Ramachandran Subramanian’s Sustainable Home – इंसान के लिए घर से ज़्यादा सुरक्षित जगह दूसरी कोई नहीं है। यह घर ही तो है, जो हमें धूप, बारिश, बर्फ, बिजली समेत तमाम तरह के वाय रस से सुरक्षित रखता है। हालांकि हर व्यक्ति अपनी सहूलियत और पैसे के हिसाब से एक से बढ़कर एक आलीशान घर का निर्माण करते हैं, जिसमें बिजली, पानी और आधुनिक चीजों का प्रयोग सबसे ज़्यादा किया जाता है।
लेकिन क्या आपने कभी ऐसे घर के बारे में सुना है, जहाँ न तो बिजली का बिल आता है और न ही पानी की टेंशन होती है। अगर नहीं… तो हम आपको बता दें कि इस तरह का ईको फ्रेंडली घर तमिलनाडु के पोल्लाची में मौजूद है, जहाँ प्राकृतिक खूबसूरती के बीच रहते हैं रामचंद्रन सुब्रमणियन।
Ramachandran Subramanian’s Sustainable Home
तमिलनाडु के कोयंबटूर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर पोल्लाची (Pollachi) नामक एक बहुत ही खूबसूरत गाँव मौजूद है, जहाँ चारों तरफ़ प्राकृतिक सुंदरता और हरियाली देखने को मिलती है। इस गाँव में रहते हैं 48 वर्षीय रामचंद्रन सुब्रमणियन (Ramachandran Subramanian) , जिनको पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं का इस्तेमाल करने के लिए 1 रुपया भी ख़र्च नहीं करना पड़ता है।
रामचंद्रन को हमेशा से ही प्रकृति के बीच रहने का शौक था, इसके साथ ही उन्हें गाँव की शांत और खूबसूरत ज़िन्दगी बहुत ही पसंद थी। लिहाजा उन्होंने 8 साल पहले शहर की भागदौड़ से दूर पोल्लाची गाँव में अपना एक छोटा-सा ईको फ्रेंडली आशियाना (Sustainable Home) बना लिया, तब से लेकर अब तक रामचंद्रन अपने इसी घर में रहते हैं।
रामचंद्रन सुब्रमणियन के घर को वीडियो के माध्यम से देखें
विदेश में रहकर भी मिट्टी और प्रकृति से लगाव
रामचंद्रन सुब्रमणियन को हमेशा से ही हरियाली से लगाव रहा है, इसलिए वह गाँव में रहना पसंद करते हैं। उनकी ज़िन्दगी भी उन तमाम लोगों की तरह थी, जो पढ़ाई के बाद अच्छी नौकरी की तलाश करते हैं और भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में सुकून से जीना ही भूल जाते हैं। रामचंद्रन का जन्म चेन्नई में हुआ था, उन्होंने वहीं से अपने स्कूल की शिक्षा प्राप्त की थी। चेन्नई में रहने के दौरान रामचंद्रन को बहुत ज़्यादा गर्मी का एहसास होता था, लिहाजा उन्हें हमेशा से आरामदायक और ठंडा रहने वाले घर में रहना पसंद था। तभी से उनके मन में एक ईको फ्रेंडली घर बनाने की इच्छा थी।
रामचंद्रन ने भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी, जिसके बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों में नौकरी की। लेकिन इस दौरान रामचंद्रन के मन में अपनी मिट्टी और गाँव को लेकर लगातार प्यार उमड़ता रहा, जिसके बाद 8 साल विदेश में रहने के बाद साल 2004 में रामचंद्रन वापस भारत लौट आए। उन्होंने भारत लौटते ही सबसे पहले पोल्लाची गाँव में एक अच्छी ज़मीन की तलाश की और साल 2011 में अपने ईको फ्रेंडली घर का निर्माण कार्य शुरू कर दिया। पोल्लाची गाँव में घर तैयार होने तक रामचंद्रन चेन्नई में रहते थे, लेकिन उन्हें जल्द से जल्द अपने ईको फ्रेंडली घर में शिफ्ट होना था।
ट्रेनिंग लेकर बनाया अपना घर
