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लॉकडाउन के दौरान जुगाड़ तकनीक, मिनरल वाटर की बोतलों से छत पर उगाया धान- जाने तरीका

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हम भारत के लोगों के पास अगर कोई ऑप्शन ना हो तो हम जुगाड़ टेक्नोलॉजी में सबसे आगे रहते हैं और खासकर जब हमारे पास पूरा समय हो तब तो कुछ कहना ही नहीं। उस खाली समय में तो किन-किन चीजों का आविष्कार हो जाए यह आविष्कार करने वालों को भी शायद पता ना हो।

वैसे लॉकडाउन के दौरान पिछले कुछ महीनों में काफ़ी क्रिएटिविटी देखने को मिली हर लोग अपने शौक के अनुसार अपने क्रिएटिविटी सोशल मीडिया के ज़रिए पेश कर रहे थे। तो इस क्रिएटिविटी में सैम जोसेफ और उनकी पत्नी सेलीन भी कहाँ पीछे रहने वाले थे। उन लोगों ने अपने छत पर ही बिसलेरी के बोतलों में कर डाली धान की खेती।

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जुगाड़ टेक्नोलॉजी से की धान की खेती

आपको थोड़ा आश्चर्य लग रहा होगा कैसे कोई पानी की बोतल में धान की खेती कर सकता है? लेकिन यह सच है कि केरल के कोट्टायम जिले के रहने वाले टाइटस सैम जोसेफ और उनकी पत्नी सेलीन ने इस लॉकडाउन में छुट्टी के दौरान इसने जुगाड़ टेक्नोलॉजी का इजाद किया। सैम पाला के एसआरटीसी के स्टेशन मास्टर है। इन्हें अपनी नौकरी के साथ-साथ खेती से भी बहुत ज़्यादा जुड़ाव है।

175 मिनरल वाटर की बोतलों का किया इस्तेमाल

सैम और उनकी पत्नी से अपने छत पर धान की खेती करने के लिए पूरे 175 मिनरल वाटर की बोतलों का इस्तेमाल किया। इस तकनीक के लिए उन्हें कुछ ख़ास ख़र्च भी नहीं करना पड़ा। मीडिया से बातचीत के दौरान सैम ने बताया कि “सारे पानी की बोतलों को धान की खेती के लिए प्रयोग करने से पहले उसे हमने होरिजेंटली काट दिया, उसके बाद सारे बोतल के निचले हिस्से में पानी भर दिया और ऊपरी भाग को उल्टा कर उसमें गाय का गोबर और मिट्टी भर दिया गया। उसके बाद इसे बोतल के निचले हिस्से में डाला गया, ताकि यह पानी में डूबे ना। इतना कुछ करने के बाद हमने इसमें धान के बीज लगाए।”

विशेष रूप से करनी पड़ी थी देखभाल

बीज डालने के कुछ ही दिनों के अंदर उसमें बीज अंकुरित होने लगे। सैम ने बताया कि उन्होंने धान उगाने के लिए किसी भी कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग नहीं किया था। हाँ लेकिन उन्हें डाले गए बीजू की और अपने उस तकनीक की विशेष रूप से देखभाल करनी पड़ी, जैसे पौधों की सिंचाई करते समय यह देखना कि सारी बोतलें पौधे का भार उठा पाएंगी या नहीं। उन्हें समय-समय पर यह भी चेक करना पड़ा की कहीं तेज़ हवा के झोंके से बोतल गिर ना जाए।

छत पर लगे धान से 4 किलोग्राम चावल तैयार हुआ

सैम ने यह भी बताया कि जब उन्होंने अपने छत पर लगे धान की कटाई की तो उससे लगभग 4 किलोग्राम चावल तैयार किया गया। जो उनके परिवार में कुछ महीनों तक के लिए काफ़ी था।

खेती के अलावा मधुमक्खी और मछली पालन भी करते हैं

अपनी सफलता से दोनों पति पत्नी बहुत खुश हैं। अब तो वह दोनों आने वाले जून-जुलाई का इंतज़ार कर रहे हैं ताकि वह फिर से अपने छत पर इस तकनीक से धान की खेती कर सके। सैम खेती के साथ-साथ और भी बहुत चीजों जैसे सब्जियों की खेती मछली और मधुमक्खी पालन के शौकीन है। उनके पास तो दो तालाब भी हैं जिसमें वह मछली पालन करते हैं उनके तलाब में दो क़िस्म नैटर और तिलपिया कि 700 से भी ज़्यादा मछलियाँ हैं।

सैम ने कहा कि अगर वह आगे भी इस तकनीक से धान की खेती में सफल होते हैं तो वह अपने घर के छत पर किसी भी फ़सल की खेती करने में सफल हो सकते हैं। इस तरह दोनों पति पत्नी अपने जुगाड़ टेक्नोलॉजी में सफल हुए।

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News Desk
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