बाज़ार में आने वाले हैं नए डिजाइन के टायर, सरकार ने मोटर व्हीकल एक्ट में किया बड़ा बदलाव

Tyre new design Rule: भारत समेत दुनिया भर में दो पहिया और चार पहिया वाहनों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है, जिसकी वजह से सड़कों पर जाम में बढ़ोतरी हो रही है। इसके साथ ही तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने या खराब रोड की वजह से एक्सीडेंट्स के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं।

ऐसे में इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए सरकार ने टायर के डिजाइन में बदलाव करने का फैसला किया है, क्योंकि रोड एक्सीडेंट्स के लिए खराब क्वालिटी के टायर भी काफी ज्यादा जिम्मेदार होते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कैसे होंगे नए डिजाइन वाले टायर (New Design Tyre) और वाहन चालक को उससे क्या फायदा मिलेगा।

मोटर व्हीकल एक्ट में किया गया है बदलाव

सड़क हादसों के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए भारत सरकार ने हाल ही में मोटर व्हीकल एक्ट (Motor Vehicles Act) में बदलाव किया है, जिसके तहत टायरों की क्वालिटी चेक के लिए एक नया सिस्टम बनाया गया है। सरकार टायरों की क्वालिटी के लिए एक रेटिंग सिस्टम जारी करने जा रही है, जिसकी मदद से ग्राहक को टायर से जुड़ी सारी जानकारी प्राप्त हो जाएगी। इसे भी पढ़ें – लखनऊ में आम लोगों के लिए खुला गया है लुलु मॉल, 50 हजार लोग एक साथ कर सकते हैं शॉपिंग

इतना ही नहीं सरकार ने टायर के पुराने डिजाइन में बदलाव करने का भी फैसला लिया है, जबकि नए डिजाइन वाले टायरों को अप्रैल 2023 तक हर वाहन में लगाए जाने की डेडलाइन जारी कर दी है। आमतौर पर वाहनों पर लगाए जाने वाले टायरों को तीन अलग-अलग कैटगरी में रखा जाता है, जिसे 1, 2 और 3 के नाम से जाना जाता है।

इसमें 1 कैटेगरी के टायर को पैसेंजर व्हीकल में लगाया जाता है, जबकि 2 कैटेगरी वाले टायर को छोटे कमर्शियल वाहनों में लगाया जाता है। वहीं 3 वाले टायर हैवी कमर्शियल वाहनों में लगाए जाते हैं, जिनके क्वालिटी चेक के लिए अब सरकार स्टार रेटिंग सिस्टम लॉन्च करने वाली है।

कैसा होगा नए डिजाइन का टायर

टायर के लिए स्टार रेटिंग सिस्टम जारी करने के साथ-साथ सरकार ने कार निर्माता कंपनियों को नए डिजाइन के टायर बनाने का फरमान जारी किया है, जिसके तहत कंपनियों को अब ऐसे टायर बनाने होंगे जिसमें रोलिंग रेजिस्टेंस कम हो।

दरअसल जिस टायर में रोलिंग रेजिस्टेंस कम होता है, उसे कार को आगे बढ़ाने के लिए ज्यादा ऊर्जा की जरूरत नहीं होती है। ऐसे में जब टायर कम ऊर्जा के साथ कार को आगे बढ़ाने में सक्षम होगा, तो उसकी वजह से फ्यूल की खपत कम होगी और गाड़ी कम पेट्रोल में ज्यादा दूरी तय कर सकती है।

इसके साथ ही कंपनियों को नए टायर के डिजाइन में वेट ग्रिप का भी ध्यान रखना होगा, क्योंकि बरसात के मौसम में सड़कें गीली हो जाती हैं और पानी में टायर आसानी से फिसल जाता है। ऐसे में वेट ग्रिप वाले टायर पानी में आसानी से अपना बैलेंस नहीं खोते हैं, जिसकी वजह से सड़क हादसों में अपने आप कमी आ जाएगी।

इसलिए अब कार निर्माता कंपनियों को टायर के लिए ऐसा डिजाइन तैयार करना होगा, जिसमें रोलिंग रेजिस्टेंस कम हो और टायर आसानी से कार को कम फ्यूल के साथ आगे की तरफ पुल करने में सक्षम हो। इससे पेट्रोल की बचत होने के साथ-साथ पॉलीयूशन में भी कमी आएगी, क्योंकि ज्यादा ईंधन जलने पर हवा में पॉलीयूशन की मात्रा बढ़ जाती है।

ऐसे में सरकार के इस नए नियम के बाद टायर के साथ-साथ वाहनों की क्वालिटी में भी सुधार आ जाएगा, जबकि ग्राहकों को भी सहूलियत होगी। अगर कोई अपनी गाड़ी का टायर चेंज करवाना चाहता है, तो वह स्टार रेटिंग सिस्टम के जरिए गाड़ी में लगाए जा रहे नए टायर से जुड़ी सारी जानकारी प्राप्त कर सकता है।

वहीं नए डिजाइन वाले टायर न सिर्फ वाहन को सुरक्षा प्रदान करेंगे, बल्कि इससे वाहन चालक और सड़क पर चल रहे अन्य लोगों की जान की भी सुरक्षा होगी। इसके अलावा चीन से आयात किए जाने वाले घटिया क्वालिटी के टायर के बाज़ार में भी गिरावट आएगी, जिससे स्वदेशी टायर मेकिंग कंपनियों को फायदा मिलेगा। इसे भी पढ़ें – ऋषिकेश में घूमने फिरने के साथ उठाए स्वादिष्ट खाने का आनंद, ये हैं सबसे मशहूर रेस्टोरेंट्स