रामचंद्रन अपने ईको फ्रेंडली घर को तैयार करने के लिए इतने ज़्यादा उत्सुक थे कि उन्होंने बेंगलुरु में स्थित ग्राम विद्या संस्थान में ट्रेनिंग प्रोग्राम भी पूरा किया। इस प्रोग्राम के तहत रामचंद्रन ने पांरपरिक और प्राकृतिक तरीके से घर बनाने के गुर सिखे, ताकि वह अपने घर को ईको फ्रेंडली बना सके। ट्रेनिंग प्रोग्राम पूरा करने के बाद रामचंद्रन को प्राकृतिक तरीके से घर बनाने का आइडिया मिल चुका था, लिहाजा उन्होंने अपने घर का निर्माण कार्य पारंपरिक तरीके से शुरू कर दिया।
गर्मियों में भी ठंडा रहता है घर
चेन्नई की गर्मी झेल चुके रामचंद्रन के लिए एक ठंडे घर में रहना किसी बड़े सपने का साकार हो जाने जैसा अनुभव है। रामचंद्रन ने घर का निर्माण करने के लिए जमीनी मिट्टी का इस्तेमाल किया गया है, उन्होंने सबसे पहले अपने प्लॉट की मिट्टी खोदी और फिर उसे जांच के लिए लैब में भेज दिया। लैब परीक्षण से पता चला कि मिट्टी में 9 प्रतिशत सीमेंट की मात्रा मिलाई जा सकती है, जिससे घर की दीवारों को मजबूती तो मिलेगी ही साथ में घर का तापमान भी नियंत्रित रहेगा। इस तरह रामचंद्रन ने ईको फ्रेंडली घर का निर्माण करने के लिए सीमेंट और मिट्टी से तैयार तकरीबन 23 हज़ार सीएसईबी (Compressed Stabilised Earth Block) ब्लॉक बनवाए थे।
इस तरह के सीएसईबी ब्लॉक्स बनाने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि घर की दीवारों पर प्लास्टर करने की ज़रूरत नहीं होती है, वहीं घर के अंदर का तापमान ठंडा रहता है। इसके अलावा रामचंद्रन ने घर के निर्माण के लिए रीसाइकल मटेरियल का भी इस्तेमाल किया था, जिसमें छोटे-छोटे पत्थर शामिल थे।
रामचंद्रन ने घर के बाथरूम, टॉयलेट और कीचन में टाइल की बजाय पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़ों को इस्तेमाल किया, जबकि घर के फ़र्श को हैंडमेड टाइल से तैयार किया गया था। उन टाइल्स को लगाने के लिए चूने का इस्तेमाल किया गया था, ताकि गर्मियों के मौसम में घर वातानुकूलित रहे।
पारंपरिक तरीके से घर का निर्माण
घर को ठंडा और हवादार बनाए रखने के लिए रामचंद्रन ने कूलर या एसी के जगह पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसके तहत उन्होंने अपने घर के हॉल की ऊंचाई 16 फीट रखी थी जबकि अन्य कमरों की ऊंचाई 11 फीट तक रखी। इसके साथ ही उन्होंने हर कमरे की दीवार पर ऊपर की तरफ़ छोटे-छोटे वेंटिलेशन होल बनवा दिए, ताकि घर के अंदर मौजूद गर्म हवा आसानी से बाहर निकल सके।
घर के बाहर चारों तरफ़ ढेर सारे पेड़ पौधे लगाए गए हैं, ताकि ईको फ्रेंडली घर की खूबसूरती बढ़े और घर के अंदर ताज़ा व ठंडी हवा आती रही। इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखते हुए रामचंद्रन ने अपने ईको फ्रेंडली घर का निर्माण किया है, ऐसे में जब बाहर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस होता है तो उनके घर के अंदर का तापमान सिर्फ़ 28 डिग्री रहता है।
इस ईको फ्रेंडली घर में पंखे तो लगाए गए हैं, लेकिन उनका इस्तेमाल साल में सिर्फ़ एक या दो बार ही होता है। घर में एलईडी लाइट्स भी मौजूद हैं, लेकिन दिन के समय कमरे में इतनी रोशनी रहती है कि उन्हें जलाने की ज़रूरत नहीं पड़ती है।
