जब लॉकडाउन लगा था तो बहुत से लोगों की नौकरियाँ छूट गई थी। ऐसे समय में बहुत से लोगों ने जॉब जाने की वज़ह से काम धंधा शुरू कर दिया था। बनारस में रहने वाले एक व्यक्ति ने भी कुछ ऐसा ही किया, जिससे उनके जीवन में बड़ा बदलाव आ गया। अब वे नौकरी नहीं करते बल्कि उनसे कई लोगों को रोजगार मिलता है।
2 एकड़ ज़मीन लीज पर लेकर खेती शुरू की
हम जिस शख़्स की बात कर रहे हैं उनका नाम है रमेश मिश्रा (Ramesh Mishra), जो कि परमहंस नगर कंदवा के निवासी हैं और BHU के पूर्व छात्र होने के साथ ही ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी बास्केटबॉल के प्लेयर भी रहे हैं। दरअसल रमेश मिश्रा शहर के नामी स्कूल में जॉब किया करते थे परंतु लॉकडाउन के समय में सारे स्कूल बंद हो गए और उनकी जॉब संकट में पड़ गई थी। फिर उन्होंने अपने एक फ्रेंड मदन मोहन तथा इंटरनेट की मदद लेकर कुछ अलग काम करने के बारे में सोचा।
उन्होंने रोहनिया क्षेत्र के अमरा खैरा चक में अपने एक जान पहचान वाले व्यक्ति की 2 एकड़ ज़मीन 10 साल के लिए लीज पर ली और फिर उस पर अक्टूबर माह से स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry farming) का काम शुरू कर दिया। सिर्फ़ 2 महीनों में ही उनकी मेहनत ने रंग दिखाना शुरू किया तथा उनकी फ़सल उगने लगी।
इस बारे में रमेश मिश्रा बताते हैं कि स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए उन्होंने महाबलेश्वर पुणे के एक वैज्ञानिक से कांटेक्ट किया और फिर वहाँ से स्ट्रॉबेरी के पौधे लेकर खेती प्रारंभ कर दी। वे यह भी बताते हैं कि सिर्फ़ चार महीने खेती करने पर ही इस फ़सल से 15 लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है।
व्यवसायिक और आधुनिक खेती के साथ ऑर्गेनिक फार्मिंग पर भी दिया ध्यान
रमेश मिश्रा और मदन मोहन ने बताया कि करोना काल को देखते हुए लोग इम्यूनिटी बढ़ाने और केमिकल फ्री के साथ ही शुद्ध खाने पर ध्यान दिए हैं। भविष्य की संभावना को देखते हुए स्ट्राबेरी के साथ ही पीला खरबूजा और रेड लेडी पपीता के अलावा सब्जी लगाएंगे। इस खेती में 10 से ज़्यादा लोगों को रोजगार मिला है। आसपास के किसानों को भी इस तरह की खेती के लिए जागरूक कर रहे हैं।
पहली बार महाबलेश्वर से मंगाए 16 हज़ार पौधे
उन्होंने पहली बार में महाबलेश्वर से स्ट्रॉबेरी के 16 हज़ार पौधे मंगवाए हैं। यह एक पौधा उन्होंने ₹15 में खरीदा। हर एक पौधे से 900 ग्राम से लेकर 1 किलो से-से भी ज़्यादा स्ट्रॉबेरी प्राप्त हो जाती है। रमेश मिश्रा बताते हैं कि उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए उपजाऊ मिट्टी की परख करने और पौधों की जांच के लिए उनके दोस्त राजेश रावत की मदद ली।
सबसे पहले जब उन्होंने यह खेती शुरू की तब गाँव से गोबर लेकर उन्होंने खेती के लिए ज़मीन को तैयार किया। पानी बचाने के लिए इन्होंने खेत में टपक विधि का भी उपयोग किया। इसके अलावा अपने पौधों को कीट लगने से सुरक्षा के लिए गेंदे की भी कुछ खेती की और कई जगहों पर स्टिक पैड का प्रयोग भी किया।
हर साल होगा 15 लाख तक का मुनाफा
रमेश मिश्रा का कहना है कि अक्टूबर महीने से लेकर फरवरी महीने तक यह फ़सल पूरी हो जाती है। इस प्रकार से 4 महीने जो खेती की जाती है उसमें 15 लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है। इस समय 30 से 40 किलो स्ट्राबेरी के पैकेट बनाकर वे बाज़ार में भेजते हैं। बनारस में स्ट्रॉबेरी ₹300 किलो तक बिक जाती है और अब इसे विदेश निर्यात करने की भी तैयारी की जा रही है। वे बताते हैं कि स्ट्रॉबेरी की खेती से दूसरे किसान भी फायदा उठा सकते हैं। इस खेती द्वारा 10 से भी ज़्यादा लोगों को रोजगार के अवसर मिलते हैं तथा उनकी भी कमाई हो जाती है। वे कहते हैं कि अपने खाली समय में वे दूसरी खेती पर भी प्रयोग किया करते हैं।
यह फार्म हाउस बना लोगों के आकर्षण का केन्द्र
रमेश मिश्रा बनारस में जिस फार्महाउस में स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry farming) किया करते हैं, वह अब लोगों के आकर्षण का केंद्र बन चुका है। स्ट्रॉबेरी की खेती के फार्म हाउस के बारे में सुनकर लोग वहाँ पर पूरी फैमिली के साथ जाते हैं और वहाँ फोटो खिंचवाया करते हैं। रमेश मिश्रा के इस कार्य से दूसरे किसान भी प्रेरणा लेंगे और खेती में नई तकनीकों का उपयोग कर आत्मनिर्भर बनेंगे।