Vijay kapoor Father of E-Rickshaw in India: वर्तमान में बड़े शहरों से लेकर छोटे शहरों, गाँव और कस्बों में भी ई-रिक्शा को सड़कों पर चलते हुए देखा जा सकता है, जिसमें एक साथ 4 से 5 लोग सफर कर सकते हैं। ऐसे में न सिर्फ रिक्शा चालाकों की शारीरिक कसरत कम हुई है, बल्कि उन्हें एक चक्कर में ही अच्छी कमाई करने का मौका भी मिल जाता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस ई-रिक्शा की शुरुआत किसने और कब की थी, जो आज भारत (E-Rickshaw in India) भर में इस्तेमाल होने वाला सबसे होने वाले वाहनों की लिस्ट में शामिल है। इतना ही नहीं पश्चिम बंगाल के कुछ शहरों में तो ई-रिक्शा को नंबर प्लेट भी दिए गए हैं, जिससे गरीब लोगों की कमाई बेहतर हो रही है।
रिक्शा चालकों के दर्द को समझने वाला व्यक्ति
भारत में ई-रिक्शा की शुरुआत करने वाले व्यक्ति का नाम विजय कपूर (Vijay Kapoor) है, जो पेशे से एक इंजीनियर हैं। विजय कपूर ही वह शख्स हैं, जिन्होंने भारत के विभिन्न शहरों और राज्यों में ई-रिक्शा को पहुँचाया है। ई-रिक्शा को शुरू करने का आइडिया विजय कपूर को दिल्ली की सड़क पर मिला था, जब उन्होंने एक रिक्शा चालक की मेहनत को देखा था। इसे भी पढ़ें – Boroline Cream का इतिहास: अंग्रेजों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए बनाई गई थी बोरोलिन, आज है हर भारतीय की पहली पसंद
दरअसल साल 2010 में गर्मी के मौसम में विजय कपूर ने अपनी कार को पार्किंग में खड़ा करके चांदनी चौक की मार्केट में अंदर जाने के लिए रिक्शा लिया था, इस दौरान उन्होंने कड़ी धूप में रिक्शा चला रहे व्यक्ति की हालत पर गौर किया। इतनी गर्मी और पसीने में रिक्शा चालक पेट भरने के लिए भारी वजन अपने पैरों से खींच रहा था, वहीं अगर रिक्शा अटक जाए तो उसे हाथ से खींचना पड़ता था।
रिक्शा चालक की मेहनत देखकर विजय कपूर को बहुत दर्द और असहाय होने का एहसास हुआ था, जिसके बाद उन्होंने रिक्शा चालकों की जिंदगी को बदलने का फैसला किया। इसके लिए विजय कपूर ने रिक्शा चालकों से बात की और यह पता लगाने की कोशिश की उन्हें कैसा वाहन चाहिए, जिसके बाद उन्हें ईको-फ्रेंडली और कम मेहनत के साथ चलने वाले ई-रिक्शा बनाने का आइडिया मिला।
इस तरह साल 2012 में विजय कपूर ने एक ऐसा ई-रिक्शा डिजाइन किया, जिसमें फ्रंट की तरह ग्लास लगा हुआ था। इसके साथ ही विजय कपूर ने Saera Electric Auto Private Limited की स्थापना की थी, जिसके बाद साल 2012 में भारत की सड़कों पर पहली बार मयूरी ई-रिक्शा चलते हुए दिखाई है।
ई-रिक्शा बनाना था चुनौतीपूर्ण कार्य
विजय कपूर के लिए ई-रिक्शा बनाना बिल्कुल भी आसान नहीं था, जिसकी वजह से उन्हें एक सिंपल-सा मॉडल तैयार करने में लगभग 1.5 साल का वक्त लग गया था। इसके अलावा ई-रिक्शा का टायर बनाने में भी कठिनाई थी, जिसकी वजह से विजय कपूर और उनकी टीम ने खुद रिक्शा के लिए टायर बनाए थे। इसे भी पढ़ें – एक वकील ने रखी थी गोदरेज कंपनी की नींव, अंग्रेजों से भिड़कर शुरू किया था मेड इन इंडिया ब्रांड
