एक फल में इतने गुण। रुके हुए पानी या तालाबों में उगने वाला सिंघाड़ा कई गुणों से भरपूर है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक से भरा तो है ही इसके साथ-साथ फल होने की वज़ह से इसे व्रत करने वाले लोग भी खा सकते हैं और तो और इसे सुखाने के बाद पीसकर इसके आटे का हलवा भी बनाया जाता है। इसलिए इसे सुपर फूड के रूप में भी जाना जाता है।
कई तरह से प्रयोग कर सकते हैं
सिंघाड़ा एक तिकोने आकार का फल है जिसके ऊपर कांटे निकले होते हैं। अपने गुणों के कारण ये पूरे दुनिया में जाना जाता है। कच्चा खाने के साथ-साथ इसे उबालकर भी खाया जा सकता है। बहुत सारे लोग तो इसका हलवा, मिठाई और सब्जी भी बनाकर खाते हैं। इससे आपको पता चल गया होगा कि यह कितने रूपों में प्रयोग किया जा सकता है।
नाम एक गुण अनेक
इस छोटे से दिखने वाले लाल, पीले, हरे सिंघारे में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन बी और सी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सिट्रिक एसिड, टैनिन, बीटा-एमिलेज, रायबोफ्लेबिन, मैग्नीज, फॉस्फोरस जैसे अनेको मिनरल्स पाए जाते हैं। हमारे आयुर्वेद में तो यहाँ तक दावा किया गया है कि सिंघारे में भैंस के दूध की तुलना में 22% अधिक खनिज लवण और क्षार पाए जाते हैं।
सिंघाड़े की खेती कैसे करें
अमृत तुल्य माना जाने वाला सिंघाड़ा जिसकी खेती सामान्य तौर पर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में होती है। इसकी खेती के लिए मई और जून का महीना सबसे अच्छा माना जाता है। सबसे पहले इसकी खेती के लिए छोटे तालाब या गड्ढों में इसके बीज को बोए जाते हैं और बीज बोने के 1 महीने के अंदर ही इसके बेल लगने शुरू हो जाते हैं। इसकी खेती करने के बाद समय-समय पर खाद और दवाइयों का छिड़काव करना आवश्यक होता है, क्योंकि यह एक पानी फल है और इसमें कीड़े लगने के चांसेज ज़्यादा होते हैं।
खेतों में भी कर सकते हैं सिंघाड़े की खेती
वैसे तो इसकी खेती पानी में ही की जाती है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने खेतों में भी सिंघाड़े की खेती कर लेते हैं। खेतों में सिंघाड़े को उगाने के लिए सबसे पहले खेत के चारों तरफ़ दो से तीन फीट ऊंचा मेढ़ बनाने के बाद लगभग 1 फीट की ऊंचाई तक पानी भर देना होता है। उसके बाद इसमें जैविक खाद डालकर सिंघाड़े के बीज की रोपाई करते हैं।
खेतों में इसे उगाते समय एक बात का खासतौर पर ध्यान रखना होता है कि इसके पौधों के बीच कम से कम 2 मीटर की दूरी हो, जिससे सिंघाड़े के बेल को फैलने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके और कोई मुश्किल ना हो। वरना इसकी उपज खराब हो सकती है। अगर आप का भी मन सिंघाड़े की खेती करने का कर रहा है तो आप आसानी से इसके बीज को भंडारण केंद्रों और राज्य बीज भंडारण केंद्र से ले सकते हैं। बिहार के दरभंगा के अलावा इसकी खेती कई राज्यों जैसे यूपी पश्चिम बंगाल मध्य प्रदेश और उड़ीसा में होती है।
कई बीमारियों के लिए रामबाण है
इसके कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि सिंघाड़ा खाने से सांस से सम्बंधित समस्याओं दूर हो जाती हैं। इसमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम पाए जाते हैं जो हमारे हड्डियों और दातों को भी मज़बूत बनाते हैं। इस में आयोडीन की मात्रा भी पाई जाती है जिससे गले से सम्बंधित समस्याओं में निजात पाया जा सकता है। एक सामान्य स्वाद के फल में इतने सारे गुणों को जानकर आश्चर्य होता है कि यह हमारी आंखों की रोशनी, ब्लड और यूरिन से सम्बंधित समस्या को भी दूर कर सकता है।
कितनी होती है इसकी कीमत
सिंघाड़ा एक ऐसा फल है जिसमें हजारों गुण पाए जाते हैं और इसे बहुत ही कम लागत में उगाया जा सकता है और इससे आप ज़्यादा से ज़्यादा मुनाफा भी कमा सकते हैं। वैसे अगर इसकी क़ीमत की बात की जाए तो सूखे सिंघाड़े की क़ीमत 100-150 रुपये किलो है तो वहीं कच्चे सिंघाड़े की क़ीमत बाज़ार में 20 से 80 रुपए किलो तक है।
यह एक मौसमी फल है तो आप भी इसे खाना ना भूलिएगा। स्वाद के साथ-साथ आप अपने स्वास्थ्य के लिए भी इसे खा सकते हैं।