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यह महिला अपने घर के टेरेस गार्डन में उगाती हैं 80 प्रकार की आर्गेनिक सब्जियाँ, आप भी सीखिए उनके टिप्स

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आजकल मार्केट में ताजे फल-सब्जियों का तो नामोनिशान गुम हो गया है, हर जगह बस रसायन युक्त फल-सब्जियाँ ही नज़र आते हैं। शहरों में तो स्थिति और भी बुरी है, एक तो उनकी व्यस्त दिनचर्या, दूसरा प्रदूषित वातावरण और महानगरों में जहाँ रहने को ही जगह मुश्किल से मिलती है, वहाँ जैविक खेती के बारे में लोग कैसे सोचेंगे? उन्हें यही टेंशन रहती है कि बिना रसायन वाले फल सब्जियाँ कैसे उपलब्ध हो सकें, जिससे उनके हेल्थ अच्छी रहे।

परन्तु अब आपकी यह टेंशन भी ख़त्म हो जाएगी, क्योंकि आजकल खेती के नए-नए तरीके निकल गए हैं और किसान भाई काफ़ी कम भूमि में नई तकनीकों के माध्यम से अधिक उत्पादन कर रहे हैं, उनसे प्रेरणा लेकर अब दूसरे लोगों का भी रुझान खेती की तरह बढ़ा है तथा वे अपने घर पर ही जैविक खेती करके प्रेस सब्जियाँ और फलों का सेवन कर रहे हैं।

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Terrace Gardening Tips in Hindi

ऐसी ही एक महिला हैं “अनु” , जिन्होंने अपनी 2000 फुट की छत पर 5 वर्षों पहले टेरेस गार्डन (Terrace Garden) बनाया और उसमें 80 से भी ज़्यादा फल-फूल, सब्जियाँ व औषधियों के पौधे लगाए, उन्होंने कुछ आसान तरीक़ा का प्रयोग किया और आज वे सफलतापूर्वक अपने टेरेस गार्डन पर जैविक फल व सब्जियाँ उगा रही हैं। चलिए जानते हैं कैसे…

कौन हैं अनु?

घर की छत को टेरेस गार्डन में बदलने वाली “अनु” बेंगलुरु (Bengaluru) की रहने वाली हैं। दरअसल अनु को गार्डनिंग का शौंक था। वर्ष 2015 में उन्होंने “इट्स टाइम टू गार्डन” नाम से एक वर्कशाप की भी शुरुआत की। इस वर्कशॉप में उन्होंने बागवानी के बारे में लोगों को ट्रेनिंग देना शुरू किया। अनु ने ना सिर्फ़ ख़ुद जैविक खेती से फल-सब्जियाँ उगाई, बल्कि अपने द्वारा शुरू की गई वर्कशॉप की मदद से वे अब तक हजारों व्यक्तियों को गार्डनिंग के बारे में जागरूक कर चुकी हैं। उन्हें कई सालों से मार्केट से सब्जी खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ी, अपने गार्डन में उगाई हुई ऑर्गेनिक सब्जियों का ही वे सेवन किया करती हैं।

छोटी उम्र से ही था गार्डनिंग का शौक़

आपको बता दें कि अनु जब काफ़ी छोटी उम्र की थी तभी से उन्हें खेती के काम में रुचि थी। वे अपनी दादी के साथ मिलकर बागानी में उनकी सहायता भी करती थीं। करीब 14 सालों तक उन्होंने अमेरिका व बेंगलुरु में कॉपरेट क्षेत्र में काम किया। जैसा कि हमने बताया इनकी रूचि बागानी में थी तो उन्होंने गार्डनिंग शुरू की और सफल भी हुईं। उनके पति ने भी इस काम में उनका पूरा समर्थन किया।

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अपने टेरेंस गार्डन में उगाती हैं बहुत-सी फल-सब्जियाँ

अनु को शुरुआती दौर में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा क्योंकि उस समय समझ नहीं थी कि किस पौधे को वह अपने गार्डन में लगाएँ? जो कम समय में अधिक ज़रूरतमंद साबित हो। इन्होंने अपने टेरेस गार्डन में बैगन, टमाटर, गोभी, पालक, मेथी, अजवाइन, कद्दू, करेला, मूली, बीन्स और प्याज जैसी अन्य सब्जियाँ उगाई है। फलों में इन्होंने नींबू, नारंगी, चीकू, खीरा, शरीफा, अंजीर, पपीता, अनार, ड्रेगन फ्रूट्स, लीची और अन्य फल लगाए हैं।

वर्कशॉप में प्रशिक्षण के दौरान अनु ने लोगों को ऐसी सब्जियों के बारे में भी बताया जो अत्यंत सरल तरीके से उगायी जा सकती हैं, जैसे मेथी, अजवाइन, हल्दी, पालक, प्याज, बींस व अदरक इत्यादि।