बिजली और पानी का ख़र्च जीरो
आज के आधुनिक युग में पारंपरिक तरीके से घर बनाने का अपना एक अलग ही फायदा और सुकून है, जिसे रामचंद्रन बहुत ही अच्छी तरह से समझते हैं। रामचंद्रन ने अपने ईको फ्रेंडली घर की छत पर 300 वाट का सोलर सिस्टम लगवाया, जिससे उनकी बिजली सम्बंधी ज़रूरतें आसानी से पूरी हो जाती हैं।
इसके साथ ही रामचंद्रन घर में एसी या कूलर का इस्तेमाल नहीं करते हैं, जिसकी वज़ह से उनके द्वारा बिजली की ज़्यादा खपत नहीं की जाती। घर में फ्रिज और रात के समय लाइट्स ही जलती हैं, जिसके लिए सोलर सिस्टम से पर्याप्त बिजली मिल जाती है। इसके अलावा रामचंद्रन पीने के पानी के लिए मटके का इस्तेमाल करते हैं, जबकि फ्रिज दूध व फल सब्जियों को ताज़ा रखने के लिए ही चलाया जाता है।
घर में पानी की ज़रूरत को पूरा करने के लिए रामचंद्रन ने रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाया था, जिसकी वज़ह से बरसात के पानी का इस्तेमाल रोजमर्रा की ज़रूरतों के लिए किया जाता है। पोल्लाची गाँव में बरसात बहुत ही अच्छी होती है, जिसकी वज़ह से रामचंद्रन की छत पर सालाना 2.8 लाख लीटर पानी इकट्ठा हो जाता है।
इस पानी को रेनवाटर हार्वेटसिंग सिस्टम के जरिए साल भर सहेज कर रखा जाता है और ज़रूरत के हिसाब से इस्तेमाल किया जाता है। रामचंद्रन ने घर की छत पर एक टैंक बनवाया है, जिसमें वह अपनी ज़रूरत के हिसाब से पानी भरते हैं और अतिरिक्त पानी की बचत कर लेते हैं। इस तरह बरसात के पानी को इस्तेमाल करने से भूजल में कमी नहीं होती और उसके स्तर में बढ़ोतरी होती है।
800 से ज़्यादा पेड़ पौधों की खेती
रामचंद्रन ने लगभग 1700 वर्ग फीट की ज़मीन में ईको फ्रेंडली घर का निर्माण किया है, जबकि बाक़ी की ज़मीन में उन्होंने विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे लगाए हुए हैं। यह पेड़ पौधे छांव देने के साथ-साथ मौसमी फल और सब्जियाँ भी प्रदान करते हैं, जिसकी वज़ह से रामचंद्रन को बाज़ार से फल व सब्जियों को खरीद नहीं करनी पड़ती है।
रामचंद्रन ने लगभग 500 पेड़ पौधे ख़ुद लगाए हैं, जबकि 300 से ज़्यादा प्रजातियाँ प्राकृतिक रूप से अपने आप उग गई। दरअसल रामचंद्रन जो भी फल या सब्जी खाते हैं, उनके बीज खेत पर ही फेंक देते हैं। ऐसे में बारिश के मौसम में नमी मिलने पर वह बीज अपने आप पैदा हो जाते हैं और फिर पौधे व पेड़ का रूप ले लेते हैं।
रामचंद्रन के इस गार्डन में आम, अनार, अमरुद, जामुन, आंवला, अंजीर, स्टार फ्रूट, वाटर एप्पल समेत अंगूर जैसे फल उगते हैं, वहीं सब्जियों में सीताफल, टमाटर, बैंगन, टमाटर, लौकी और मिर्ची की खेती होती है। यह सभी फल और सब्जियाँ बिल्कुल प्राकृतिक तरीके से उगाए जाते हैं, जिन्हें रामचंद्रन अपने खाने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
रामचंद्रन सुब्रमणियन (Ramachandran Subramanian) प्रकृति को बिना कोई नुक़सान पहुँचाए अपनी ज़िन्दगी बेहतर ढंग से जीना चाहते हैं, जिसके लिए उन्होंने ईको फ्रेंडली घर का निर्माण किया है। उनका मानना है कि एक बेहतर जीवन जीने के लिए प्रकृति उनकी मदद कर रही है, लिहाजा वह इसे प्रकृति का आशीर्वाद मानते हैं।