ई-रिक्शा के टायर के अलावा उसमें लगने वाली बैटरी भी उस वक्त भारत में नहीं मिलती थी, जिसकी वजह से उन्होंने बैटरी की खरीद के लिए थर्ड पार्टी वेंडर से बैटरी खरीदी थी और फिर उसे ई-रिक्शा में फिट किया। इस थर्ड पार्टी वेंडर ने ही विजय कपूर को बैटरी को चार्ज करने का तरीका बताया था, जिसके बाद एक ई-रिक्शा बनकर तैयार हुआ था।
पोती को ई-रिक्शा में ले जाते थे स्कूल
लेकिन ई-रिक्शा बनाने के बाद उसे बाज़ार में बेचना भी विजय कपूर के लिए एक चुनौती थी, क्योंकि शुरुआत में कोई भी रिक्शा चालक उनके द्वारा बनाए गए ई-रिक्शा को खरीदने के लिए तैयार नहीं था। ऐसे में ई-रिक्शा का विज्ञापन करने के लिए विजय कपूर ने खुद ई-रिक्शा चलाना शुरू कर दिया और अपनी पोती को उसमें बैठाकर स्कूल छोड़ने के लिए जाने लगे।
इस तरह आम लोगों के साथ-साथ रिक्शा चालकों की नजर भी ई-रिक्शे पर पड़ने लगी थी, जिसके लगभग 8 महीने बाद एक बुजुर्ग महिला ने अपने बेटे के लिए ई-रिक्शा खरीदा था। उस बुजुर्ग महिला को विजय कपूर ने आधे दाम पर बेचा था, जिसे बाद उसी महिला ने आगे चलकर 6 और ई-रिक्शा खरीदे थे।
इसके बाद बाज़ार में ई-रिक्शा की बिक्री बढ़ने लगी थी, जबकि साल 2012 में ही उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्य में मयूरी ई-रिक्शा के इस्तेमाल को हरी झंडी दिखा दी थी। इसके बाद साल 2014 में विजय कपूर ने राजस्थान में एक बड़ी मैन्युफैक्चरिंग फैक्ट्री लगाई और उसमें ई-रिक्शा का निर्माण करना शुरू कर दिया। इसे भी पढ़ें – वो भारतीय व्यापारी जिन्होंने अंग्रेजों से लड़ने के लिए लॉन्च किया था Margo Soap जैसा स्वदेशी साबुन
भारत का पहला इलेक्ट्रिक वाहन है मयूरी ई-रिक्शा
उस समय भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और इस्तेमाल के लिए कोई नियम नहीं बनाया गया था, जिसकी वजह से मयूरी ई-रिक्शा की मैन्युफैक्चरिंग आसानी से हो गई। हालांकि बाद में इस क्षेत्र में नियम कानून बनाए थे, जिसके बाद ICAT द्वारा मयूरी ई-रिक्शा को भारत का पहला मान्यता प्राप्त इलेक्ट्रिक वाहन का दर्जा दिया गया था।
वर्तमान में विजय कपूर की कंपनी रोजाना 300 से ज्यादा ई-रिक्शों का निर्माण करती है, जबकि भारत में इनकी बिक्री भी काफी बड़े स्तर पर होती है। ई-रिक्शा के इस्तेमाल से न सिर्फ यात्रियों को सुविधा होती है, बल्कि रिक्शा चालक को भी बहुत ज्यादा शारीरिक मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ती है।
हालांकि आपको बता दें कि भारत में ई-रिक्शा के जनक के रूप में डॉक्टर अनिक कुमार राजवंशी को पहचाना जाता है, जिन्होंने साल 2000 में निम्बकर एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट में काम करते हुए पहला ई-रिक्शा बनाया था। इस काम के लिए उन्हें साल 2022 में पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था, लेकिन डॉक्टर अनिल कुमार द्वारा बनाया गया ई-रिक्शा रोजमर्रा के इस्तेमाल के लिए नहीं था। इसे भी पढ़ें – Dalda: कहानी भारत के सबसे मशहूर ‘वनस्पति घी’ की, जिसने 90 सालों तक किया था भारतीय कीचन पर राज