आज की युवा पीढ़ी अपनी पढ़ाई और करियर को लेकर इतने ज्यादा कंफ्यूज रहते हैं कि उन्हें कोई भी फैसला लेने से पहले सौ बार सोचना चहता है। ऐसे में 16 साल का एक स्कूली बच्चा अगर पढ़ाई लिखाई और मौज मस्ती छोड़कर वैराग्य का रास्ता चुन ले, तो उसके फैसले पर लोगों का हैरान होना लाजमी है।
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के धार (Dhar) जिले में स्थित नागदा गाँव (Nagda) से एक ऐसा ही हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहाँ कारोबारी मुकेश श्री श्रीमाल के इकलौते बेटे अचल (Achal) ने वैराग्य ले लिया है। अचल के माता-पिता को उनके इस फैसले से कोई आपत्ति नहीं है, बल्कि उन्हें खुशी है कि अचल संयम की राह पर आगे बढ़ रहे हैं।
करोड़पति का बेटा बना वैरागी
16 वर्षीय अचल किशोरवस्था में होने के बावजूद भी पिछली 2 सालों से मुमुक्षु वैराग्यकाल में गुरु भगवंतों से शिक्षा ले रहे थे, जिसके बाद उन्होंने अपनी सभी सुख सुविधाओं का दान करते हुए दीक्षा ली और बीते रविवार को अपने वैराग्य जीवन की नई शुरुआत की है। Read Also: युवक ने देसी जुगाड़ से बनाई 6 सीटर इलेक्ट्रिक बाइक, सिर्फ 10 रुपए आता है चलाने का खर्च, आनंद महिंद्रा ने शेयर किया वीडियो
बताया जा रहा है कि अचल ने साल 2020 में अपने जीवन में संयम से आगे बढ़ने का फैसला किया था, जिसके बाद उनका मन दीक्षा और ईश्वर की आरधना में डूबा रहने लगा। ऐसे में अचल ने वैराग्य जीवन की शुरुआत करने के लिए नागदा गाँव से पैदल यात्रा शुरू की, जिसके तहत वह आष्टा, भोपाल और शुजालपुर समेत कई शहरों से होकर गुजरे थे।
अचल अभी तक 1 हजार किलोमीटर का सफर पैदल तय कर चुके हैं, जबकि वह आगे भी संयम की राह में आगे बढ़ते हुए अपना जीवन व्यतीत करेंगे। इतना ही नहीं बीते रविवार को एक समारोह के आयोजन में अचल को जिनेंद्र मुनि ने दीक्षा भी दिलवाई थी, जिसके बाद पूरे आयोजन में जय-जय के ऊंचे स्वर गूंजने लगे थे।
अचल नागदा गाँव में सबसे कम उम्र में दीक्षा लेने और वैराग्य की राह अपनाने वाले व्यक्ति बन चुके हैं, जबकि इससे पहले साल 1980 में नागदा में रहने वाली साध्वी मधु मसा ने दीक्षा ली थी। करोड़पति बिजनेस मैन के इकलौते बेटे का यूं संन्यास ले लेना हर किसी के लिए हैरानी भरा है, जबकि अचल के माता-पिता उनके इस फैसले से काफी खुश हैं।
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