इन तरीकों से लगाइए सब्ज़ियों के पौधे

अनु गार्डनिंग के कुछ आसान तरीके बताती हुई कहती हैं कि प्याज को आप सरलता से एक गमले में रखकर ही उगा सकते हैं। इसके लिए प्याज को पहले गमले में रखिए, फिर उसके ऊपर मिट्टी डाल दीजिए, कुछ ही समय बाद प्याज़ में अंकुरण होगा और उसमें पत्तियाँ उग जाएंगी। आप शुद्ध पत्तेदार प्याज का सेवन करना चाहते हैं तो उसे काटकर धो लीजिए और मनचाहे तरीके से पकाइए।

इसी तरीके से आप मेथी को भी उगा सकते हैं, मेथी की पत्तियों को बार-बार काटने से आप लगातार उत्पादन पा सकते हैं। टमाटर उगाने हेतु एक गमले में मिट्टी डालकर उसमें टमाटर काटकर डाल दीजिए, फिर उसे कुछ दिनों के लिए ऐसे ही छोड़ दीजिए तो कुछ दिन बाद टमाटर के पौधों में अंकुरण होने लगेगा। यदि लहसुन लगानी हो, तो उसके लिए भी लहसुन से बीज निकालकर एक-एक करके अलग-अलग उसे मिट्टी में लगाइए, कुछ समय बाद वह बीज निकल जायेगा। फिर आप उसकी पत्तियाँ भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

यदि आपको सुखा लहसुन उगाना है तो उसी लहसुन के पौधे को ऐसे ही छोड़ दीजिए, कुछ माह पश्चात लहसुन सूख जाएगा और उसे खोदकर आप मिट्टी से बाहर निकाल कर उपयोग कर सकते हैं। इसी प्रकार से मूली व मूंगफली को भी अपने टेरेस गार्डन में सरलता पूर्वक लगाया जा सकता है। जिससे आप मूली के फ्रेश पत्तों और ताज़ा मूंगफली का सेवन कर पाएंगे।

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कैसे उगाएँ स्वास्थ्यवर्धक हल्दी?

हल्दी के गुणों को तो हम सभी जानते ही हैं। हमारी हैल्थ के लिए यह बहुत फायदेमंद होता है। हल्दी उगाने हेतु भूमि में 2 इंच का एक गड्ढा खोदकर उसमें हल्दी को लगाया जाता है। फिर कुछ दिनों तक जब इसे धूप मिलती है तो उसमें पत्ते उग आते हैं। पत्ते निकालने पर उन्हें सूखने देना होता है, पत्ते सूखने के बाद उन्हें काट लीजिए। काटने के बाद पानी में अवश्य उबालिए, क्योंकि उबालने से यह करक्यूमिन को ठीक प्रकार से उपलब्ध कराएगा।

इस तरीके से तैयार कीजिए कीटनाशक स्प्रे

कीटनाशक तैयार करने के तरीके के बारे में अनु बताती हैं की, पौधों में उर्वरक हेतु गोबर, नीम का तेल, रीठा, कोको पीट सूखी पत्तियों को पानी में मिला लीजिए, फिर उसका घोल बनाकर स्प्रे बोतल में भर लीजिए और पौधों पर छिड़काव कीजिए, जिससे कीटों का नाश होगा। इस कीटनाशक स्प्रे को आप हमेशा पौधों में स्प्रे कर सकते हैं और साथ ही, एक कपड़े में इस स्प्रे को लगाकर आप पौधों की सफ़ाई भी कर सकते हैं।

घर के पुराने सामानों में ही उगा सकते हैं पौधे

अनु ने बताया कि वे घर के पुराने बर्तनों, घड़ा, पुराने जुतों का इस्तेमाल करके उसमें पौधों को उगाया करती हैं। अतिरिक्त पानी बाहर निकल पाए उसके लिए पौधे उगाने के इन पात्रों में छेद कर लीजिए क्योंकि ज़्यादा पानी डालने की वज़ह से पौधें बर्बाद भी हो सकतें हैं। आप चाहें तो एक साथ कई पौधे भी लगा सकते हैं, जैसे यदि आपने गमले में गेंद के फूल उगाए हैं तो उसके साथ में ही टमाटर व बैंगन के पौधे भी लगा सकते हैं। इसी प्रकार से लहसुन व बीन्स को भी साथ में उगा लीजिए जिससे उनकी देखरेख भी साथ-साथ हो जाएगी। अनु ने घर पर ही जैविक तरीके से खेती की और सबको इसका प्रशिक्षण भी दिया। उनके इन कार्यों के लिए हम हृदय से उनकी सराहना करते हैं।

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News Desk
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