवाए ऐसा करने से बच्चों का रूटीन भी सही और निर्धारित रहेगा। बच्चों को सुबह उठ कर फ्रेश होना, ब्रश करना, नहाना और उसके बाद नाश्ता करने की आदत डलवाएँ।
थोड़ा वक्त बाहर भी बिताएँ
घर में अधिक देर तक लेटे बैठे रहने की बजाय बाहर घूमना टहलना अधिक लाभदायक होता है। लेकिन अक्सर काम में व्यस्त होने के कारण बड़े लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं। मगर यह आदत अपने बच्चों को जरूर सिखानी चाहिए। आजकल के दौर में बच्चे मोबाइल गेम और कंप्यूटर गेम्स के लती बन चुके हैं। इसी कारण वह बाहर जाकर के खेलना पसंद नहीं करते हैं।
लेकिन यह बात स्पष्ट है कि बाहर जाकर के खेलने-कूदने वाले बच्चों की-की सेहत घर में रहने वाले बच्चों से ज्यादा अच्छी होती है। ऐसा कम ही देखा जाता है कि बच्चे कसरत और योगा करते हों इसीलिए बाहर खेलने वाले गेम उनके लिए जरूरी हो जाते हैं। जिसके माध्यम से उनकी एक्सरसाइज भी हो जाती है।
हाइजेनिक आदत सिखाने के लिए सही उम्र
बच्चों को हाइजीन की आदत 3 से 4 साल तक की उम्र में डलवा देना चाहिए। इस उम्र में जो भी बात सिखाई जाती है वह बच्चों को हमेशा याद रहती है। इसीलिए इस उम्र में साफ सफाई से जुड़े सभी तरह की बातें बच्चों को आराम से समझाना और सिखाना चाहिए। बता दें कि इस उम्र में बच्चों को यह सिखाना बहुत जरूरी होता है कि कुछ भी खाने से पहले या हाथ में लेने से पहले उस चीज को और हाथ को साबुन और पानी से धोना बहुत जरूरी होता है।
- इसके अतिरिक्त टॉयलेट के उपयोग के बाद भी हाथ को साबुन और पानी से धोना बहुत अधिक आवश्यक होता है।
- बच्चों को बताना चाहिए कि रोजाना सुबह उठने के बाद और रात में सोने से पहले ब्रश करना जरूरी होता है।
- बच्चों को यह भी सिखाना चाहिए कि साबुन, टॉयलेट, टूथब्रश एवं अन्य निजी सामान किसी दूसरे के साथ शेयर नहीं करने चाहिए।
- बच्चों को मलद्वार की सफाई से जुड़ी बातें एवं रोजाना साबुन से नहाने का तरीका, शरीर की साफ सफाई का तरीका भी इस उम्र में ही सीखा देना चाहिए।
परिवार के साथ वक्त बिताने एवं खाने की आदत
एक शोध में यह पता चला है कि जो बच्चे अपने पूरे परिवार के साथ बैठकर के खाना खाते हैं वह स्वास्थ्य वर्धक चीजे बहुत आसानी से खा लेते हैं। आजकल बच्चे बाज़ार के सामान खाना अधिक पसंद करते हैं। इसीलिए यह जरूरी है कि बच्चों को बैठाकर के परिवार के साथ भोजन करने की आदत दिलवाई जाए।
बच्चों को परिवार के साथ समय बिताने की आदत लगवानी चाहिए। ताकि वह अपनी फैमिली के सदस्यों के साथ समय बिताएँ और दिन भर घटने वाली घटनाओं के बारे में चर्चा कर सकें। किसी भी बात के लिए उन्हें कहीं बाहर जाने की आवश्यकता ना पड़े। बच्चे को यह महसूस कराने की आवश्यकता होती है कि परिवार में उनकी बात सुनी जाती है और उनकी राय को भी महत्त्वपूर्ण समझा जाता है।
सोने और उठने की सही आदत डलवाएँ
माता पिता को चाहिए कि वह बच्चों में सही समय पर सोने और सही समय पर जगने की आदत डलवाएँ। बच्चों को 8 से 9 घण्टे की नींद लेना बहुत जरूरी होता है। इसलिए उन्हें सही समय पर सोने और जगने की आदत डलवाना चाहिए। बचपन से ही बच्चों को देर तक सोने की आदत नहीं पड़ने देना चाहिए। यही आदतें आगे शरीर को अस्वस्थ बनाती हैं।