आज के आधुनिक दौर में हर कोई नीले रंग की जींस पहनने का शौकीन है, जो कुछ समय बाद पुरानी हो जाती है और लोग उसे कूड़े में फेंक देते हैं। लेकिन शायद आपको यह पता नहीं है कि इसी पुरानी जींस की मदद से करोड़ों का व्यापार खड़ा किया जा सकता है और ऐसा ही कुछ किया बिहार के रहने वाले सिद्धांत कुमार ने।
पुरानी जींस से खड़ा किया करोड़ों का व्यापार
बिहार के मुंगरे जिले से ताल्लुक रखने वाले सिद्धांत कुमार (Siddhant Kumar) ने एक ऐसे बिजनेस की शुरुआत की है, जिसमें प्रकृतिक चीजों को नुकसान पहुँचाए बिना पुरानी जींस से आकर्षक प्रोडक्ट्स तैयार किए जा सकते हैं। सिद्धांत कुमार आईआईटी से पास आउट छात्र हैं, जिन्होंने दिल्ली में रहते हुए डेनिम डेकोर (Denim Decor) नामक एक छोटा-सा स्टार्टअप शुरू किया था। इसे भी पढ़ें – शहर की भीड़-भाड़ से दूर पहाड़ों पर जा बसा ये कपल, जमीन से 5 हजार फीट ऊपर बनाया खूबसूरत घर
इस स्टार्टअप के जरिए सिद्धांत पुरानी डेनिम जींस का इस्तेमाल (Reusing Denim) करके डेकोरेशन की चीजें बनाते हैं, जिन्हें घर, रेस्टोरेंट और कमरों को सजाने के लिए यूज किया जा सकता है। सिद्धांत पुरानी जींस के जरिए 1.5 करोड़ रुपए का बिजनेस खड़ा कर चुके हैं, जबकि उन्होंने अब तक पुरानी जींस का रियूज करके 400 से ज्यादा प्रोडक्ट्स बनाए हैं।
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घरों की रंगाई पुताई करके चलाया खर्च
सिद्धांत कुमार के लिए पुरानी जींस का यह बिजनेस शुरू करना बिल्कुल भी आसान नहीं था, क्योंकि वह लंबे समय तक समझ ही नहीं पाए थे कि उन्हें अपने करियर में क्या करना है। सिद्धांत ने साल 2004 से 2006 के बीच पटना में फाइन आर्ट्स एंड डिजाइन की पढ़ाई की थी, लेकिन उन्हें जल्द ही समझ आ गया कि उस कॉलेज में प्लेसमेंट की कोई संभावना नहीं है। इसे भी पढ़ें – प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल करके 2 साल में बनाए 25 मिनी जंगल, ग्रीन मैन के नाम मशहूर हुआ शख्स
इसके बाद सिद्धांत के दोस्तों ने उन्हें दिल्ली जाकर पढ़ाई करने की सलाह दी, जिसके बाद सिद्धांत ने दिल्ली में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में एडमिशन ले लिया। हालांकि सिद्धांत के घर की आर्थिक स्थिति बिल्कुल भी ठीक नहीं थी, इसलिए उनके पिता उन्हें दिल्ली पढ़ाई करने के लिए नहीं भेजना चाहते थे।
हालांकि सिद्धांत दिल्ली आने का मन बना चुके थे, लिहाजा उनकी माँ ने अपने गहने बेचकर उन्हें पढ़ाई के लिए पैसे दिए थे। इसके बाद सिद्धांत दिल्ली आ गए, लेकिन बड़े शहर में आने बाद उनका संघर्ष और खर्च ज्यादा बढ़ गया था। ऐसे में अपना खर्च चलाने के लिए घरों में रंगाई पोताई का काम शुरू कर दिया था, जबकि वह रात में बार में वेटर का काम करते थे।
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पहला स्टार्टअप हो गया था फेल
इसके बाद साल 2010 में सिद्धांत कुमार ने आईआईटी बॉम्बे में एडमिशन लिया और मास्टर ऑफ डिजाइन की पढ़ाई की, जिसके बाद उन्हें बेंगलुरू के एक कंपनी में नौकरी मिल गई थी। हालांकि कुछ महीने बाद ही सिद्धांत ने नौकरी छोड़ दी और वापस दिल्ली आ गए, जिसके बाद उन्होंने साल 2013 में एक स्टार्टअप शुरू किया।
इस स्टार्टअप के जरिए सिद्धांत कुमार बच्चों के लिए एजुकेशनल गेम्स डिजाइन करते थे, जिसके कुछ महीनों बाद ही सिद्धांत ने कंपनी का टर्नओवर 8 से 10 लाख रुपए पहुँचा दिया था। लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था, इसलिए इतना अच्छा स्टार्टअप होने के बावजूद भी कंपनी में दिक्कतें आने लगी और सिद्धांत को कंपनी बंद करनी पड़ी।
पहला स्टार्टअप बंद हो जाने के बाद सिद्धांत अपने घर लौट गए थे, जहाँ एक दिन कमरे में बैठे हुए उन्हें पुरानी जींस से कमरे को सजाने का ख्याल आया। इसके बाद सिद्धांत ने अपने दोस्तों के साथ इस आइडिया को शेयर किया और फिर पुरानी जींस को रियूज करके सजावट की खूबसूरत चीजें बनाने शुरू कर दी। इसे भी पढ़ें – प्लास्टिक की जगह बांस से बनी बोतल और टिफिन का करें इस्तेमाल, सेहत के साथ साथ पर्यावरण को भी होगा फायदा
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— Denim Decor (@denimdecor) May 23, 2018
डेनिम डेकोर से मिली नई पहचान
इस तरह सिद्धांत ने दिल्ली लौटकर डेनिम डेकोर (Denim Decor) नामक स्टार्टअप की शुरुआत की, जिसके बाद उन्होंने अपनी जान पहचान के लोगों से पुरानी जींस इकट्ठा करना शुरू कर दिया था। इन पुरानी जींस की मदद से सिद्धांत ने लालटेन और केतली जैसी एंटीक चीजों को सजाना शुरू कर दिया, जिसके बाद दिल्ली के एक मॉल में उन चीजों का स्टॉल लगाया।
मॉल में सिद्धांत को काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला, जिसके बाद उन्होंने पुरानी जींस का इस्तेमाल करके विभिन्न प्रकार के प्रोडक्ट्स बनाना शुरू कर दिया। वर्तमान में सिद्धांत की कंपनी का टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपए पहुँच चुका है, जबकि उनके द्वारा तैयार किए गए प्रोडक्ट्स अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी काफी ज्यादा पसंद किए जाते हैं।
इतना ही नहीं सिद्धांत अपने डेनिम डेकोर की मदद से स्टोर्स और रेस्टोरेंट्स का इंटीरियर डिजाइन करते हैं, जिसकी वजह से उनका बिजनेस काफी अच्छा चल रहा है। इसके अलावा कोरोना काल के दौरान सिद्धांत ने 25 कारीगरों के घर पर मशीन लगवाई थी, ताकि वह घर पर रहते हुए कंपनी के लिए प्रोडक्ट्स तैयार कर सके। इसे भी पढ़ें – गूगल की नौकरी छोड़कर नदी और तालाबों का कचरा साफ कर रहा है युवक, जल प्रदूषण से जीतनी है जंग