वर्तमान समय में कृषि में अच्छा-खासा मुनाफा होने से ज्यादातर लोगों का रुझान खेती की ओर बढ़ रहा है। खेती से जुड़े लोग लगातार असंभव को भी संभव बनाने में लगे हुए हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे फल के बारे में जिसकी खेती करना थोड़ा मुश्किल है। जी हाँ वह फल का नाम है कीवी (Kiwi farming)। एक ऐसे किसान का नाम आजकल चर्चा में है जो सिर्फ़ कीवी के दो पौधों से 3 से 4 क्विंटल कीवी उगाते हैं और उसे बेचकर अच्छा खासा मुनाफा कमाते हैं।
अल्मोड़ा के हवालबाग स्थित गाँव स्याहिदेवी के रहनेवाले किसान मोहन सिंह लटवाल (Mohan Singh Latwal), जिनकी उम्र 72 वर्ष से भी अधिक है। शुरुआत में उन्होंने की भी की खेती शौकिया तौर पर शुरू किया था। लेकिन आगे चलकर उन्होंने इस खेती को अपने रोजगार का ज़रिया बना लिया। उनका गाँव स्याही देवी जो समुद्र तल से लगभग 7 हज़ार किलोमीटर की ऊंचाई पर है। इसलिए इन्होंने खेती करने से पहले कीवी की खेती करने के बारे में वैज्ञानिकों से सलाह मांगी। लेकिन उन्होंने कहा कि कीवी की खेती करना बहुत मुश्किल है। लेकिन उन्हें भी यह ज़िद थी कि वह कीवी की खेती करेंगे।
वैज्ञानिकों ने उनके ज़िद के आगे घुटने टेक कर उन्हें सिर्फ़ कीवी के 2 पौधे दिए। उसके बाद मोहन सिंह अपने घर वापस आकर कीवी के बेल के लिये 2 नाली ज़मीन को तैयार किया। जिसके बाद 2010 में पहली बार कीवी के दोनों पौधों से फल लगें और लगभग 2 क्विंटल का पैदावार हुआ और उस समय उनके गांव स्याहीदेवी के टूरिस्ट एस्टेट में साहसिक पर्यटन में दिल्ली का दल आया था और पहली बार दिल्ली दल ने मोहन सिंह के कीवी को 250 रूपये प्रति किलो के भाव से खरीद कर ले गए। इस बिक्री से मोहन सिंह को काफ़ी ख़ुशी हुई और वह आगे भी इसकी खेती करने के लिए प्रेरित हुए। उनके कीवी के पौधे भी पहले से ज़्यादा परिपक्व हो चुके हैं और इस सीजन में तो 2 क्विंटल की जगह 3 क्विंटल कीवी का उत्पादन हुआ है।
कीवी फल इतने गुणों से भरपूर है कि कोई भी इसकी खेती करना चाहेगा। वैसे आपको बता दें कि उत्तराखंड की पथरीली भूमि पॉस्टिक फलों के उत्पादन के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होता है। यहाँ की जो पथरीली भूमि है उस पर कीवी, माल्टा, खुबानी, सेब, आडू और नाशपाती जैसे फलों की अच्छी पैदावार होती है। जबकि कुछ किसान ऐसे भी हैं जिन्होंने विदेशी फलों की खेती भी शुरू कर चुके हैं।
अनेक गुणों से भरपूर कीवी मधुमेह को कंट्रोल करता है। यह हृदय रोगी के लिये फायदेमंद है। कीवी में विटामिन C की भरपूर मात्रा पाई जाती है। यह हमारे शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। कीवी गर्भवती महिलाओं के शरीर में रोजाना 400 से 600 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड की मात्रा की ज़रूरत को भी पुरा करता है। यह खून की कमी को पूरा करता है। इसके सेवन से पेट दर्द में राहत मिलती है और यह उल्टी को भी रोकता है। प्रतिदिन इसके सेवन से शरीर में उर्जा बनी रहती है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है। इसमे केले के बराबर पोटेशियम है। यह शरीर में खून की कमी को पूरा करता है।
अगर विशेषज्ञों की माने तो कीवी के उत्पादन के लिए 900 से 1800 की ऊंचाई अधिक अनुकूल होती है। लेकिन यह मोहन सिंह के मेहनत का नतीजा है कि उन्होंने पौधे की सही देखभाल से इस मुश्किल काम को आसान कर दिखाया है। मोहन सिंह ने बताया कि वह कीवी के बागान में घास और पलवार के माध्यम से सिंचाई में पानी की बचत भी कर लेते हैं।
मोहन सिंह को कीवी की खेती करने के लिए किसी प्रकार का सरकार या प्रशासन का सहयोग नहीं मिलता है। उनका कहना है कि खेती के क्षेत्र में बागवानी विकास के कार्य में जुटे दिग्विजय सिंह बोरा के द्वारा किए गए प्रोत्साहन को वह कभी नहीं भूल सकते हैं, जिन्होंने उन्हें इस खेती के लिए प्रेरित किया।
अब मोहन सिंह गाँव लौट कर जितने भी प्रवासी और ग्रामीण है उन्हें जैविक तरीके से कीवी की खेती करने के लिए प्रोत्साहन प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस बात की भी ट्रेनिंग दे रहे हैं कि वह ख़ुद को आर्थिक रूप से मज़बूत बना सकें।