आप सभी ने कभी ना कभी कार, मोटरसाइकिल, ट्रक आदि के टायर्स को फटते हुए तो देखा ही होगा, यहाँ तक कि साइकिल का टायर भी फट ही जाता है। लेकिन अगर आपसे पूछा जाए कि क्या आपने कभी भी किसी हवाई जहाज़ के टायर को फटते हुए देखा, अथवा कहीं पर भी हवाई जहाज़ के टायर फटने से सम्बंधित न्यूज सुनी है, तो निश्चित रूप से आपका जवाब होगा “नहीं” ।
जबकि हवाई जहाज़ सैंकड़ो टन के होते हैं और 250 km / h से भी अधिक रफ़्तार से लैंड करते हैं। फिर भी इनके टायरों को कोई नुक़सान नहीं होता है और ये इतना वज़न होने पर भी बिल्कुल आराम से चलते हैं। आइए आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों होता है-
अत्यधिक मज़बूत बनाए जाते हैं हवाई जहाज़ के ये टायर्स
हवाई जहाज़ के टायर अत्यधिक मज़बूत बनाए जाते हैं। इन की मजबूती इतनी अधिक होती है कि सिर्फ़ एक ही टायर 38 टन तक का वज़न भी उठा सकता है। हवाई जहाज़ के टायर से केवल 500 बार ही टेकऑफ़ और लैंडिंग करवाई जाती है। उसके पश्चात इसके टायर पर एक ग्रिप चढ़ाई जाती है, यह ग्रिप चढ़ाने के बाद टायर फिर से 500 बार उपयोग किया जा सकता है।
जब यह ग्रिप भी पाँच सौ बार उपयोग कर पुरानी हो जाती है तब फिर से एक नई ग्रिप चढ़ाते हैं। इस प्रकार से टायर पर 7 बार ग्रुप चढ़ाई जाती है। अतः हवाई जहाज़ के एक टायर द्वारा कुल मिलाकर 3500 बार टेकऑफ़ अथवा लैंडिंग की जाती है। उसके पश्चात इस टायर का उपयोग नहीं किया जाता है और यह कबाड़ हो जाता है, जिसे कबाड़ खाने में दे दिया जाता है।
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इन टायरों में साधारण हवा नहीं भरते हैं
हवाई जहाज़ के टायरों में हवा भरने की तकनीक भी कुछ अलग होती है, जो कि इनकी लैंडिंग और टेक ऑफ में मुख्य भूमिका निभाती है। इन टायरों में ट्रक के टायरों से 2 गुणा अधिक और कार के टायरों से 6 गुणा अधिक हवा भरनी होती है। हवाई जहाज़ के टायरों में 200 psi जितनी हवा भर ली जाती है, इसकी वज़ह यह होती है कि टायर में जितना अधिक एयर प्रेशर होगा, वह उतना ही अधिक मज़बूत होगा।
आपको बता दें कि हवाई जहाज़ के टायर्स में साधारण हवा नहीं भरी जाती है, बल्कि इनमें नाइट्रोजन गैस ही भरी जाती है। नाइट्रोजन गैस द्वारा टायरों पर बदलते हुए तापमान और बदलते प्रेशर का भी प्रभाव कम होता है और वे फटते नहीं।
वीडियो में देखें आखिर क्यों नहीं फटते है हवाई जहाज़ के टायर
खास डिजाइन और मटेरियल से बनाए जाते हैं ये टायर्स
हवाई जहाज़ के टायरों की एक और खासियत यह होती है कि यह कुछ अलग डिजाइन से बनाए जाते हैं। आम टायर जो कि अन्य वाहनों में लगे होते हैं उनमें ब्लॉक डिज़ाइन के ग्रिप होते हैं, लेकिन हवाई जहाज़ में ग्रूव डिज़ाइन की ग्रिप होती है। ऐसा इसलिए होता है जिससे यह टायर्स बरसात में भीगे हुए रनवे पर भी ग्रूव डिजाइन के इन ग्रिप द्वारा सरलतापूर्वक लैंडिंग कर सकें।
इतना ही नहीं, यह टायर्स विशेष सिंथेटिक रबर कंपाउंड्स, नायलॉन तथा अरामिड फ़ैब्रिक्स द्वारा निर्मित किये जाते हैं, जिनको एल्युमिनियम और स्टील से रीइंफ़ोर्स भी किया जाता है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि इतनी विशेष टेक्निक से बने हुए यह टायर फट ही नहीं सकते हैं। जब आप फ्लाइट में बैठे होते हैं तब आपके और ज़मीन के बीच में 45 इंच का मज़बूत रबर होता है।