दोस्तों, वैसे तो सारे विश्व में आम की बहुत-सी किस्में पाई जाती हैं और हर क़िस्म के आम की बनावट, उसका आकार, स्वाद व रंग अलग-अलग भी होता है। इसी वज़ह से इनके दाम भी टेस्ट और वैरायटी के अनुसार भिन्न-भिन्न होते हैं। आपने भी कई प्रकार के आम खाए होंगे, लेकिन आज जिस आम के बारे में हम बात करने जा रहे हैं, वह एक ख़ास क़िस्म का आम है, जो हमारे भारत में केवल एक ही जगह पर पाया जाता है।
आपको जानकर शायद विचित्र लगेगा की यहाँ पर आम के दो छोटे पेड़ों के लिए 4 गार्ड और 6-6 कुत्ते तैनात किए गए हैं। आप सोंच रहे होंगे कि सिर्फ़ आम के लिए इतनी ज़्यादा सुरक्षा क्यों, तो आपको बता दें कि आम की इस विशेष किस्मों को ‘मियाजाकी आम (Miyazaki Mango)’ कहा जाता है और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इसकी 1 किलोग्राम की क़ीमत 2.70 लाख रूपये है। यही वज़ह है कि इन महंगे आमों के चोरी होने के डर से इनकी कड़ी सुरक्षा के इंतज़ाम किए गए हैं।
विश्व का सबसे महंगा आम है मियाजाकी (Miyazaki Mango)
हम चर्चा कर रहे हैं, मध्य प्रदेश के एक दंपति द्वारा जबलपुर के अपने छोटे से गार्डन में उगाए हुए 7 आमों की। जिनकी सुरक्षा के लिए 4 गार्ड व 6 कुत्त्ते रखे गए हैं, ताकि इन आमों को कोई चुरा ना सके। आपको बता दें कि पहले कुछ चोरों ने इन आम के पेड़ों को चुराने का प्रयास किया था। फिर इसके बाद इन दम्पत्ति ने अपने आमों की सुरक्षा हेतु विशेष इंतज़ाम किए।
यह आम की क़िस्म भारत में बहुत दुर्लभ है, इतना ही नहीं, ये मियाजाकी क़िस्म के आम (Miyazaki Mango) दुनिया के सर्वाधिक महंगे आमों में से एक हैं। यह आम जापान के क्यूशू प्रान्त में स्थित मियाज़ाकी नामक शहर में उगाए जाते हैं, इसी वज़ह से इसे मियाज़ाकी आम कहा जाता हैं। इस क़िस्म के आमों का वज़न 350 ग्राम से ज़्यादा होता है और इनमें चीनी की मात्रा 15% या उससे अधिक पाई जाती है।
Egg Of Sun भी कहा जाता है
ऐसा कहा जाता है कि मियाजकी आम जापान का लाल रंग का आम है। यह Egg Of Sun अर्थात सूरज के अंडे के नाम से भी प्रसिद्ध है। इसे जापानी भाषा में ताइयो-नो-तमागो (Taiyo-no-Tomago) भी कहते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व के सबसे महंगे इस आम के पेड़ को भारत में लगाने वाले किसान दंपति का नाम है संकल्प परिहार (Sankalp Parihar) और रानी परिहार (Rani Parihar)। इन दम्पत्ति का कहना है कि इंटरनेशनल मार्केट में इस आम को पिछले वर्ष 2.70 लाख रुपये प्रति किलो की दर से बेचा गया था। संकल्प परिहार और रानी परिहार ने 3 वर्ष पूर्व यह आम लगाए थे, उन्हें आम की यह कलमें उपहार स्वरूप प्राप्त हुई थी।
पिछले वर्ष चोरी हो गए थे 2 आम
ख़ास बात तो यह है कि जब इस दम्पत्ति को आम की कलमें उपहार में मिली, उस समय वे भी नहीं जानते थे कि यह विश्व के सर्वाधिक महंगे आम की क़लम है, फिर जब आम का यह पौधा पेड़ बन गया और इसमें लाल रंग के आम आए, तब इनको मालूम हुआ कि यह मियाजाकी आम हैं, जो पिछले वर्ष इंटरनेशनल मार्केट में 2.70 लाख रुपये प्रति किलो की दर से बेचे जा रहे थे।
संकल्प परिहार ने बताया कि जब लोगों को इन आमों की क़ीमत के बारे में पता लगा तो चोरों ने उनके गार्डन पर धावा बोल दिया और उन्होंने पेड़ चुराने का प्रयास किया। हालांकि वे पेड़ तो नहीं चुरा पाए लेकिन 2 आम तथा पेड़ की कुछ डालियाँ चुरा कर ले गए थे। वे बताते हैं कि उन्होंने बड़ी मुश्किल से जैसे तैसे उन पेड़ों को बचाया और इसी वज़ह से बाद में उन्होंने इसकी सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए। अभी उनके पेड़ पर 7 आम लगे हैं।
एक अनजान आदमी से उपहार में मिला था यह बेशकीमती आम का पौधा
अपने गार्डन में लगे इस महंगे आम के पौधे के दम्पत्ति को मिलने के पीछे भी दिलचस्प कहानी है। दरअसल एक बार संकल्प गार्डन के लिए कुछ पौधे लेने चेन्नई जा रहे थे। इसी बीच उन्हें ट्रेन में सफ़र करते वक़्त एक अनजान व्यक्ति मिला। उस अनजान व्यक्ति ने उन्हें यह आम के पौधे दिए और उनसे कहा कि ‘इन पौधों का अपने बच्चों की तरह पालन-पोषण करना।’ संकल्प को इस आम की क़िस्म के बारे में नहीं पता था। फिर जब वे घर वापस आए तो उसके बारे में पता किए बिना ही उसे अपने गार्डन में लगा दिया।
फिर जिस समय इस आम के पौधे में फल लगे तो उन दंपति को लगा कि यह आम की कोई असाधारण क़िस्म है, क्योंकि यह अन्य आमों से कुछ अलग हैं। चूंकि उन्हें इस क़िस्म का नाम नहीं पता था, इसलिए उन्होंने इसका नाम अपनी माँ दामिनी के नाम पर रखा। फिर बाद में जब उन्होंने इस क़िस्म के बारे में जानने की कोशिश की तो उन्हें इसका नाम पता चला परंतु फिर भी उन्होंने आज भी अपने इन आम का नाम दामिनी ही रखा है।
इन फलों के द्वारा अधिक पौधे उगाना चाहते हैं
जब इन महंगे आमों (Miyazaki Mango) के बारे में लोगों को पता चला तो उन्होंने इस दंपति से कांटेक्ट किया। रमेश तनेजा नाम के एक फल व्यापारी ने उन्हें एक आम के लिए 21000 रुपये देने की इच्छा भी जाहिर की। इसके अलावा मुंबई के एक जौहरी ने भी उनके इस आम के लिए काफ़ी बड़ी रक़म देने का प्रस्ताव रखा, परन्तु संकल्प ने उनके इन प्रस्तावों को ठुकरा दिया। संकल्प और रानी परिहार कहते हैं कि वे इन पौधों को कदापि नहीं बेचेंगे, क्योंकि वे इन फलों के द्वारा और ज़्यादा पौधे उगाना चाहते हैं।