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Malmas 2023: क्या है, मलमास महीने का वैज्ञानिक आधार और मौसम पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है, जानें यहां

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Malmas 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार हर तीन साल में एक अतिरिक्त मास जुड़ता है, जिसे “अधिक मास” कहा जाता है। इस साल श्रावण मास में अधिक मास लगा है जो 18 जुलाई 2023 से शुरू होकर 16 अगस्त 2023 तक रहेगा।

अधिक मास लगने का वैज्ञानिक कारण

सूर्य वर्ष की अवधि 365 दिन और 6 घंटे होती है, जबकि चंद्र वर्ष की अवधि 354 दिनों की मानी जाती है। इसलिए, दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है। इन 11 दिनों को पूरा करने के लिए हर तीन साल में एक अतिरिक्त चंद्र मास जोड़ा जाता है, जिसे “अधिक मास” या “मल मास” कहा जाता है।

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अधिक मास में क्या करें

यह महीना “पुरुषोत्तम मास” भी कहलाता है। पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का नाम है। इसलिए इस समय में विष्णु जी की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस मास का उल्लेख श्रीकृष्ण ने भगवद गीता में भी किया है। इसे भगवद गीता में “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” के रूप में वर्णित किया गया है। अतः इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा और श्रीमद्भागवत का पाठ करने का विशेष महत्त्व होता है। इसके अलावा इस समय दान पुण्य का भी

अधिक मास में क्या न करें

शास्त्रों के अनुसार मलमास महीने में कोई भी मंगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मंदिर निर्माण, कर्णवेध, नया वाहन खरीदना, नए कपड़े खरीदना आदि वर्जित मानें जाते हैं।

अधिक मास का मौसम पर प्रभाव

मलमास का प्रभाव मौसम पर भी होता है। इसका प्रभाव विभिन्न भागों में अलग-अलग हो सकता है। यह अनियमित जलवायु के साथ आने वाला मास होता है। कहीं अपर्याप्त वर्षा से जलस्रोतों का स्तर कम हो जाता है तो कहीं बाढ़ और जल प्रवाह से सम्बंधित समस्याएँ भी उत्पन्न हो जाती हैं। इस समय दिन का तापमान बहुत कम रहता है और रात्रि में ठंडी हवाओं के कारण तापमान और भी नीचे आ सकता है। ठंडी और आच्छादित मौसम का सीधा असर स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।

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News Desk
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